Milky Mist

Friday, 5 December 2025

असम के छोटे से नगर के युवा ने कोलकाता जैसे बड़े शहर में जिम में बॉडी बनाई और खुद की जिम चेन शुरू की, अब यह 2.6 करोड़ के टर्नओवर वाला बिजनेस है

05-Dec-2025 By गुरविंदर सिंह
कोलकाता

Posted 05 Feb 2021

असम के छोटे से नगर सिल्चर के सुभ्रज्योति पॉल चौधरी 19 वर्ष की उम्र में एनआईआईटी से अपना तीन साल का बैचलर ऑफ साइंस इन इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी (बीएसआईटी) काेर्स करने कोलकाता आए थे.

12 साल बाद, वे कोलकाता के जाने-माने युवा उद्मियों में से एक हैं. वे सफल जिम्नेशियम चेन के मालिक है. इसका टर्नओवर 2.6 करोड़ रुपए है. उन्होंने मशहूर टीवी और टॉलीवुड एक्ट्रेस देबापर्णा चक्रबाेर्ती से शादी की है.
राइवल फिटनेस स्टूडियो के संस्थापक सुभ्रज्योति पॉल चौधरी. (सभी फोटो : विशेष व्यवस्था से) 

31 वर्षीय सुभ्रज्योति जमीनी स्तर से उठे हैं. शुरुआत में उन्होंने फ्रीलॉन्सर के रूप में काम किया. इसके बाद नेटवर्क सिक्योरिटी प्रोग्रामर के रूप में एक एमएनसी में तब तक नौकरी की, जब तक कि एक दिन उन्होंने इसे छोड़ने और अपना खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला नहीं कर लिया.

सुभ्रज्योति कहते हैं, "मैं ऑर्डर लेने में बहुत बुरा था और अपना खुद का कुछ शुरू काम करना चाहता था. मैंने एमएनसी में करीब ढाई साल काम किया. मेरा काम नेटवर्क सिक्योरिटी के लिए कोड लिखना था. मुझे 22,000 रुपए सैलरी मिल रही थी.''

उनके पिता बिजनेसमैन थे. उन्होंने सुभ्रज्योति के दिमाग में उद्मिता के बीज बहुत ही युवावस्था में ही बो दिया था.

सुभ्रज्योति कहते हैं, "मेरे पिता की सिल्चर में एजुकेशनल कंसल्टेंसी थी. उनका देशभर की यूनिवर्सिटी के साथ टाईअप था और वे स्टूडेंट्स को करियर काउंसिलिंग देते थे. उन्होंने हमेशा मुझे दिखाया कि मैं दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय खुद का बिजनेस करूं.''

परिजनों ने सुभ्रज्योति को कम्फर्ट जोन से बाहर आने में मदद की और कम उम्र से आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया. 2005 में सिल्चर के महर्षि विद्या मंदिर से 10वीं कक्षा पास करने के बाद सुभ्रज्योति ने असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी के स्कूल में एडमिशन लिया.

वे कहते हैं, "मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं किसी बड़े शहर में चला जाऊं. समाज को समझूं और सीखूं कि वहां लोग कैसे रहते हैं. मेरा भी बहुत मन था कि मैं बड़े शहर में रहूं.''

सुभ्रज्योति ने गुवाहाटी के साउथ पॉइंट स्कूल से कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की और 2007 में 12वीं पास कर ली. उन दो सालों में उन्होंने कोडिंग स्किल के साथ बहुत कुछ सीखा.
अपनी पत्नी और अभिनेत्री देबापर्णा चक्रबोर्ती के साथ सुभ्रज्योति.

सुभ्रज्योति कहते हैं, "स्कूल के दिनों में मेरी दिलचस्पी वीडियो गेम्स खेलने में बढ़ गई थी, क्योंकि सिल्चर बहुत छोटा नगर था और वहां मॉल या मनोरंजन का कोई स्थान नहीं था. वीडियो गेम्स के प्रति मेरा रुझान गुवाहाटी में भी जारी रहा और कोडिंग और प्रोग्रामिंग सीखने तक बढ़ गया.''

उन्होंने अपने ज्ञान का उपयोग किया और कंप्यूटर फॉरमेंटिंग और विंडोज एक्सपी इंस्टॉल करने का काम करने लगे. वे कहते हैं, "उन दिनों, लोगों को विंडोज 95 से परेशानी होती थी और उसे विंडोज एक्सपी से बदलना चाहते थे. उस समय विंडोज एक्सपी बाजार में नया-नया ही आया था.''

सुभ्रज्योति कहते हैं, "मैं विंडोज बदलता था और 300 रुपए शुल्क लेता था. मैंने कंप्यूटर में वीडियो गेम्स इंस्टाल करना भी शुरू कर दिया. मैं स्कूल के बाद और छुटि्टयों के दिन काम करता था. जल्द ही मैंने हर महीने 24,000 रुपए कमाना शुरू कर दिया, जो उस समय बड़ी राशि थी.''

