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Thursday, 18 September 2025

तीन दोस्त रात में खाना डिलिवर कर बने करोड़पति

18-Sep-2025 By जी सिंह
कोलकाता

Posted 04 Aug 2018

रात में जब सब होटल-रेस्‍तरां बंद हो गए हों और आपको भूख लगे तो खाना कहां मिलेगा?

इसी ज़रूरत को फलते-फूलते बिज़नेस का रूप दिया तीन दोस्तों – आदर्श चौधरी, हर्ष कंदोई और पुलकित केजरीवाल – ने.

इन तीन दोस्तों की रात में खाना डिलिवरी करने वाली कंपनी का बिज़नेस मात्र डेढ़ साल में एक करोड़ रुपए के क़रीब पहुंच गया है.

कंपनी का नाम है सैंटा डिलिवर्स.

कोलकाता के बचपन के दोस्‍तों आदर्श चौधरी, हर्ष कंदोई और पुलकित केजरीवाल की सैंटा डिलिवर्स में बराबर की हिस्‍सेदारी है. (सभी फ़ोटो- मोनिरुल इस्‍लाम मुल्लिक)


आदर्श बताते हैं, हमारे स्‍टार्ट-अप का नाम पूरी तरह सैंटा क्‍लॉज़ से मिलता है, जो देर रात बच्‍चों को गिफ़्ट डिलिवर करता है.

सभी दोस्त कोलकाता के साल्ट लेक सिटी इलाक़े के रहने वाले हैं. इन्होंने डीपीएस मेगासिटी स्कूल में पढ़ाई की. उसके बाद कॉलेज से कॉमर्स मुख्‍य विषय लिया.

साल 2014 में हैदराबाद ट्रिप पर आदर्श को देर रात खाने की डिलिवरी का आइडिया आया.

आदर्श बताते हैं, मैंने साल 2013 की कैट (कॉमन एडिमिशन टेस्‍ट) परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. इसलिए अगले साल फिर से परीक्षा देने के लिए अच्छी तैयारी के उद्देश्‍य से हैदराबाद गया. वहीं मैंने बेंगलुरु के एक स्‍टार्ट-अप को रात में खाना डिलिवर करते देखा. मैंने इसी तरह की सेवा कोलकाता में शुरू करने के बारे में सोचा.

जब आदर्श अगले साल कोलकाता लौटे, तो उन्होंने हर्ष से इस बारे में बात की. उन्‍हें तत्‍काल यह आइडिया पसंद आ गया, क्‍योंकि उस समय तक कोलकाता में ऐसी कोई सेवा नहीं थी.

सैंटा डिलिवर्स की औसत मासिक बिक्री आठ लाख रुपए है.


स्‍टार्ट-अप की शुरुआत के लिए दोनों दोस्‍तों के माता-पिता ने 50-50 हज़ार रुपए का निवेश किया. इस पैसे से उन्होंने डिलिवरी के लिए बाइक ख़रीदी और प्रचार के लिए लीफ़लेट छपवाए.

हर्ष बताते हैं, शुरुआत में हमारी योजना रेस्तरां से खाना ख़रीदकर बेचने की थी, क्योंकि हमें अंदाज़ा नहीं था कि इसका रिस्पांस कैसा रहेगा.

कहना आसान था. लेकिन चूंकि कॉन्‍सेप्‍ट नया था इसलिए रेस्तरां मालिकों ने साझेदारी में कोई रुचि नहीं दिखाई.

हर्ष कहते हैं, वो मज़ाक उड़ाते थे कि रात में लोग सोते हैं, न कि खाना ऑर्डर करते हैं. जब हम उम्‍मीद खो रहे थे, तभी साल्ट लेक सिटी का एक फ़ैमिली रेस्तरां, गौतम्स मदद के लिए आगे आया.

साल 2014 में क्रिसमस के दिन सैंटा डिलिवर्स लॉन्‍च हुआ.

संयोगवश, लॉन्‍च के दिन कोई ऑर्डर नहीं आया, क्योंकि किसी को सैंटा डिलिवर्स के बारे में पता भी नहीं था.

अगले दिन अख़बार के माध्यम से 10,000 लीफ़लेट्स बंटवाए गए.

आदर्श बताते हैं, हम तीन घंटे खड़े रहे, ताकि हर अख़बार में लीफ़लेट्स ठीक से डाले जाएं. फिर हम इलाक़े के हर घर में फ़्लायर्स डालने गए. हमने अपना फ़ेसबुक पेज भी शुरू किया.

