Milky Mist

Wednesday, 9 July 2025

दांतों का इलाज करते-करते शौकिया फोटोग्राफी करने लगीं; अब पेशेवर फोटोग्राफर हैं, इससे 65 लाख रुपए सालाना कमा लेती हैं

09-Jul-2025 By गुरविंदर सिंह
हैदराबाद

Posted 21 Dec 2020

एक आशावादी हर परिस्थिति में अवसर तलाश लेता है. नम्रता मोतिहार रुपाणी ने डेंटिस्ट के रूप में प्रशिक्षण लिया था. कोई आश्चर्य नहीं कि वे आशावादी भी थीं. हालांकि 26 साल की उम्र में बीमारी से उभरते हुए उन्हाेंने फोटोग्राफी में हाथ आजमाए और कठिन परिश्रम और जुनून के बलबूते प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में खुद काे स्थापित करके दिखाया.

आज, वे प्रतिभाशाली फोटोग्राफर हैं. हैदराबाद स्थित अपनी फोटो सर्विस कंपनी कैप्चर लाइफ के जरिये 65 लाख रुपए सालाना कमाती हैं. वे फोटोग्राफी वर्कशॉप्स आयोजित करती हैं. बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल की शादी को शूटिंग उनके यादगार कामों में शुमार है.

नम्रता रुपाणी ने ट्रेनिंग को दांतों के डॉक्टर के रूप में ली थी, लेकिन अब मशहूर फोटोग्राफर हैं. (सभी फोटो : विशेष व्यवस्था से)

नम्रता वर्तमान में हैदराबाद में रहती हैं. वे मूल रूप से दिल्ली की हैं. उन्होंने दंत चिकित्सा की पढ़ाई क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) लुधियाना से की है. 2003 में शादी के बाद वे हैदराबाद आ गई थीं.

नम्रता ने शुरुआत में एक प्राइवेट डेंटल हाॅस्पिटल में कंसल्टेंट के रूप में काम किया. वे कहती हैं, "एक बीमारी के बाद मुझ पर काम से थोड़ा आराम लेने का दबाव पड़ा. इस बीच 2005 में मैंने शौकिया तौर पर फोटोग्राफी शुरू की थी.''

बीमारी के दौरान शुरू की गई फोटोग्राफी के शुरुआती छोटे-छोटे कदमों के बारे में नम्रता कहती हैं, "मैंने कोई पेशेवर कोर्स नहीं किया था. लेकिन इंटरनेट और किताबें पढ़-पढ़कर फोटोग्राफी सीखी. मैंने एक डीएसएलआर कैमरा खरीदा और फोटोग्राफी में निपुण होती गई.''

2007 में जब नम्रता काम पर लौटने के लिए पूरी तरह फिट हो गईं तो उन्होंने खुद का डेंटल क्लिनिक कॉन्सेप्ट 32 शुरू कर लिया. 2008 में उन्हें एक कॉरपोरेट हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक डेंटिस्ट का अतिरिक्त काम भी मिल गया.

नम्रता अपने नए शौक को आगे बढ़ाने में सहयोग के लिए अपने बिजनेसमैन पति के सहयोग का जिक्र करना नहीं भूलतीं. वे कहती हैं, "मैं वीकेंड्स पर शूटिंग के लिए शहर से बाहर गांवों में चली जाती थी. लोगों के फोटो खींचती या प्रकृति के नजारे कैमरे में कैद करती. मैं अलसुबह घर से निकल जाया करती थी और झीलों और मनोरम स्थलों के फोटो शूट करती थी. जो भी मुझे लुभाता, मैं उसका फोटो खींच लेती थी.''

नम्रता ने शुरुआत में अपने फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए, जिससे लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ.


जब नम्रता ने अपने खींचे फोटो सोशल मीिडया पर पोस्ट करने शुरू किए तो उनके काम को पहचान मिलने लगी. वे बताती हैं, "मुझे फोटो शूट के लिए ऑफर मिलने लगे और मैंने इसी राह पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया.''

नम्रता काे पहला पेशेवर असाइनमेंट एक दोस्त के बेटे का पोर्टेट शूट करने का मिला. इसके लिए उन्होंने 4000 रुपए लिए. वे याद करती हैं कि उन्होंने 2010 से 2012 के बीच 100 से अधिक शूट किए.

जब नम्रता पेशेवर फोटोग्राफर बन गईं तो जीवन व्यस्त होता चला गया. वे कहती हैं, "मैंने इवेंट्स शूट और वेडिंग शूट भी शुरू कर दिया था. दूसरी तरफ क्लिनिक में प्रैक्टिस भी जारी थी. मैंने अपने क्लिनिक के लिए शाम का समय तय किया था, जबकि सुबह कॉरपोरेट हॉस्पिटल में समय देती. इन सबके बीच मैं शूटिंग में व्यस्त रहती.''

हालांकि साल 2012 में उन्होंने कॉरपोरेट हॉस्पिटल छोड़ दिया. क्योंकि अब वे सुबह से शाम तक व्यस्त रहने लगी थीं और सब कुछ संभालना उनके लिए मुश्किल होने लगा था. इसलिए अब वे सिर्फ प्रैक्टिस और फोटोग्राफी पर ध्यान देने लगीं.

अगले चार साल वे डॉक्टरी पेशे और फोटोग्राफी दोनों को संभालती रहीं. उन्होंने देशभर में 150 से अधिक वेडिंग और इवेंट कवर किए. उन्हें मलेशिया में भी काम मिला.

