Milky Mist

Wednesday, 13 November 2024

तीन रुपए के पेन की बिक्री में मुनाफ़े ने सिखाया करोड़पति बनने का तरीक़ा

13-Nov-2024 By सोफ़िया दानिश खान
नई दिल्ली

Posted 18 Aug 2018

दस साल की उम्र में जतिन आहूजा ने एक दोस्त को तीन रुपए में एक पेन बेचा और छोटा सा मुनाफ़ा कमाया.

आज 32 साल की उम्र में वो बिग ब्वाय टॉयज़ के मालिक हैं.

बिग ब्वाय टॉयज़ सेकंड हैंड हाई-ऐंड कारों जैसे बीएमडब्ल्यू, ऑडी, लैंबोरघीनी और रेंज रोवर का नामी रीटेल ब्रैंड है, जिसका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपए है.

गुड़गांव (अब गुरुग्राम)  में आप बिग ब्वाय टॉयज़ (बीबीटी) के तीन मंज़िला शोरूम को अनदेखा नहीं कर सकते.

शोरूम के अंदर 50 लाख से चार करोड़ रुपए तक की कारें प्रदर्शित हैं.

साल 2005 में मुंबई में आई बाढ़ से प्रभावित हुई एक मर्सिडीज़ को जतिन आहूजा ने ठीक किया और 25 लाख रुपए के मुनाफ़े में बेचा. इसी के बाद साल 2007 में बीबीटी का जन्‍म हुआ. (सभी फ़ोटो : नवनिता)


जतिन यह सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहक को कार उत्‍कृष्‍ट स्थिति में मिले और कार पुरानी जैसी नहीं दिखे.

जतिन बताते हैं, बेचने के लिए रखे जाने से पहले हर कार क्वालिटी चेक के 150 स्टेप्स से गुज़रती है. हम ग्राहकों को कार के मेंटेनेंस के बारे में भी बताते हैं.

बीबीटी का सपना देखने और इसे इस मुकाम तक लाने वाले जतिन बताते हैं, हम 20 प्रतिशत पैसा लेते हैं और शेष राशि का लोन भी करवा देते हैं. कार वापस लेने की भी गारंटी देते हैं और उसके इस्तेमाल को देखते हुए 60-80 प्रतिशत क़ीमत वापस कर देते हैं.

जतिन दिल्ली में पैदा हुए और पले-बढ़े. उन्होंने माता जय कौर पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की और फिर साल 2002 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री ली. वो अपनी बैच के टॉपर्स में से एक थे.

लेकिन उन्हें हमेशा से कार से प्यार था. कॉलेज पूरा करने के मात्र छह महीने बाद उन्होंने 70,000 रुपए में पुरानी फिएट पालियो ख़रीदी और उसके नवीकरण पर 1.3 लाख रुपए ख़र्च किए. यह पैसा उन्होंने अपने पिता से लिया, जो जाने-माने चार्टर्ड अकाउंटेंट थे.

लेकिन बाज़ार में इस कार को अच्छे दाम नहीं मिले.

जतिन बताते हैं, मुझे जो सबसे अच्छा ऑफ़र मिला, वो 1.5 लाख था. इसका मतलब था कि अगर मैं कार उस दाम पर बेचता तो मुझे 50,000 रुपए का नुकसान होता. मैं बहुत निराश हुआ और मैंने कार ख़ुद ही इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया.

साल 2005 में उन्हें पहली बार किसी डील में मुनाफ़ा हुआ.

उन्होंने एक ऐसी मर्सिडीज़ कार ख़रीदी, जिसे मुंबई में आई बाढ़ में नुकसान पहुंचा था. जतिन ने उस कार को ठीक करवाया और 25 लाख रुपए के मुनाफ़े पर बेचा.

अपने पहले क्लाइंट के बारे में जतिन बताते हैं, वो बाद में मेरे मेंटर, गाइड, इंस्पिरेशन और बहुत अच्छे दोस्त बन गए. उनसे मैंने सीखा कि कैसे एक फ़र्स्ट जेनरेशन बिज़नेसमैन भी चमत्कार कर सकता है.

बीबीटी से हाई-ऐंड बाइक्‍स की बिक्री भी की जाती है.


