Milky Mist

Sunday, 28 May 2023

दो भाइयों ने 60 हजार रुपए से ऑनलाइन गारमेंट स्टोर शुरू किया, अब यह 14 करोड़ टर्नओवर वाला बिजनेस

28-May-2023 By उषा प्रसाद
नई दिल्ली

Posted 20 Mar 2021

दो भाई खालिद रजा खान और अकरम तारिक खान जब इंजीनियरिंग कॉलेज में थे, तब उन्होंने योरलिबास नामक ऑनलाइन स्टोर शुरू किया. 60 हजार रुपए के छोटे से निवेश से शुरू किए गए इस स्टोर से डिजाइनर एथनिक पाकिस्तानी सूट्स बेचे जाते थे.


आज, दोनों छह साल में सफल हो चुके इस बिजनेस का आनंद ले रहे हैं. यह अब 14 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली कंपनी बन चुका है. दिल्ली में 2,000 वर्ग फुट में इसका ऑफिस है. इसमें 23 कर्मचारी काम करते हैं.

खालिद रजा खान (बाएं) और अकरम तारिक खान ने 2014 में योरलिबास की स्थापना की थी. खालिद की पत्नी शाहपर खान (बीच में) भी कारोबार से जुड़ी हैं. (फोटो: विशेष व्यवस्था से)

एक्सएलआरआई जमशेदपुर से ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री लेने वाले योरलिबास डॉट कॉम (yourlibaas.com) के सह-संस्थापक अकरम कहते हैं, “शुरुआत में हमने उत्पाद अपने फेसबुक पेज पर शेयर किए. इसके दो महीनों बाद वेबसाइट शुरू हुई.”

योरलिबास पर पाकिस्तान और यूएई के शीर्ष डिजाइनर्स के कैटलाॅग प्रदर्शित हैं. इनमें सना सफिनाज, मारिया. बी, गुल अहमद, सफायर, जरा शाहजहां, इलान, फराज मैनन, करिज्मा, बारोक और मोटिफ्स समेत अन्य भी शामिल हैं. ये सभी डिजाइनर्स पहले यूएई में हुआ करते थे.

योरलिबास के संस्थापक और सीईओ खालिद ने अपनी बचत और परिवार से उधार लेकर 60,000 रुपए एकत्र किए और थोक कारोबारी से पहला कैटलॉग खरीदा.

उन्होंने अपने पुणे स्थित फ्लैट पर 2014 में योरलिबास डॉट कॉम स्थापना तब की, जब उनकी उम्र महज 24 साल थी. उस समय वे पुणे इंस्टिट्यूट ऑफ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी (पीआईसीटी) से कंप्यूटर इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे.

उस वक्त उनके छोटे भाई अकरम 19 वर्ष के थे और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर्स में इंजीनियरिंग करने के लिए एडमिशन लिया ही था.

दोनों भाइयों का जन्म मध्य पूर्व में रियाद में हुआ था. दोनों वहीं पले-बढ़े. 2001 में उनकी मां ने अपने पांच बच्चों के साथ भारत लौटना तय किया. इनमें दो बेटियां और तीन बेटे थे. वे चाहती थीं कि उनकी बेटियां उच्च शिक्षा भारत में पूरी करें.

उनके पिता केमिकल इंजीनियर थे. उन्होंने रियाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी में फायरप्रूफिंग संबंधी काम जारी रखा.
जब योरलिबास की शुरुआत हुई, तब अकरम की उम्र महज 19 साल थी.

किशोरवस्था में खालिद और अकरम ने कई ब्लॉग्स, स्टैटिक वेबसाइट्स और विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे जाम्बर (सोशल नेटवर्किंग साइट), होस्टलनीड्स डॉट कॉम (छात्रावास उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन स्टोर), यूथटाइम्स डॉट इन (युवाओं के लिए ई-मैग्जीन) और लेटेस्टमूवीज डॉट कॉम (मूवी पोर्टल) शुरू किए.

लेकिन सफलता का स्वाद चखने के लिए उन्हें योरलिबास के लॉन्च होने तक का इंतजार करना पड़ा.

दरअसल, लखनऊ की एक यात्रा के दौरान खालिद को पाकिस्तानी सूट्स के बारे में पता चला था. वहां उनके एक संबंधी पाकिस्तानी सूट के कपड़े अपने करीबी लोगों को बेचते थे.