साल 2016 में, वे आर्ट प्रिंटिंग के क्षेत्र में आईं और अपने सभी बिजनेस को बंजारा हिल्स में 1100 वर्ग फीट की विशाल जगह पर एक छत के नीचे ले आईं. वे कहती हैं, "मुझे महसूस हुआ कि मेरा क्लिनिक बहुत छोटा था और साइन आर्ट प्रिंटिंग के लिए मुझे जगह की जरूरत थी.''
नम्रता का सुरुचिपूर्ण तरीके से डिजाइन किया गया ऑफिस डेंटल क्लिनिक आने वाले मरीजों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

वे कहती हैं, "लोगों ने मुझसे कहा कि मैं सबकुछ एक छत के नीचे लाकर गलती कर रही हूं. उनका मानना था कि इससे ऐसी छवि बनेगी कि मैं अपने दंत चिकित्सा के पेशे के प्रति गंभीर नहीं हूं और बहुत सारी चीजों में उलझी हुई हूं. लेकिन मैं अडिग रही. मेरा मानना था कि मेरे क्लिनिक आने वाले मरीजों के लिए यह बिलकुल अलग अनुभव होगा. इससे मेरा आने-जाने का बहुत सा समय भी बचेगा.

नम्रता की सोच सही साबित हुई. मरीजों ने उनके ऑफिस आना पसंद किया. उन्होंने वहां दीवारों पर लगे पाेर्टेट्स और आर्ट एक्जीबिशन को पसंद किया.

नम्रता का काम कई एग्जीबिशन में दिखाया जा चुका है. उन्हें एलएंडटी ने हैदराबाद में मेट्रो रेल तैयार होने का दस्तावेज बनाने का काम भी दिया. उन्हें फियरलेस फोटोग्राफर्स की सूची में भी स्थान मिला है. यह एक ऐसा फोरम है, जो दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ वेडिंग फोटोग्राफरों को समर्पित है.

नम्रता 10 डॉक्टरों और दो फोटोग्राफरों की टीम के साथ काम करती हैं.

नए उद्यमियों को नम्रता सलाह देती हैं : आप जो कर रहे हैं, उसे लेकर अगर आप सहमत हैं, तो लोग क्या कहेंगे, इस बारे में कभी भयभीत न हों. मैंने कभी फोटोग्राफी के बारे में नहीं सोचा था. यह बस शुरू हो गई. जीवन यात्रा का आनंद लेने का दूसरा नाम है और उद्यमियों को कठिन परिश्रम करने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्हें इससे थकना नहीं चाहिए.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Punjabi girl IT success story

    इस आईटी कंपनी पर कोरोना बेअसर

    पंजाब की मनदीप कौर सिद्धू कोरोनावायरस से डटकर मुकाबला कर रही हैं. उन्‍होंने गांव के लोगों को रोजगार उपलब्‍ध कराने के लिए गांव में ही आईटी कंपनी शुरू की. सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपए है. कोरोना के बावजूद उन्‍होंने किसी कर्मचारी को नहीं हटाया. बल्कि सबकी सैलरी बढ़ाने का फैसला लिया है.
  • Dr. Rajalakshmi bengaluru orthodontist story

    रोक सको तो रोक लो

    राजलक्ष्मी एस.जे. चल-फिर नहीं सकतीं, लेकिन उनका आत्मविश्वास अटूट है. उन्होंने न सिर्फ़ मिस वर्ल्ड व्हीलचेयर 2017 में मिस पापुलैरिटी खिताब जीता, बल्कि दिव्यांगों के अधिकारों के लिए संघर्ष भी किया. बेंगलुरु से भूमिका के की रिपोर्ट.
  • Success story of Wooden Street

    ऑनलाइन फ़र्नीचर बिक्री के महारथी

    चार युवाओं ने पांच लाख रुपए की शुरुआती पूंजी लगाकर फ़र्नीचर के कारोबार की शुरुआत की और सफल भी हुए. तीन साल में ही इनका सालाना कारोबार 18 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. नई दिल्ली से पार्थाे बर्मन के शब्दों में पढ़ें इनकी सफलता की कहानी.
  • how a boy from a small-town built a rs 1450 crore turnover company

    जिगर वाला बिज़नेसमैन

    सीके रंगनाथन ने अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए जब घर छोड़ा, तब उनकी जेब में मात्र 15 हज़ार रुपए थे, लेकिन बड़ी विदेशी कंपनियों की मौजूदगी के बावजूद उन्होंने 1,450 करोड़ रुपए की एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय कंपनी खड़ी कर दी. चेन्नई से पीसी विनोज कुमार लेकर आए हैं ब्यूटी टायकून सीके रंगनाथन की दिलचस्प कहानी.
  • Red Cow founder Narayan Majumdar success story

    पूर्वी भारत का ‘मिल्क मैन’

    ज़िंदगी में बिना रुके खुद पर विश्वास किए आगे कैसे बढ़ा जाए, नारायण मजूमदार इसकी बेहतरीन मिसाल हैं. एक वक्त साइकिल पर घूमकर किसानों से दूध इकट्ठा करने वाले नारायण आज करोड़ों रुपए के व्यापार के मालिक हैं. कोलकाता में जी सिंह मिलवा रहे हैं इस प्रेरणादायी शख़्सियत से.