Milky Mist

Thursday, 24 April 2025

रंग-बिरंगी बेड शीट्स के दीवाने हुए, दिवालिया हो रही कंपनी से बकाया के बदले ढाई लाख रुपए का माल खरीद शुरू किया बिजनेस, अब 9.25 करोड़ का टर्नओवर

24-Apr-2025 By उषा प्रसाद
जयपुर

Posted 12 Jun 2021

कहा जाता है कि जब आप किसी चीज को शिद्दत से चाहते हैं, तो पूरी कायनात उस चीज को पाने में आपकी मदद करती है. पुनीत पाटनी महज 22 साल के थे. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की ही थी जब वे कुछ बेड शीट्स के दीवाने हो गए, जो उन्होंने एक फैक्ट्री में देखी थीं.

उन्होंने इस दीवानेपन को अवसर में बदला और दो कंपनियां बनाईं. ये कंपनियां बेड शीट्स, दोहड़, रजाई और घर की साज-सज्जा से जुड़ा कारोबार करती हैं. दोनों कंपनियों का संयुक्त टर्नओवर 9.25 करोड़ रुपए है. यह सब कैसे शुरू हुआ, इसकी बड़ी दिलचस्प कहानी है. .


पुनीत पाटनी ने साल 2009 में पाटनी इंटरप्राइजेस की स्थापना की और बेड शीट्स बेचने लगे. (फोटो : विशेष व्यवस्था से)

पुनीत ने शहीद भगत सिंह कॉलेज, नई दिल्ली से 2008 में कॉमर्स में ग्रैजुएशन किया और अपने गृहनगर जयपुर लौट आए. वहां वे अपने पिता परेश पाटनी की मदद करने लगे, जो टेक्सटाइल के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स और डाई के डीलर थे.

उन दिनों वे अपने पिता के साथ विभिन्न टेक्सटाइल मिल्स और एक्सपोर्ट हाउस जाया करते थे.

“ पुनीत कहते हैं, “एक दिन ऐसी ही एक मिल में जाने के दौरान एक जगह मैंने कुछ बेड शीट्स देखीं. वे मेरे दिल पर छा गईं. उनकी सुंदर प्रिंट देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया. मैंने तत्काल अपने निजी इस्तेमाल के लिए कुछ बेड शीट्स खरीद लीं."

“मेरे परिवार के बहुत से सदस्यों और दोस्तों को ये बेड शीट्स बहुत पसंद आईं. उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि मैंने इन्हें कहां से खरीदा है. वे भी ऐसी ही बेड शीट्स खरीदना चाहते थे. तभी मैंने यह सोचा कि क्यों न इन बेड शीट्स का ही कारोबार किया जाए. ”

लगभग उसी वक्त, उनके पिता के एक ग्राहक को बिजनेस में घाटा हुआ और वे अपना कर्ज नहीं चुका पाए.

बकाया राशि के एवज में यह तय हुआ कि पुनीत और उनके पिता उनसे 2.5 लाख से 3 लाख रुपए मूल्य की बेड शीट्स खरीद लेंगे. इस तरह पुनीत ने 2009 में अपने पिता के साथ पार्टनरशिप में पाटनी इंटरप्राइजेस की शुरुआत की. बेड शीट्स एक ऐसी कंपनी से आनी थीं, जो दिवालिया होने की कगार पर थी.
पुनीत विभिन्न ऑनलाइन मार्केट पर बेड शीट्स और अन्य उत्पाद चादरवालाज के नाम से बेचते हैं.

बिजनेस लगातार बढ़ता रहा. बेड शीट्स की प्रशंसा परिवार के बीच से बढ़कर थोक बिक्री तक बढ़ी. 2018 में पुनीत ने ई-रिटेलिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक और कंपनी आरोही क्रिएशंस शुरू की. यह प्रोप्राइटरशिप कंपनी थी.

पाटनी का मौजूदा टर्नओवर 8 करोड़ रुपए और आरोही का 1.25 करोड़ रुपए है.

पाटनी थोक विक्रेताओं को बेड शीट्स की आपूर्ति करती है, वहीं आरोही में ‘चादरवालाज’ ब्रांड के तहत बेड शीट्स आदि बनाई जाती हैं और अमेजन, फ्लिपकार्ट, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बेची जाती हैं.

इनकी बी2बी प्लेटफॉर्म जैसे मीशो और उड़ान पर भी बिक्री की जाती है. पुनीत का 65 प्रतिशत बिजनेस बेड शीट्स का है. वे बेड कवर, कर्टन्स, दीवान सेट कवर, कुशन कवर, टेबल मैट्स, नैपकिन और अन्य कई उत्पाद भी बनाते हैं.