लॉन्‍च के दो दिन बाद पहला ऑर्डर आया.

सैंटा डिलिवर्स के मीनू में 85 से अधिक लज़ीज़ व्‍यंजन हैं, जिनमें से ग्राहक मनपसंद डिश चुन सकते हैं.


तीन दिन के भीतर सैंटा डिलिवर्स के पास 20 ऑर्डर आए और कुल बिक्री 10,000 रुपए रही.

अगले 10-15 दिनों में उन्हें हर दिन 5-10 ऑर्डर मिलने लगे.

लोगों के सकारात्मक फ़ीडबैक के आधार पर उन्होंने अपना ख़ुद का किचन शुरू करने का निर्णय लिया.

लेकिन किचन शुरू करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे.

एक बार फिर दोनों के परिवार आगे आए और उन्‍होंने तीन-तीन लाख रुपए इकट्ठा करके दिए. इस राशि से उन्होंने किचन के लिए एक फ़्लैट किराए पर लिया, साथ ही दो शेफ़, दो हेल्पर और एक डिलिवरी मैन को नौकरी पर रखा.

बिज़नेस शुरू हुए तीन महीने गुज़र चुके थे और कंपनी के दोनों संस्थापकों के लिए एक मुश्किल फ़ैसले की घड़ी थी. उन्हें मुंबई के मशहूर नरसी मूंजी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ में दो साल के एमबीए में एडमिशन मिल गया था.

हर्ष बताते हैं, हमने सैंटा डिलिवर्स को बहुत मेहनत के बाद खड़ा किया था और हम उसे ऐसे ही नहीं जाने देना चाहते थे लेकिन पढ़ाई भी महत्वपूर्ण थी.

परिवार से बातचीत के बाद दोनों ने मुंबई जाने का फ़ैसला किया. साथ ही बचपन के साथी पुलकित केजरीवाल को तीसरे पार्टनर के रूप में जोड़ लिया. पुलकित ने बिज़नेस में 1.5 लाख रुपए लगाए.

पुलकित बताते हैं, हमने एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी, हम एक ही बस से स्‍कूल जाते थे.

तीनों ने बराबरी की हिस्‍सेदारी में एक पार्टनरशिप फ़र्म स्‍थापित की, जिसका नाम आहार इंटरप्राइज़ रखा गया. सैंटा डिलिवर्स इसी के अंतर्गत रजिस्टर्ड है.

अब तक सैंडा डिलिवर्स के पास महीने के 300-350 ऑर्डर आने लगे थे. ज़्यादातर ऑर्डर छात्रों और परिवारों के आते थे.

अक्टूबर 2015 में कंपनी को रफ़्तार मिली, जब यह फ़ूड पांडा, ज़ोमैटो और स्विगी जैसी फ़ूड वेबसाइट्स पर रजिस्टर हो गई.

अब सैंटा डिलिवर्स को हर महीने ऑनलाइन और फ़ोनकॉल पर 1800 ऑर्डर मिलने लगे. इन्‍होंने हाल ही में लंच के लिए भी ऑर्डर लेना शुरू कर दिए हैं. कंपनी जल्द ही मोबाइल ऐप भी लॉन्‍च करने वाली है.

जहां आदर्श और हर्ष मुंबई-कोलकाता दोनों जगह वक्‍त देते हैं, वहीं पुलकित रोज़मर्रा का बिज़नेस देखते हैं.

लॉन्चिंग के डेढ़ साल में ही कंपनी की औसत मासिक बिक्री आठ लाख रुपए से अधिक हो गई है.

सैंटा डिलिवर्स में 15 लोगों का स्टाफ़ हैं. इनमें से 5 डिलिवरी बॉय हैं.


आज कंपनी में 15 लोगों का स्टाफ़ है, जिनमें पांच डिलिवरी बॉय भी हैं. उनके मीनू में 85 लज़ीज़ डिश हैं. खाने को उच्च क्वालिटी के प्लास्टिक बॉक्स में पैक कर डिलिवर किया जाता है.

जब हर्ष और आदर्श अपना एमबीए कोर्स ख़त्म करके लौट आएंगे तो उनकी योजना डिलिवरी को दक्षिणी कोलकाता में फैलाने की है. उसके बाद उनकी निगाहें कोलकाता के बाहर पूरे भारत पर हैं.


 

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