Milky Mist

Tuesday, 20 May 2025

23 साल के युवा ने 7,000 रुपए के स्मार्टफोन से परीक्षा की तैयारी कराने वाला यूट्यूब चैनल लॉन्च किया, 10 महीने में 35 लाख रुपए कमाए

20-May-2025 By उषा प्रसाद
सिलचर

Posted 05 Aug 2021

जब सफलता की बात आती है तो उम्र सिर्फ एक संख्या होती है. यह 23 साल के राजन नाथ ने संदेह से परे जाकर साबित किया है और आज वे सफल उद्यमी हैं.

दक्षिणी असम के छोटे से शहर सिलचर के मध्यमवर्गीय परिवार के राजन एडटेक स्टार्ट-अप ‘ईपोस्टल नेटवर्क' के संस्थापक हैं. यह भारत में डाक कर्मचारियों के लिए अपनी तरह का पहला ऑनलाइन कोचिंग संस्थान है.
राजन नाथ ने 7,000 रुपए के स्मार्टफोन से यूट्यूब चैनल ‘ईपोस्टल नेटवर्क' शुरू किया. यह आगे जाकर एडटेक उद्यम बन गया. (फोटो: विशेष व्यवस्था से)

भारतीय सेना के सीधे-सादे सैनिक के बेटे राजन के पास मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए संसाधन नहीं थे, लेकिन उन्होंने ऐसा काम शुरू करने का फैसला किया, जो दूसरों को उनके सपनों को हासिल करने में मदद करे.

जुलाई 2020 में शून्य निवेश के साथ लॉन्च स्टार्ट-अप ईपोस्टल नेटवर्क ने महज 10 महीनों में 35 लाख रुपए का कारोबार किया है. राजन ने यह सब अपने दम पर किया.

उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल से विज्ञापन के जरिए 8 लाख रुपए भी कमाए. यह यूट्यूब चैनल उन्होंने 2017 में शुरू किया था.

ईपोस्टल नेटवर्क सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षाओं (एलडीसीई) के लिए डाक विभाग के समूह सी कर्मचारियों को तैयार करता है. इसके जरिए वे विभाग में अगली पदोन्नति के योग्य होते हैं.

राजन ने अपने सबस्क्राइबर्स की मदद के लिए बड़ी मेहनत से उच्च गुणवत्ता वाली अध्ययन सामग्री तैयार की है. वे कहते हैं, “पहले बैच में 300 से अधिक लोगों ने नामांकन कराया. परिणाम घोषित होने पर इनमें से अधिकतर पदोन्नत हो गए.”

रोजाना लेक्चर, मॉक टेस्ट और रिवीजन टेस्ट की बदौलत पहली बैच में नामांकन कराने वाले कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत से अधिक को मदद मिली और वे पास हो गए.
राजन के ईपोस्टल नेटवर्क पर करीब 5,000 डाक कर्मचारियों ने नामांकन कराया है. ये सभी डाक विभाग की पदोन्नति परीक्षा में शामिल हुए.

शुरुआत के लिए राजन के पास न कंप्यूटर था न लैपटॉप. ऐसे में उन्होंने 2017 में 7,000 रुपए कीमत के अपने रेडमी 5 प्रो स्मार्टफोन से यूट्यूब चैनल लॉन्च किया. यही नहीं, उन्होंने अपनी वेबसाइट ‘ईपोस्टल डॉट इन' (epostal.in) भी अपने स्मार्टफोन से ही लॉन्च की.

उनका स्टार्ट-अप विभिन्न डाक परीक्षाओं के लिए 60 से 90 दिन की कोचिंग की सुविधा देता है. शुरुआत में वे हिंदी माध्यम से पढ़ाते थे, लेकिन जनवरी 2021 से उन्होंने अंग्रेजी की कक्षाएं भी शुरू कर दीं.

एमटीएस, पोस्टमैन/मेल गार्ड के पद के पाठ्यक्रम की फीस 1,000 रुपए है. डाक सहायक/छंटाई सहायक के लिए 1,500 रुपए है.

पाठ्यक्रम में रोज 45 मिनट से एक घंटे तक के लेक्चर शामिल हैं. नामांकन करवा चुके कर्मचारियों को यूट्यब ट्यूटोरियल की निजी लिंक भेजी जाती है.

