Milky Mist

Thursday, 21 November 2024

महाराष्ट्र के युवा ने 6 लाख रुपए निवेश कर 10 करोड़ रुपए टर्नओवर वाला स्नैक्स ब्रांड बनाया

21-Nov-2024 By सोफिया दानिश खान
चेन्नई

Posted 11 Oct 2021

जब सुदर्शन खुंगर को कारोबार में घाटा हुआ और परिवार तंगहाली से घिर गया, तब मनीष खुंगर महज 11 वर्ष के थे.

मनीष अब युवा हैं. 40 वर्षीय मनीष याद करते हैं, “हमारा परिवार साधारण जीवन जीता था. बहुत अधिक खर्चीला नहीं था. इसलिए इस झटके ने हमारे रोजमर्रा के जीवन पर असर नहीं डाला. लेकिन कोई भी बड़ा खर्च चिंता का कारण बन जाता था.” नागपुर के मनीष ने रॉयल स्टार स्नैक्स की स्थापना की. कंपनी कई तरह के स्नैक्स बनाती है, जिनमें पफ स्नैक्स, पास्ता और रेडी-टू-फ्राई आइटम आदि शामिल हैं.

मनीष खुंगर ने 2007 में 6 लाख रुपए के निवेश से रॉयल स्टार स्नैक्स की शुरुआत की थी. (तस्वीरें: विशेष व्यवस्था से)


मनीष का संघर्ष धैर्य और दृढ़ संकल्प की प्रेरक कहानी है. उन्होंने अपने परिवार के भाग्य की इबारत को नए सिरे से लिखा. नागपुर के एक कॉलेज से एमबीए करने के तुरंत बाद 26 साल की उम्र में 6 लाख रुपए के निवेश से कॉर्न स्टिक स्नैक्स का कारोबार शुरू किया, और इसे 10 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले ब्रांड के रूप में विकसित किया.

नागपुर में रहने के अपने फैसले के बारे में मनीष बताते हैं, “चूंकि मैंने जिस कॉलेज से एमबीए किया था, वह प्रतिष्ठित कॉलेजों में शुमार नहीं था, इसलिए मुझे अपनी उम्मीदों के मुताबिक नौकरी कभी नहीं मिली. मेरी दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. इकलौता बेटा होने से मैं माता-पिता को छोड़कर नौकरी की तलाश में दूसरे शहर नहीं जाना चाहता था.”

मनीष की पूरी शिक्षा नागपुर में हुई. उन्होंने बी.कॉम. किया, फिर एम.कॉम. किया और 2006 में एम.बी.ए. पूरा किया.

नौकरी न करने का फैसला लेने के बाद मनीष कारोबारी अवसर तलाशने लगे. मूंगफली चिक्की बार की उत्पादन इकाई लगाने की कुछ जानकारी हासिल करने के विचार के साथ उन्होंने 2007 में तमिलनाडु के कोयंबटूर का दौरा किया.

लेकिन जब मनीष ने वहां थोक विक्रेताओं को कॉर्न स्टिक्स बेचते देखा, तो उन्होंने नागपुर में भी ऐसा ही कारोबार स्थापित करने का फैसला किया.

शुरुआत में स्थानीय बाजार को लक्ष्य बनाने वाले मनीष कहते हैं, “मैंने दोस्तों और परिवार से 2.5 लाख रुपए उधार लिए और 4.5 लाख रुपए का बैंक से कर्ज लिया. इस तरह कॉर्न स्टिक्स बनाने के लिए 1,000 वर्ग फुट का कारखाना स्थापित किया.”

मनीष की पत्नी वर्षा बिजनेस में अहम भूमिका निभाती हैं.

मनीष की कंपनी केबी फूड्स एक प्रोपराइटरशिप फर्म है. कंपनी ने पहले साल में ही 11 लाख रुपए टर्नओवर हासिल किया.

धीरे-धीरे उन्होंने अपने उत्पादों का विस्तार किया और नए बाजारों में प्रवेश किया. उन्होंने छोटे बजट में कई जगहों का दौरा किया. वे कहते हैं, “मैंने स्थानीय बसों में यात्रा की. पैसे बचाने के लिए शुरुआती वर्षों में सस्ते होटलों में रहा.”

“मैं ज्यादातर यात्राओं पर सिर्फ 5000 रुपए लेकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक के शहरों का दौरा करता था. उसी राशि में आने-जाने, भोजन और रहने का प्रबंध करता था.”

जब उन्होंने शुरुआत की तो साथ में सिर्फ तीन कर्मचारी थे. जैसे-जैसे उन्होंने उत्पादन बढ़ाया, उन पर काम का भार बढ़ता गया.