साल 2006 में जतिन ने देखा कि लोग फ़ैंसी मोबाइल नंबरों के दीवाने हैं. उन्होंने वोडाफ़ोन से 9999 सिरीज़ के 1,200 सिम कार्ड ख़रीदे और ग्राहकों को बेचकर थोड़े समय में 24 लाख रुपए कमाए.

साल 2007 तक उन्होंने ख़ुद की बचत और अपने पिता के पैसे से दो करोड़ रुपए इकट्ठा किए. इस पैसे से उन्होंने मैगस कार्स लिमिटेड नामक कंपनी शुरू की, जो दुनिया भर से नई कारें इम्‍पोर्ट करती थी और उन्‍हें भारत में बेचती थी.

लेकिन जल्द ही परेशानियां खड़ी हो गईं. ग्राहक आम तौर पर अपनी पुरानी कारों को एक्सचेंज कर नई गाड़ियां ख़रीद लेते थे, लेकिन जतिन के लिए पुरानी कारों को ठिकाने लगाना आसान नहीं था.

जतिन बताते हैं, यहीं पर कंपनी को नुकसान होने लगा. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि पुरानी कारों का क्या किया जाए. इस बिज़नेस के कई लोगों ने भी मुझे ग़लत सलाह दी.

लेकिन वक्त बदला और वो अपने बिज़नेस में बदलाव लेकर आए. पुरानी मर्सिडीज कार को ख़रीदकर अच्‍छे मुनाफ़े पर बेचने का प्रयोग उन्‍हें वापस इस बिज़नेस की तरफ़ खींच लाया.

साल 2009 में उन्होंने बिग ब्वाय टॉयज़ या बीबीटी लॉन्‍च की. यहां सेकंड हैंड लग्ज़री कारों को पुनर्सज्‍जा कर बेचा जाता था.

बीबीटी ब्रैंड इतना हिट हुआ कि पहले साल में ही कंपनी का टर्नओवर छह करोड़ रुपए पहुंच गया. तबसे इसमें लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है.

बीबीटी शुरू करने के 10 साल से भी कम समय यानी 2016 में कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रुपए पार कर गया.

गुड़गांव के अलावा बीबीटी का एक अन्‍य शोरूम दक्षिण दिल्ली में है. कंपनी की योजना मुंबई और हैदराबाद में भी शोरूम खोलने की है.

कंपनी का सालाना टर्नओवर 1,000 करोड़ रुपए तक पहुंचाना ही जतिन का लक्ष्‍य है.


जतिन सभी मेट्रो शहरों में अपने शोरूम खोलना चाहते हैं क्‍योंकि उनका मानना है कि आने वाले सालों में भारत में इस्तेमाल की गई कारों की बिक्री नई कार की बिक्री को पार कर जाएगी.

आज कंपनी में क़रीब 100 कर्मचारी हैं और वो सभी कार के दीवाने हैं.

जतिन खुद दो करोड़ की रेंज रोवर ऑटोबायोग्राफ़ी सुपरचार्ज्ड कार चलाते हैं जिसकी नंबर प्लेट है डीडीसी-1. उनकी ड्रीम कार है साढ़े चार करोड़ की रोल्स रॉयल फ़ैंटम.

गुड़गांव स्थित शोरूम में बीबीटी के स्‍टाफ़ के साथ जतिन.


जतिन की मानें तो नोटबंदी से कार की बिक्री पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ा, क्‍योंकि अधिकतर लोग लोन लेते हैं, वहीं जीएसटी से बिक्री प्रभावित हुई.

जतिन के मुताबिक, लग्ज़री कारों को 48 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में रखा गया था, जिसका नकारात्मक असर हुआ था. जब मैंने मारुति, महिंद्रा और टाटा जैसी कंपनियों के साथ सरकारी विभागों से बात की और इसे ठीक करने को कहा, तब इसे बदलकर 18 प्रतिशत कर दिया गया.

इस्तेमाल की गई कारों के अलावा बीबीटी नई मैसेराती, बीएमडब्ल्यू ई-4 कार भी बेचती है.

उन्होंने सचिन तेंदुलकर और शाहरुख खान की इस्तेमाल की गई कारें भी खरीदीं. जतिन इन-फ़िल्म ब्रैंडिंग के लिए फ़िल्म एजेंसियों और प्रोड्यूसरों के साथ भी काम करते हैं.