रंग-बिरंगी चादरों पर हाथ से प्रिंट की जाती है. यह काम पुनीत की सांगानेर में स्थित तीन प्रिंटिंग यूनिट में कुशल कारीगर करते हैं. सांगानेर जयपुर का एक उपनगरीय इलाका है, जो प्रिंटिंग और हस्त कौशल के कारखानों के लिए मशहूर है.

कॉलेज से निकल कर सीधे उद्यमी बनने की यात्रा के बारे में पुनीत बताते हैं, “सबसे पहले, मैंने बेड शीट्स परिवार के लोगों को बेची. इसके बाद बड़े शहरों जैसे मुंबई, पुणे और दिल्ली के मार्केट में संभावनाएं तलाशीं.

“मैं कुछ सैंपल साथ में रखता था और वहां रिटेल दुकानदारों से मिलता था. मुझे मुंबई और पुणे में बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली.”

शुरुआत में, वे प्रिंटेड बेड शीट्स दूसरे लोगों से लेते थे. बाद में, साल 2013 में उन्होंने स्क्रीन प्रिंटिंग और हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग मशीनों से अपनी यूनिट शुरू की. उन्होंने 2014 में दूसरी और 2017 में तीसरी यूनिट शुरू की. पुनीत 18 हजार वर्ग फीट और 10 हजार वर्गफीट क्षेत्र की दो यूनिट के मालिक हैं.

जबकि तीसरी 10 हजार वर्ग फीट की यूनिट किराए की जगह पर है. तीनों यूनिट में कुल 55 लोग काम करते हैं.
पुनीत ने 22 साल की उम्र में बिजनेस में कदम रख दिया था. उस समय उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी ही की थी.

वे अपने उत्पादों में 100 प्रतिशत कॉटन का इस्तेमाल करते हैं. इसमें विभिन्न गुणवत्ता होती है जो 104 थ्रेड काउंट से 300 थ्रेड काउंट तक होती है.

पुनीत कहते हैं, “ब्लॉक प्रिंटिंग में छोटे बदलाव, वाइब्रेंट और सार्थक रूपांकन, व हिंदुस्तानी ब्लॉक प्रिंटिंग की हैंड-मेड तकनीक हर बेड शीट को अद्वितीय और अपनी तरह का अनूठा बनाती है.”

बेड शीट्स, बेड कवर, दोहड़ और रजाई विभिन्न रंगों और मंत्रमुग्ध करने वाली डिजाइन में आती हैं. जैसे इंडिगो ब्ल्यू ऑर्गेनिक मोटिफ्स, एक्जूबरंट मुगल चारबाग हैंड-ब्लॉक प्रिंटेड कलेक्शन, मुगल फ्लोरल मोटिफ्स और फ्लोरल-जाल बेडकवर.

आरोही क्रिएशन द्वारा बेची जाने वाली कॉटन की बेड शीट्स की कीमतें 949 रुपए से लेकर 2,400 रुपए तक है. जबकि सिल्क के बेड कवर्स की कीमत 3,200 रुपए से लेकर 3,600 रुपए तक हैं.

वर्तमान में पाटनी की भारतीय बाजार तक पहुंच है. इसमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दिल्ली बड़े बाजार हैं. इनके बाद दक्षिण में बेंगलुरु और केरल का नंबर आता है.

पुनीत कॉटन का सफेद कपड़ा मुख्य रूप से तमिलनाडु में टेक्सटाइल के केंद्र तिरुपुर, पल्लादम और इरोड क्षेत्र से खरीदते हैं. इसके अलावा जयपुर के पास किशनगढ़ से भी वे खरीदी करते हैं. .

वॉशिंग, डाइंग, प्रिंटिंग, सिलाई, पैकिंग और क्वालिटी चेक उनकी यूनिट पर ही की जाती है.

पैसों के संकट के बीच पुनीत बेड शीट्स बेचकर जो भी कमाते हैं, उसे वापस बिजनेस में लगा देते हैं. अब तक उन्हें कोई बाहरी फंडिंग नहीं मिली है.
पहले साल, पाटनी एंटरप्राइजेस ने 8 लाख रुपए का टर्नओवर हासिल किया है. दूसरे साल 19 लाख रुपए का टर्नओवर रहा. इसके बाद से कंपनी साल-दर-साल 100% से अधिक की वृद्धि दर्ज कर रही है.

