Milky Mist

Wednesday, 17 December 2025

बेबी केयर प्राॅडक्ट की परेशानी से जूझी तो निकला स्टार्टअप का आइडिया, 4 साल में टर्नओवर 100 करोड़ रुपए पहुंचने की तैयारी

17-Dec-2025 By सोफिया दानिश खान
नई दिल्ली

Posted 06 Nov 2020

अपनी बेटी के लिए गुणवत्तापूर्ण बेबी केयर प्रॉडक्ट की खोज आखिरकार मलिका दत्त सादानी को अपना खुद का स्टार्टअप लॉन्च करने की ओर ले गई. यह स्टार्टअप अपने चौथे साल में 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर को छूने को तैयार है.  

मलिका के सपने की शुरुआत जून 2016 में हुई थी, जब उन्होंने 15 लाख रुपए से अपना स्टार्टअप अमीषी कंज्यूमर टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड लॉन्च किया. उन्होंने द मॉम्स कंपनी के बैनर तले एंटी-स्ट्रेच मार्क्स क्रीम, मॉर्निंग सिकनेस, ब्रेस्ट फीडिंग के प्रॉडक्ट्स, नई मांओं के लिए चेहरे और बालों की देखभाल के प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए.





द मॉम्स कंपनी की संस्थापक और सीईओ मलिका दत्त सादानी अपनी दोनों बेटियों के साथ.


कंपनी का पहले साल का टर्नओवर 2 लाख रुपए था. अगले साल यह 24 लाख रुपए हो गया. इसके बाद इसमें सालाना तीन गुना की वृद्धि होने लगी.

आज, द मॉम्स कंपनी 31 प्रॉडक्ट्स की विशाल रेंज उपलब्ध करवा रही है. इनमें नवजात शिशुओं और मांओं के लिए स्कीन केयर प्रॉडक्ट्स भी शामिल हैं. कंपनी के एक डायपर रश क्रीम की कीमत 199 रुपए है, वहीं प्रॉडक्ट की सजावट के साथ गिफ्ट बॉक्स की कीमत 2499 रुपए है.

38 वर्षीय मलिका अपने अतीत के दिनों में जीवन को लेकर बहुत उत्साहित थी. वे आर्मी अफसर की बेटी के रूप में बड़ी हुई, कैरियर शुरू किया, एमबीए करने के लिए ब्रेक लिया, फिर काम पर लौटीं, शादी की, बच्ची को बड़ा किया और एक व्यस्त उद्ममी बन गईं.

आर्मी अफसर की बेटी होने से उन्हें पूरे देश में रहने को मौका मिला. वे बताती हैं, "चूंकि पिता की नौकरी में तबादले होते रहते थे, इसलिए हमारे परिवार को विभिन्न संस्कृतियों के बीच रहने का सौभाग्य मिला.''

वे बताती हैं, "मैंने राजस्थान में कोटा के सोफिया स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इंजीनियरिंग करने पुणे चली गई. यह पहली बार था, जब मैंने घर छोड़ा और मुझे अकेले रहना पड़ा. ग्रेजुएशन के बाद मैंने सेंटर मैनेजर के रूप में दिल्ली में सीएमएस कंप्यूटर ज्वॉइन कर लिया. वहां मेरा काम लोगों को ज्वॉइन कराना था.''


मलिका ने 2017 में मॉम्स कंपनी बेबी केयर प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए.


एक साल बाद, मलिका ने तय किया कि वे मुंबई के वेलिंगकर इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए करेंगी. एमबीए के बाद वे असिस्टेंट मैनेजर के रूप में आईसीआईसीआई बैंक से जुड़ गईं.

साल 2008 में उनकी मोहित से शादी हो गई. मोहित ने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए किया था और वे मैक्किंजे में कंसल्टेंट के रूप में काम कर रहे थे. करीब डेढ़ साल बाद मोहित को मैक्किंजे लंदन में नौकरी मिल गई. दिसंबर 2010 तक मलिका ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और वे पति के साथ ही जुड़ गईं. उस समय वे तीन माह की गर्भवती थीं.

अपने पहले मातृत्व अनुभव के बारे में मलिका कहती हैं, "मैंने लंदन में अच्छा समय बिताया. असल में, मैं नई संस्कृति और जीने के नए तरीके से बहुत खुश थी. हम अपने दोस्तों में पहले दंपति थे, जो माता-पिता बन रहे थे. मेरी पहली बेटी मायरा हुई और 3 माह की उम्र में हमें एक कक्षा में उसका नामांकन कराना पड़ा. मेरा परिवार यह नहीं समझ पा रहा था कि हम ऐसा क्यों कर रहे थे. हालांकि मायरा को पालने-पोसने का हमारा अपना तरीका था.''