जीवन के अतीत के पन्ने पलटते हुए सुभ्रज्योति याद करते हैं कि किस तरह वे बहुत कम उम्र में कमाने लगे थे, जबकि उस समय पैसे कमाने की कोई चिंता नहीं थी क्योंकि वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ परिवार से आते थे.

वे याद करते हैं, "मेरे पिता ने मुझे सिखाया था कि पैसा कमाना बहुत मुश्किल है और हर व्यक्ति को इसे कमाने का अपना रास्ता खोजना पड़ता है. वे मुझे पैसे का महत्व समझाना चाहते थे.''

सुभ्रज्योति कक्षा 12वीं की पढ़ाई करने के बाद सिल्चर लौट आए और एनआईआईटी में तीन वर्षीय इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (बीएसआईटी) कोर्स करने लगे. लेकिन वे एक साल बाद ही कोलकाता चले गए और वहीं से शेष कोर्स करने का निर्णय लिया.
सुभ्रज्योति अपने छोटे भाई सुमनज्योति के साथ.

सुभ्रज्योति कोलकाता आने का कारण बताते हैं कि "मैं कोलकाता में रहना चाहता था क्योंकि यह एक बड़ा शहर था और वहां करियर के बढ़िया मौके थे. मैं यह कोर्स पूरा करने के बाद नौकरी करने की योजना बना रहा था.''

उन्होंने 2010 में कोर्स पूरा किया और इसके बाद 2013 तक ओरेकल और जावा में अपनी रुचि के चलते कोडिंग और प्रोग्रामिंग करने लगे. इसके लिए उन्होंने मल्टीपल टेक्निकल सर्टिफिकेशन कोर्स किया.

उन्होंने इन योग्यताओं का इस्तेमाल करते हुए फ्रीलांसर के रूप में 18,000 रुपए प्रति महीना तक कमाए. साल 2013 में उन्होंने नेटवर्क सिस्टम डेवलपर के रूप में 22,000 रुपए महीने की सैलरी में एक मल्टी-नेशनल कंपनी में नौकरी शुरू कर दी. उन्होंने इस कंपनी में अगले ढाई साल तक काम किया और 2015 में इसे छोड़ने का फैसला कर लिया.

वे खुद का कुछ काम करना चाहते थे, लेकिन वे यह निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि कौन सा क्षेत्र चुने. उनके पिता ने सुझाव दिया वे सिल्चर लौट आएं और उनके बिजनेस में मदद करें.

इस पर सुभ्रज्योति ने तय किया कि वे कोलकाता में ही रहेंगे और नए व्यवसाय की संभावना तलाशेंगे. उसी समय उन्होंने अपने शरीर को सही रूप देने के लिए जिम जाना शुरू किया क्योंकि उनके पास बहुत सारा समय था.

सुभ्रज्योति कहते हैं, "मैं स्पोर्ट्स में अच्छा था और स्कूल स्तर पर लगभग सभी गेम्स में हिस्सा ले चुका था. मैं अच्छा तैराक भी था, हालांकि कभी जिम नहीं गया था. नौकरी छोड़ने के बाद मैंने अपने शरीर को फिट रखने के लिए जिम जाना तय किया.''

वे कहते हैं, "मैंने जरा भी कल्पना नहीं की थी कि यह निर्णय मुझे अपना जुनून तलाशने में मदद करेगा, जो मेरी आजीविका में भी तब्दील होगा.''

कोलकाता में एक स्थानीय जिम जाने के बाद जल्द ही उन्हाेंने पाया कि शहर में दो तरह के जिम थे- पहले प्रकार के जिम बहुत कम शुल्क लेते थे और शहर के हर गली-मोहल्ले में मौजूद थे. दूसरे लग्जरी प्रकार के जिम तगड़ा मासिक शुल्क लेते थे.
सुभ्रज्योति अपनी पहली बीएमडब्ल्यू के साथ, जो उन्होंने अपनी कमाई से खरीदी है.

सुभ्रज्योति ने तत्काल कारोबारी संभावना तलाशीं और एक ऐसे जिम के बारे में विचार किया जो लग्जरी जिम की सुविधाएं कम शुल्क में उपलब्ध कराए.

वे कहते हैं, "मैंने अपना विचार अपने पिता को बताया, लेकिन शुरुआत में वे शंकित थे. मेरे पास 8 लाख रुपए थे. मैंने पिताजी से कहा कि वे मुझे 20 लाख रुपए का लोन दे दें. मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि डेढ़ साल बाद यह राशि 5 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटा दूंगा. वे इस शर्त पर मान गए कि मैं तय तारीख पर पैसे लौटा दूंगा.''

2016 में, दक्षिण कोलकाता में 28 लाख रुपए के निवेश से उन्होंने 2,200 वर्ग फीट के क्षेत्र में राइवल फिटनेस स्टूडियो नाम से अपना पहला जिम खोला.