खालिद बताते हैं, “वे कपड़े मशहूर हो गए थे. और मुझे पता चला कि उस समय उन्हें ऑनलाइन कोई नहीं बेच रहा था. वही पल था, जब मैंने तय किया कि मैं यह काम करूंगा.”

पाकिस्तानी सूट्स की विशेषता बताते हुए अकरम कहते हैं कि यह लॉन फैब्रिक का बनता है. यह कॉटन के समान होता है लेकिन उसका अधिक परिष्कृत रूप होता है. इसमें सिलवटें नहीं पड़तीं, यह मुलायम और हवादार होता है.

वे कहते हैं, “लॉन फैब्रिक पाकिस्तान का देसी कपड़ा है और इसीलिए यह विशेष है.”

“पाकिस्तान में लॉन फैब्रिक के कपड़े पहनना आम बात है. लेकिन भारत में औसत पाकिस्तानी सूट भी 5,000 रुपए का मिलता है. यह अब डिजाइनर हो चला है और इसकी सिलाई भी बहुत महंगी पड़ती है.”

पहले ही दिन, खालिद को 30,000 रुपए के ऑर्डर मिले और दो से तीन दिन में शुरुआती स्टॉक बिक गया.

बाद में खालिद ऑनलाइन पेमेंट से भी जुड़ गए. उन्होंने शिपरॉकेट से समझौता किया है. यह एक ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स फर्म है, जो ऑर्डर की डिलीवरी करती है. चूंकि इसे ग्राहकों तक सामान पहुंचाने में तीन से चार दिन लगते थे, इसलिए उन्होंने बाद में डाक विभाग की सेवा लेनी शुरू कर दी.

खालिद याद करते हैं, “उन दिनों पैकेट भेजने के लिए मुझे रात में अपने कॉलेज से 20 किमी दूर पुणे रेलवे स्टेशन जाना पड़ता था. मैं अपने सारे काम खुद करता था, कॉलेज और नया काम दोनों संभालता था.”

शुरुआत में उन्हें मुख्य रूप से दिल्ली और पंजाब के क्षेत्रों से ही ऑर्डर मिलते थे.
खालिद अब यूएई में ही रहने लगे हैं, ताकि वहां से योरलिबास का कामकाज संभाल सकें.

2015 में, उन्होंने नोएडा के सेक्टर 50 में ऑफिस-कम-वेयरहाउस 25,000 रुपए महीने के हिसाब से किराए से लिया.

शुरुआती दिनों में कई उतार-चढ़ाव आए, जिनसे वे धीरे-धीरे उबर गए.

अकरम स्पष्ट करते हैं, “हमने देखा कि करीब 50% ऑर्डर वापस आ जाते थे क्योंकि ग्राहक डिलीवरी लेने से मना कर देते थे, उपलब्ध नहीं होते थे, उन्हें कपड़े पसंद नहीं आते थे या पता गलत होता था.

“पहले दो साल हमें कोई मुनाफा नहीं हो पाया. कोई ग्राहक दोबारा खरीदी के लिए नहीं आता था. हम विज्ञापनों, मार्केटिंग और शुरुआत में लॉजिस्टिक्स में पैसे झोंक रहे थे.”

इन सबके बीच एक बड़ी घटना हुई. एक होलसेलर ने 1.2 लाख रुपए के एडवांस पेमेंट के बावजूद हमें कपड़े डिलीवर नहीं किए. अधिकतर समस्याएं 2018 में तब खत्म हो गईं, जब उन्होंने अपने पूरे बिजनेस को ऑटोमेटेड कर दिया. इसमें बुकिंग, ऑर्डर की ट्रैकिंग और रिटर्न तक की सारी प्रक्रिया अपने आप होने लगी.

अकरम कहते हैं, “अब सामान लौटने की दर 10% से 15% थी, जो ऑटोमेशन के पहले 30% हुआ करती थी.”

हालांकि कोविड लॉकडाउन की वजह से उन्हें अपना काम बंद करना पड़ा, लेकिन जैसे ही बिजनेस खुले, उन्हें फिर बड़ी संख्या में नए ऑर्डर मिलने लगे.

अकरम बताते हैं, “आज, लोगों ने अपनी मर्जी से ऑनलाइन खरीदी शुरू कर दी है. इससे हमारे प्लेटफॉर्म पर नए ग्राहकों की अच्छी-खासी संख्या हो गई है.”