2012 में परिवार भारत लौट आया. मलिका के साथ एक साल की मायरा थी. लेकिन मलिका को उन बेबी केयर प्रॉडक्ट की बहुत याद आई, जो वे लंदन में इस्तेमाल किया करती थीं.

अब उन्हें वे प्रॉडक्ट विदेश से बुलवाना पड़ते थे. मलिका याद करती हैं, "हमारे पास एक लाल सूटकेस था, जिसका इस्तेमाल मेरे पति ट्रेवलिंग करते समय किया करते थे. मोहित जब भी विदेश से लौटते तो वह पूरी तरह मायरा की चीजों से भरा होता था. कई बार ऐसी भी स्थिति बनी कि सूटकेस में उनके सामान के लिए जगह नहीं बचती थीं.''

मलिका बताती हैं, "इस बीच हमने अपने दोस्तों से भी कहा कि वे विदेश से लौटते वक्त मॉश्चराइजिंग लोशन, डायपर और वाइप्स जैसे बेबी केयर प्रॉडक्ट्स लेते आएं. लेकिन यह बहुत थकाऊ हो चला था और मुझे मजबूरन भारतीय ब्रांड पर आना पड़ा.''


मलिका अपने पति और सह-संस्थापक मोहित सदानी के साथ.


मलिका जब दूसरी बार प्रेग्नेंट हुईं तो उनकी बड़ी बेटी को एग्जीमा डर्मटाइटिस हो गया. पीडिट्रिशियन ने सुझाव दिया कि मैं एक विशेष लोशन का इस्तेमाल बंद कर दूं. उसी के कारण यह स्थिति बनी थी.

मलिका बताती हैं, "डॉक्टर ने मुझे कहा कि मैं लोशन बदल दूं और मैं उनकी तरफ विश्वास और अविश्वास की नजरों से देखती रह गई. एक छोटा सा बदलाव मेरी बेटी पर इतना भारी पड़ा था. मैंने पढ़ा था कि त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग होती है और त्वचा पर जो भी इस्तेमाल किया जा रहा था, मुझे उसके प्रति अधिक सावधान रहना था. चूंकि अब मोहित अधिक विदेश नहीं जा रहे थे, इसलिए हमें अपने दोस्तों से फिर आग्रह करना पड़ा कि वे मायरा के लिए प्रॉडक्ट लेकर आएं.''

मलिका की दूसरी बेटी अस्थमा के साथ जन्मी. वे कहती हैं, "हमें उसके लिए अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी. हम फ्रैगरेंस इस्तेमाल नहीं कर सकते थे. इसमें ऐसे एलर्जेन होते हैं, जो अस्थमा बढ़ा सकते थे. डॉक्टर ने कहा कि यदि आप सावधान रहेंगे तो बेटी इसके हिसाब से ढल जाएगी.'' इस दौरान मैंने विभिन्न फेसबुक ग्रुप्स में सलाह ली और बच्चों के लिए कई प्राकृतिक उत्पाद खोज लिए. और इस तरह मॉम कंपनी का जन्म हुआ.

जून 2016 में अमीषी कंज्यूमर टेक्नोलॉजीस को शामिल कर लिया गया और मार्च 2017 में द मॉम कंपनी लॉन्च हो गई. मलिका कहती हैं, "शुरुआत में हमें 1 करोड़ रुपए का निवेश मिला और हमने अपनी यात्रा शुरू कर दी.''

कंपनी मलिका, मोहित और एक कर्मचारी से शुरू हुई थी. यह कर्मचारी एक वैज्ञानिक था. टॉक्सिन फ्री प्रॉडक्ट बनाने का आइडिया उन्हीं का था.

मलिका कहती हैं, "हम प्रॉडक्ट्स बनाते थे और पैकेजिंग किसी अन्य कंपनी से करवाते थे. वह कंपनी मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली और गुरुग्राम के चार वेयरहाउस में सामान भेज देती थी. हर प्रॉडक्ट की गुणवत्ता अच्छे से जांची जाती थी. मेरा परिवार हमेशा से इनका इस्तेमाल कर रहा है क्योंकि हम सर्वश्रेष्ठ में भरोसा करते हैं.''

आज द मॉम कंपनी में 54 कर्मचारी हैं. कंपनी का हेड क्वार्टर गुरुग्राम में है. सितंबर 2017 में कंपनी में डीएसजी कंज्यूमर और सामा कैपिटल ने 1 मिलियन डॉलर (6.5 करोड़ रुपए) का निवेश किया. सितंबर 2020 में कंपनी को सामा कैपिटल और डीएसजी कंज्यूमर पार्टनर्स से 8 मिलियन डॉलर का और निवेश मिला.