पब्लिसिटी का फ़ायदा हुआ और उसका नतीजा यह कि आज बीबीटी के साथ हनी सिंह, युवराज सिंह, दिनेश कार्तिक और विराट कोहली जैसी हस्तियां जुड़ी हुई हैं.

जतिन हर महीने क़रीब 30 कार बेचते हैं.

बीबीटी शोरूम के भीतर बिक्री के लिए रखी गई हाई-ऐंड कारों का नज़ारा.


जतिन का लक्ष्य है कंपनी के टर्नओवर को 250 करोड़ से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपए तक ले जाना. वो यह विरासत अपनी बेटी ज़ारा के लिए सहेजना चाहते हैं और उसके लिए उसी तरह प्रेरणा बनना चाहते हैं, जैसे उनके पिता बने थे.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • The Yellow Straw story

    दो साल में एक करोड़ का बिज़नेस

    पीयूष और विक्रम ने दो साल पहले जूस की दुकान शुरू की. कई लोगों ने कहा कोलकाता में यह नहीं चलेगी, लेकिन उन्हें अपने आइडिया पर भरोसा था. दो साल में उनके छह आउटलेट पर हर दिन 600 गिलास जूस बेचा जा रहा है और उनका सालाना कारोबार क़रीब एक करोड़ रुपए का है. कोलकाता से जी सिंह की रिपोर्ट.
  • Poly Pattnaik mother's public school founder story

    जुनूनी शिक्षाद्यमी

    पॉली पटनायक ने बचपन से ऐसे स्कूल का सपना देखा, जहां कमज़ोर व तेज़ बच्चों में भेदभाव न हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए. आज उनके स्कूल में 2200 बच्चे पढ़ते हैं. 150 शिक्षक हैं, जिन्हें एक करोड़ से अधिक तनख़्वाह दी जाती है. भुबनेश्वर से गुरविंदर सिंह बता रहे हैं एक सपने को मूर्त रूप देने का संघर्ष.
  • Pagariya foods story

    क्वालिटी : नाम ही इनकी पहचान

    नरेश पगारिया का परिवार हमेशा खुदरा या होलसेल कारोबार में ही रहा. उन्होंंने मसालों की मैन्यूफैक्चरिंग शुरू की तो परिवार साथ नहीं था, लेकिन बिजनेस बढ़ने पर सबने नरेश का लोहा माना. महज 5 लाख के निवेश से शुरू बिजनेस ने 2019 में 50 करोड़ का टर्नओवर हासिल किया. अब सपना इसे 100 करोड़ रुपए करना है.
  • Miyazaki Mango story

    ये 'आम' आम नहीं, खास हैं

    जबलपुर के संकल्प उसे फरिश्ते को कभी नहीं भूलते, जिसने उन्हें ट्रेन में दुनिया के सबसे महंगे मियाजाकी आम के पौधे दिए थे. अपने खेत में इनके समेत कई प्रकार के हाइब्रिड फलों की फसल लेकर संकल्प दुनियाभर में मशहूर हो गए हैं. जापान में 2.5 लाख रुपए प्रति किलो में बिकने वाले आमों को संकल्प इतना आम बना देना चाहते हैं कि भारत में ये 2 हजार रुपए किलो में बिकने लगें. आम से जुड़े इस खास संघर्ष की कहानी बता रही हैं सोफिया दानिश खान
  • Geeta Singh story

    पहाड़ी लड़की, पहाड़-से हौसले

    उत्तराखंड के छोटे से गांव में जन्मी गीता सिंह ने दिल्ली तक के सफर में जिंदगी के कई उतार-चढ़ाव देखे. गरीबी, पिता का संघर्ष, नौकरी की मारामारी से जूझीं. लेकिन हार नहीं मानी. मीडिया के क्षेत्र में उन्होंने किस्मत आजमाई और द येलो कॉइन कम्युनिकेशन नामक पीआर और संचार फर्म शुरू की. महज 3 साल में इस कंपनी का टर्नओवर 1 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. आज कंपनी का टर्नओवर 7 करोड़ रुपए है. बता रही हैं सोफिया दानिश खान