2020 में महामारी ने बिजनेस को बहुत नुकसान पहुंचाया है. पुनीत कहते हैं, “अप्रैल, मई और जून में कोई बिक्री नहीं हुई. मैं बहुत परेशान रहा क्योंकि हमें सप्लायर को भी पैसे देने थे. हमारे पास हाेलसेलर्स और ग्राहकों से कोई पैसा नहीं आया क्योंकि दोनों भी मुश्किल हालात में थे.

“दिवाली के सीजन में हमारे लिए उम्मीद की किरण जागी क्योंकि इस दौरान लोग बड़ी मात्रा में एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं. इस दौरान बिजनेस बेहतर हुआ.”


घर की सजावट के चीनी सामान के बिजनेस को भी कोविड महामारी के बाद नुकसान पहुंचा. इससे पाटनी इंटरप्राइजेस को काफी लाभ हो चुका है.

पुनीत के मुताबिक, घर की साज-सज्जा में चीन बड़ा खिलाड़ी है. उसे कोविड के कारण खासा नुकसान हुआ है.

वे कहते हैं, “चूंकि हमारे (रिटेल) कारोबारियों ने चीन से खरीदारी बंद कर दी है, इसलिए हमारे जैसे  लोगों को सीधी मदद मिली है. खासकर अहमदाबाद अौर जयपुर में.”

पुनीत के पिता, जो पाटनी एंटरप्राइजेस में भी पार्टनर हैं, अब भी अपना कारोबार कर रहे हैं और जर्मनी की एक कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर हैं. पुनीत भी उनके ग्राहकों में से एक हैं.

पुनीत की पत्नी मनीला ज्वेलरी मैन्यूफैक्चरर हैं. वे ब्रांड नेम मनीला क्रिएशंस के तहत एमरल्ड, डायमंड और रूबी की ज्वेलरी बनाती हैं.

दोनों की तीन साल की एक बेटी आरोही है.

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • From roadside food stall to restaurant chain owner

    ठेला लगाने वाला बना करोड़पति

    वो भी दिन थे जब सुरेश चिन्नासामी अपने पिता के ठेले पर खाना बनाने में मदद करते और बर्तन साफ़ करते. लेकिन यह पढ़ाई और महत्वाकांक्षा की ताकत ही थी, जिसके बलबूते वो क्रूज पर कुक बने, उन्होंने कैरिबियन की फ़ाइव स्टार होटलों में भी काम किया. आज वो रेस्तरां चेन के मालिक हैं. चेन्नई से पीसी विनोज कुमार की रिपोर्ट
  • Saravanan Nagaraj's Story

    100% खरे सर्वानन

    चेन्नई के सर्वानन नागराज ने कम उम्र और सीमित पढ़ाई के बावजूद अमेरिका में ऑनलाइन सर्विसेज कंपनी शुरू करने में सफलता हासिल की. आज उनकी कंपनी का टर्नओवर करीब 18 करोड़ रुपए सालाना है. चेन्नई और वर्जीनिया में कंपनी के दफ्तर हैं. इस उपलब्धि के पीछे सर्वानन की अथक मेहनत है. उन्हें कई बार असफलताएं भी मिलीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बता रही हैं उषा प्रसाद...
  • Minting money with robotics

    रोबोटिक्स कपल

    चेन्नई के इंजीनियर दंपति एस प्रणवन और स्नेेहा प्रकाश चाहते हैं कि इस देश के बच्चे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले बनकर न रह जाएं, बल्कि इनोवेटर बनें. इसी सोच के साथ उन्होंने स्टूडेंट्स को रोबोटिक्स सिखाना शुरू किया. आज देशभर में उनके 75 सेंटर हैं और वे 12,000 बच्‍चों को प्रशिक्षण दे चुके हैं.
  • Bhavna Juneja's Story

    मां की सीख ने दिलाई मंजिल

    यह प्रेरक दास्तां एक ऐसी लड़की की है, जो बहुत शर्मीली थी. किशोरावस्था में मां ने प्रेरित कर उनकी ऐसी झिझक छुड़वाई कि उन्होंने 17 साल की उम्र में पहली कंपनी की नींव रख दी. आज वे सफल एंटरप्रेन्योर हैं और 487 करोड़ रुपए के बिजनेस एंपायर की मालकिन हैं. बता रही हैं सोफिया दानिश खान
  • Hotelier of North East India

    मणिपुर जैसे इलाके का अग्रणी कारोबारी

    डॉ. थंगजाम धाबाली के 40 करोड़ रुपए के साम्राज्य में एक डायग्नोस्टिक चेन और दो स्टार होटल हैं. इंफाल से रीना नोंगमैथेम मिलवा रही हैं एक ऐसे डॉक्टर से जिन्होंने निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लिया और जिनके काम ने आम आदमी की ज़िंदगी को छुआ.