वे कहते हैं, “मैं रात में कारखाने में भी रुका हूं. कर्मचारी कम थे और मैं दोनों पारियों के लिए सुपरवाइजर का खर्च नहीं उठा सकता था. इसलिए मैं कारखाने में काम की निगरानी करते हुए रात बिताता था.”

2008 में उन्होंने कच्चे कॉर्न फ्लैक्स बनाने के लिए किराए के स्थान पर एक और इकाई लगाई. लेकिन उन्हें यूनिट लगाने के 15 दिन के भीतर ही मशीनरी बेचनी पड़ी क्योंकि उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी नहीं थी. इससे उन्हें घाटा हुआ.

अगले साल उन्होंने अपनी कॉलेज की दोस्त वर्षा से शादी की और जीवन ने एक सुखद मोड़ लिया. मनीष कहते हैं, “वे वास्तव में मेरे लिए भाग्यशाली साबित हुईं. हमने एमबीए साथ-साथ किया था. शादी के एक साल में ही हमने बिजनेस में 1 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर लिया.”

वर्षा एम.बी.ए. के बाद आईसीआईसीआई बैंक से जुड़ गई थीं. मनीष के मुताबिक, “वर्षा ने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी. अब वे रॉयल स्टार स्नैक्स के साथ काम करती हैं. वे ई-कॉमर्स से जुड़ा काम संभालती हैं.”

वर्षा कठिन समय में मनीष के साथ खड़ी रहीं. मनीष कृतज्ञता से कहते हैं, “वर्षा ने बैंक कर्ज की किस्तें चुकाने में भी मेरी मदद की, क्योंकि तब मैं अपने दम पर किस्तें नहीं भर सकता था. जब मुझे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब मेरे साथ रहने के लिए मैं उनका हमेशा ऋणी रहूंगा.”

मनीष ने पिछले अगस्त में ही एक और प्रोडक्शन यूनिट शुरू की है.

अप्रैल 2009 में मनीष ने रेडी-टू-फ्राई स्नैक्स लॉन्च किया. इसे धमाकेदार सफलता मिली. यह वही महीने और साल था, जब उनकी शादी हुई थी.

2011 में उन्होंने ऑटोमैटिक प्रॉडक्शन शुरू कर दिया. मनीष कहते हैं, “श्रमिकों से जुड़े कुछ मुद्दे थे और ऑटोमेशन आवश्यकता बन गया था. हमने उसी दौरान मध्य पूर्व में निर्यात भी शुरू कर दिया.”

मनीष कहते हैं कि अब वे घरेलू बाजार पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और निर्यात पर कम. वे कहते हैं, “हमारा निर्यात हमारे कारोबार का सिर्फ 5% है.”

वित्त वर्ष 2013-14 में, जैसे-जैसे कारोबार का विस्तार हुआ, प्रियांशी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया गया. (कंपनी का नाम उनकी बेटी प्रियांशी के नाम पर रखा गया, जो अब 11 साल की है.)

उन्होंने एक और प्लांट शुरू किया और कॉर्न पफ का उत्पादन शुरू किया, जो आज उनके लोकप्रिय स्नैक्स में से एक है.

2017 में उन्होंने रेडी-टू-फ्राई 3डी स्नैक्स और पास्ता लॉन्च किया. दो साल बाद यानी कोविड लॉकडाउन की घोषणा से कुछ महीने पहले मनीष ने 12,000 वर्ग फुट के नए प्लांट पर काम शुरू किया और अगस्त 2020 में काम पूरा किया.

वे कहते हैं, “हम कोविड के पहले चरण से निकले ही थे और कारोबार बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे. तभी हमने रेडी-टू-बॉयल पास्ता में कदम रखा.”

उनके रेडी-टू-ईट स्नैक्स 5 रुपए से 35 रुपए की रेंज में उपलब्ध हैं. ये देश के कई हिस्सों के स्टोर और दुकानों में आसानी से उपलब्ध हैं.
दिलचस्प बात यह है कि मनीष ने जान-बूझकर अपने सभी पैकेजिंग पर ब्रांड का नाम इस तरह लिखवाया है कि वह कम दिखाई दे.

नागपुर स्थित अपनी प्रोडक्शन यूनिट में मनीष और वर्षा अपने कर्मचारियों के साथ. 