मलिका की कंपनी में 54 कर्मचारी काम कर रहे हैं.


मलिका कहती हैं कि उनकी सबसे बड़ी संतुष्टि यह है कि उनके प्रॉडक्ट काे विदेशी ब्रांड के बराबर आंका जाता है.

उनका सबसे खुशनुमा पहल वह था, जब वे एक मॉल में थीं और महिला ने उनके पास आकर उन्हें इन प्रॉडक्ट्स के लिए धन्यवाद दिया. मलिका कहती हैं, "इसने मेरी सासू मां को खुश कर दिया. वे मेरी पहचान बनने से खुश हुईं. इसके बाद एक पल वह भी था, जब मेरे पास एक महिला का फोन आया कि उसे अगले दिन दुबई की फ्लाइट पकड़नी है.''

"उनकी ननद गर्भवती थीं और वे द मॉम्स कंपनी के प्रॉडक्ट चाहती थीं. वे चाहती थीं कि गिफ्ट बॉक्स अगली सुबह तक डिलीवर हो जाएं. मैं यह रिवर्स ट्रेंड देखकर बहुत उल्लसित हुईं कि लोग अब बेबी केयर प्रॉडक्ट्स को भारत से विदेश ले जा रहे हैं. यह हमारी छोटी सी यात्रा का सबसे खूबसूरत पल था.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Bijay Kumar Sahoo success story

    देश के 50 सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में इनका भी स्कूल

    बिजय कुमार साहू ने शिक्षा हासिल करने के लिए मेहनत की और हर महीने चार से पांच लाख कमाने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट बने. उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और एक विश्व स्तरीय स्कूल की स्थापना की. भुबनेश्वर से गुरविंदर सिंह की रिपोर्ट
  • Weight Watches story

    खुद का जीवन बदला, अब दूसरों का बदल रहे

    हैदराबाद के संतोष का जीवन रोलर कोस्टर की तरह रहा. बचपन में पढ़ाई छोड़नी पड़ी तो कम तनख्वाह में भी काम किया. फिर पढ़ते गए, सीखते गए और तनख्वाह भी बढ़ती गई. एक समय ऐसा भी आया, जब अमेरिकी कंपनी उन्हें एक करोड़ रुपए सालाना तनख्वाह दे रही थी. लेकिन कोरोना लॉकडाउन के बाद उन्हें अपना उद्यम शुरू करने का विचार सूझा. आज वे देश में ही डाइट फूड उपलब्ध करवाकर लोगों की सेहत सुधार रहे हैं. संतोष की इस सफल यात्रा के बारे में बता रही हैं उषा प्रसाद
  • Story of Sattviko founder Prasoon Gupta

    सात्विक भोजन का सहज ठिकाना

    जब बिजनेस असफल हो जाए तो कई लोग हार मान लेते हैं लेकिन प्रसून गुप्ता व अंकुश शर्मा ने अपनी गलतियों से सीख ली और दोबारा कोशिश की. आज उनकी कंपनी सात्विको विदेशी निवेश की बदौलत अमेरिका, ब्रिटेन और दुबई में बिजनेस विस्तार के बारे में विचार कर रही है. दिल्ली से सोफिया दानिश खान की रिपोर्ट.
  • The rich farmer

    विलास की विकास यात्रा

    महाराष्ट्र के नासिक के किसान विलास शिंदे की कहानी देश की किसानों के असल संघर्ष को बयां करती है. नई तकनीकें अपनाकर और बिचौलियों को हटाकर वे फल-सब्जियां उगाने में सह्याद्री फार्म्स के रूप में बड़े उत्पादक बन चुके हैं. आज उनसे 10,000 किसान जुड़े हैं, जिनके पास करीब 25,000 एकड़ जमीन है. वे रोज 1,000 टन फल और सब्जियां पैदा करते हैं. विलास की विकास यात्रा के बारे में बता रहे हैं बिलाल खान
  • Metamorphose of Nalli silks by a young woman

    सिल्क टाइकून

    पीढ़ियों से चल रहे नल्ली सिल्क के बिज़नेस के बारे में धारणा थी कि स्टोर में सिर्फ़ शादियों की साड़ियां ही मिलती हैं, लेकिन नई पीढ़ी की लावण्या ने युवा महिलाओं को ध्यान में रख नल्ली नेक्स्ट की शुरुआत कर इसे नया मोड़ दे दिया. बेंगलुरु से उषा प्रसाद बता रही हैं नल्ली सिल्क्स के कायापलट की कहानी.