पिछले दिसंबर में उन्होंने दुबई, यूएई में भी एक ऑफिस खोला. वहां कई पाकिस्तानी डिजाइनर्स भी हैं. इस कदम से उनकी डिलीवरी करने की लागत बचेगी क्योंकि उनके कई ग्राहक मध्य पूर्व के देशों जैसे यूएई, ओमान, कुवैत, कतर और सऊदी अरब से हैं.
दिल्ली में योरलिबास का वेयरहाउस.

भारत में पाकिस्तानी सूट के बड़े मार्केट पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, केरल, हैदराबाद, मुंबई और कोलकाता में फैले हैं. टियर-2 शहरों जैसे अलीगढ़, कानपुर और लखनऊ के खरीदारों की संख्या भी बढ़ी है.

दिलचस्प यह है कि योरलिबास पर मौजूद शीर्ष ब्रांड में से कुछ के लिए बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने भी मॉडलिंग की है. बॉलीवुड के कुछ सेलीब्रिटी और मैकअप आर्टिस्ट भी उनके ग्राहक हैं.

अकरम अभी बैचलर हैं, वहीं खालिद ने शाहपर खान से शादी की है. शाहपर ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मास कम्यूनिकेशंस में मास्टर्स डिग्री ली है. वे इस बिजनेस में भी मदद करती हैं.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Success story of Susux

    ससक्स की सक्सेस स्टोरी

    30 रुपए से 399 रुपए की रेंज में पुरुषों के टी-शर्ट, शर्ट, ट्राउजर और डेनिम जींस बेचकर मदुरै के फैजल अहमद ने रिटेल गारमेंट मार्केट में तहलका मचा दिया है. उनके ससक्स शोरूम के बाहर एक-एक किलोमीटर लंबी कतारें लग रही हैं. आज उनके ब्रांड का टर्नओवर 50 करोड़ रुपए है. हालांकि यह सफलता यूं ही नहीं मिली. इसके पीछे कई असफलताएं और कड़ा संघर्ष है.
  • PM modi's personal tailors

    मोदी-अडानी पहनते हैं इनके सिले कपड़े

    क्या आप जीतेंद्र और बिपिन चौहान को जानते हैं? आप जान जाएंगे अगर हम आपको यह बताएं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी टेलर हैं. लेकिन उनके लिए इस मुक़ाम तक पहुंचने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा. अहमदाबाद से पी.सी. विनोज कुमार बता रहे हैं दो भाइयों की कहानी.
  • Saravanan Nagaraj's Story

    100% खरे सर्वानन

    चेन्नई के सर्वानन नागराज ने कम उम्र और सीमित पढ़ाई के बावजूद अमेरिका में ऑनलाइन सर्विसेज कंपनी शुरू करने में सफलता हासिल की. आज उनकी कंपनी का टर्नओवर करीब 18 करोड़ रुपए सालाना है. चेन्नई और वर्जीनिया में कंपनी के दफ्तर हैं. इस उपलब्धि के पीछे सर्वानन की अथक मेहनत है. उन्हें कई बार असफलताएं भी मिलीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बता रही हैं उषा प्रसाद...
  • malay debnath story

    यह युवा बना रंक से राजा

    पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव का युवक जब अपनी किस्मत आजमाने दिल्ली के लिए निकला तो मां ने हाथ में महज 100 रुपए थमाए थे. मलय देबनाथ का संघर्ष, परिश्रम और संकल्प रंग लाया. आज वह देबनाथ कैटरर्स एंड डेकोरेटर्स का मालिक है. इसका सालाना टर्नओवर 6 करोड़ रुपए है. इसी बिजनेस से उन्होंने देशभर में 200 करोड़ रुपए की संपत्ति बनाई है. बता रहे हैं गुरविंदर सिंह
  • Dream of Farming revolution in city by hydroponics start-up

    शहरी किसान

    चेन्नई के कुछ युवा शहरों में खेती की क्रांति लाने की कोशिश कर रहे हैं. इन युवाओं ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की मदद ली है, जिसमें खेती के लिए मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती. ऐसे ही एक हाइड्रोपोनिक्स स्टार्ट-अप के संस्थापक श्रीराम गोपाल की कंपनी का कारोबार इस साल तीन गुना हो जाएगा. पीसी विनोज कुमार की रिपोर्ट.