खाद्य उत्पाद का प्रकार पैकेट पर हमेशा मोटे अक्षरों में लिखा होता है - जैसे पफ स्नैक्स, भागर पफ्स, रागी पफ्स आदि. रॉयल स्टार स्नैक्स हमेशा छोटे अक्षरों में इस तरह लिखा गया है कि उस पर कम ध्यान जाए.

मनीष तर्क देते हुए कहते हैं, “खाद्य पदार्थ ही मुख्य होते हैं. मैं ज्वार, रागी और चावल जैसी स्वस्थ सामग्री से बने स्नैक्स पेश करना चाहता हूं. स्वस्थ, भुने हुए या बेक्ड रेडी-टू-ईट स्नैक्स अब मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है.”

मनीष न सिर्फ विशेष लोगों के लिए बल्कि सभी लोगों के लिए हेल्दी स्नैक्स बनाना चाहते हैं. वे कहते हैं, “मैं छोटे पैकेट की कीमत 10 रुपए रखना चाहता हूं, ताकि इसे सब लोग खरीद सकें. अन्य ब्रांड इतना स्नैक्स तीन गुना कीमत पर बेचते हैं.”

मनीष विस्तार को लेकर गंभीर हैं. वे कहते हैं कि वेंचर कैपिटलिस्ट कंपनी में 1.5 मिलियन अमेरिकी डाॅलर निवेश करने के लिए तैयार हैं. वे दावा करते हैं कि कंपनी का मौजूदा मूल्य करीब 40 करोड़ रुपए है.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Namarata Rupani's story

    डॉक्टर भी, फोटोग्राफर भी

    क्या कभी डाॅक्टर जैसे गंभीर पेशे वाला व्यक्ति सफल फोटोग्राफर भी हो सकता है? हैदराबाद की नम्रता रुपाणी इस अटकल को सही साबित करती हैं. उन्हाेंने दंत चिकित्सक के रूप में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन एक बार तबियत खराब होने के बाद वे शौकिया तौर पर फोटोग्राफी करने लगीं. आज वे दोनों पेशों के बीच संतुलन बनाते हुए 65 लाख रुपए सालाना कमा लेती हैं. बता रहे हैं गुरविंदर सिंह...
  • Poly Pattnaik mother's public school founder story

    जुनूनी शिक्षाद्यमी

    पॉली पटनायक ने बचपन से ऐसे स्कूल का सपना देखा, जहां कमज़ोर व तेज़ बच्चों में भेदभाव न हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए. आज उनके स्कूल में 2200 बच्चे पढ़ते हैं. 150 शिक्षक हैं, जिन्हें एक करोड़ से अधिक तनख़्वाह दी जाती है. भुबनेश्वर से गुरविंदर सिंह बता रहे हैं एक सपने को मूर्त रूप देने का संघर्ष.
  • Archna Stalin Story

    जो हार न माने, वो अर्चना

    चेन्नई की अर्चना स्टालिन जन्मजात योद्धा हैं. महज 22 साल की उम्र में उद्यम शुरू किया. असफल रहीं तो भी हार नहीं मानी. छह साल बाद दम लगाकर लौटीं. पति के साथ माईहार्वेस्ट फार्म्स की शुरुआती की. किसानों और ग्राहकों का समुदाय बनाकर ऑर्गेनिक खेती की. महज तीन साल में इनकी कंपनी का टर्नओवर 1 करोड़ रुपए पहुंच गया. बता रही हैं उषा प्रसाद
  • The Yellow Straw story

    दो साल में एक करोड़ का बिज़नेस

    पीयूष और विक्रम ने दो साल पहले जूस की दुकान शुरू की. कई लोगों ने कहा कोलकाता में यह नहीं चलेगी, लेकिन उन्हें अपने आइडिया पर भरोसा था. दो साल में उनके छह आउटलेट पर हर दिन 600 गिलास जूस बेचा जा रहा है और उनका सालाना कारोबार क़रीब एक करोड़ रुपए का है. कोलकाता से जी सिंह की रिपोर्ट.
  • Vikram Mehta's story

    दूसरों के सपने सच करने का जुनून

    मुंबई के विक्रम मेहता ने कॉलेज के दिनों में दोस्तों की खातिर अपना वजन घटाया. पढ़ाई पूरी कर इवेंट आयोजित करने लगे. अनुभव बढ़ा तो पहले पार्टनरशिप में इवेंट कंपनी खोली. फिर खुद के बलबूते इवेंट कराने लगे. दूसरों के सपने सच करने के महारथी विक्रम अब तक दुनिया के कई देशों और देश के कई शहरों में डेस्टिनेशन वेडिंग करवा चुके हैं. कंपनी का सालाना रेवेन्यू 2 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.