सुभ्रज्योति के 29 वर्षीय छोटे भाई सुमनज्योति पॉल भी उसी साल कोलकाता आ गए और जाधवपुर यूनिवर्सिटी में एमबीए में एडमिशन ले लिया. वे सुभ्रज्योति को भी जिम में मदद करने लगे.

वे कहते हैं, "हमने मासिक शुल्क 2,000 रुपए रखा. पर्सनल ट्रेनर का शुल्क 3,700 रुपए था. अन्य जिम वाले इन्हीं सेवाओं के लिए 5,000 से 8,000 रुपए शुल्क ले रहे थे.''

जल्द ही, उनके जिम में ग्राहक आने लगे. इनमें टॉलीवुड के भी कई लोग थे. इन्हीं में से एक देबपर्णा बाद में उनकी पत्नी बनीं.

सुभ्रज्योति ने तय तारीख पर अपने पिता को लोन लौटा दिया और एक 34 लाख रुपए कीमत की बीएमडब्ल्यू कार खरीद ली. 8 लाख रुपए का डाउन पेमेंट उन्होंने अपनी कमाई से दिया.
अपने बॉस के साथ टीम राइवल फिटनेस स्टूडियो.

साल 2018 में, उन्होंने दक्षिण कोलकाता में अपना दूसरा जिम खोला और उसके अगले साल सिल्चर में तीसरा जिम फ्रैंचाइजी मॉडल पर शुरू किया. जिम के आकार के आधार पर वे फ्रैंचाइजी के लिए 50 लाख से लेकर 1.1 करोड़ रुपए तक शुल्क लेते हैं.

2019 में उन्होंने अपनी जिम की शृंखला को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तब्दील कर लिया. कंपनी की 96 प्रतिशत हिस्सेदारी उनके पास, जबकि शेष उनके भाई के पास है.

सुभ्रज्योति कहते हैं, "हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक हमारा टर्नओवर 4.2 करोड़ रुपए होगा.''

उदीयमान उद्मियों को सुभ्रज्योति सलाह देते हैं : जल्दबाजी में निर्णय न लें. समस्या के बारे में विस्तृत पड़ताल करें और इसके बाद व्यावसायिक रूप से उसे हल करने की कोशिश करें, और अंतत: अपने काम के प्रति जोश-जुनून रखें.

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Bikash Chowdhury story

    तंगहाली से कॉर्पोरेट ऊंचाइयों तक

    बिकाश चौधरी के पिता लॉन्ड्री मैन थे और वो ख़ुद उभरते फ़ुटबॉलर. पिता के एक ग्राहक पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर थे. उनकी मदद की बदौलत बिकाश एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में ऊंचे पद पर हैं. मुंबई से सोमा बैनर्जी बता रही हैं कौन है वो पूर्व क्रिकेटर.
  • Success story of three youngsters in marble business

    मार्बल भाईचारा

    पेपर के पुश्तैनी कारोबार से जुड़े दिल्ली के अग्रवाल परिवार के तीन भाइयों पर उनके मामाजी की सलाह काम कर गई. उन्होंने साल 2001 में 9 लाख रुपए के निवेश से मार्बल का बिजनेस शुरू किया. 2 साल बाद ही स्टोनेक्स कंपनी स्थापित की और आयातित मार्बल बेचने लगे. आज इनका टर्नओवर 300 करोड़ रुपए है.
  • Minting money with robotics

    रोबोटिक्स कपल

    चेन्नई के इंजीनियर दंपति एस प्रणवन और स्नेेहा प्रकाश चाहते हैं कि इस देश के बच्चे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले बनकर न रह जाएं, बल्कि इनोवेटर बनें. इसी सोच के साथ उन्होंने स्टूडेंट्स को रोबोटिक्स सिखाना शुरू किया. आज देशभर में उनके 75 सेंटर हैं और वे 12,000 बच्‍चों को प्रशिक्षण दे चुके हैं.
  • 3 same mind person finds possibilities for Placio start-up, now they are eyeing 100 crore business

    सपनों का छात्रावास

    साल 2016 में शुरू हुए विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता के आवास मुहैया करवाने वाले प्लासिओ स्टार्टअप ने महज पांच महीनों में 10 करोड़ रुपए कमाई कर ली. नई दिल्ली से पार्थो बर्मन के शब्दों में जानिए साल 2018-19 में 100 करोड़ रुपए के कारोबार का सपना देखने वाले तीन सह-संस्थापकों का संघर्ष.
  • PM modi's personal tailors

    मोदी-अडानी पहनते हैं इनके सिले कपड़े

    क्या आप जीतेंद्र और बिपिन चौहान को जानते हैं? आप जान जाएंगे अगर हम आपको यह बताएं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी टेलर हैं. लेकिन उनके लिए इस मुक़ाम तक पहुंचने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा. अहमदाबाद से पी.सी. विनोज कुमार बता रहे हैं दो भाइयों की कहानी.