जुलाई 2020 से सशुल्क ऑनलाइन कोचिंग क्लास शुरू करने वाले राजन कहते हैं कि अब तक करीब 5,000 लोग विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए नामांकन करवा चुके हैं. उनमें से करीब 70 प्रतिशत परीक्षा पास चुके हैं. आगे चलकर उनके यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर्स बढ़कर एक लाख से अधिक हो गए.

चैनल शुरू करने का विचार तब आया, जब वे 2017 में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे.

राजन कहते हैं, “मुझे इंटरनेट पर डाक विभाग के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. इसके लिए कोई प्रशिक्षण केंद्र या कोचिंग क्लास भी नहीं थी.”

“मैंने उसी समय सोचा कि मुझे डाक विभाग द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं की तैयारी कर रहे मौजूदा कर्मचारियों और नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की मदद के लिए कुछ शुरू करना चाहिए.”

राजन मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से हैं. उनके पिता सेना से नायक पद से रिटायर हुए हैं. उनकी मां गृहिणी हैं.
राजन ने फेसबुक और वॉट्सएप ग्रुप्स में इस तरह के विज्ञापन देकर अपनी कोचिंग की मार्केटिंग की.

पिता चाहते थे कि राजन सेना में भर्ती हों या सरकारी नौकरी करें. केंद्रीय विद्यालय मासीमपुर के विज्ञान के छात्र राजन चिकित्सा की पढ़ाई करना चाहते थे. लेकिन उन्हें सीट नहीं मिली, तब उन्होंने सिलचर के जीसी कॉलेज में बीएससी जूलॉजी में प्रवेश ले लिया.

वे कहते हैं, “मेरे पिता जल्दी सेवानिवृत्त हो गए थे और उनकी पेंशन मेरी और बड़ी बहन की पढ़ाई पर खर्च हो गई. गुजारा करना मुश्किल था. इसलिए मैंने मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं की थी.”

उन्होंने कॉलेज दूसरे वर्ष के दौरान एसएससी परीक्षा दी और 25,000 रुपए के वेतन पर डाक सहायक के पद के लिए चुन लिए गए.

राजन बताते हैं, “मैं सरकारी नौकरी पाकर खुश था, लेकिन मैंने वह नौकरी नहीं की क्योंकि मेरी पोस्टिंग नलबाड़ी में थी. यह सिलचर से 380 किमी दूर था. इसके अलावा, मैं अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करना चाहता था.”

डिग्री की पढ़ाई करते हुए वे अपने यूट्यूब चैनल को विकसित करने पर ध्यान देने लगे. प्रारंभ में, उनके चैनल ने डाक विभाग द्वारा परीक्षा या नौकरी के पद के लिए निकाले जाने वाले आदेश या अधिसूचनाओं के समाचार मुफ्त दिए.

जब उनके फॉलोअर्स बढ़ गए, तो उन्होंने एक वेबसाइट शुरू की. इस पर उन्होंने डाक कर्मचारियों और उम्मीदवारों को विभाग की नौकरियों के लिए प्रशिक्षित करने का पाठ्यक्रम तैयार किया.

राजन कहते हैं, “मैं हाथ से बने नोट्स और वीडियो लेक्चर से पाठ्यक्रम तैयारी करने लगा. चूंकि मैं सिविल सेवा की भी तैयारी कर रहा था, इसलिए नोट्स बनाना मेरे लिए मुश्किल काम नहीं था.”

उन्होंने इंटरनेट और अन्य स्रोतों के जरिए हिंदी में आसान, समझने योग्य तरीके से अध्ययन सामग्री तैयार की.

राजन ने हमेशा खुद ही सीखा और सीखने के प्रति उत्सुक भी रहे. उन्होंने अपना ऑनलाइन चैनल और वेबसाइट बनाने के लिए यूट्यूब ट्यूटोरियल की मदद ली.

शुरुआत में, राजन ने ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) को मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) पद के लिए प्रशिक्षित किया. बाद में उन्होंने पोस्ट मैन और पोस्टल असिस्टेंट के पदों के लिए भी कोर्स शुरू किया.

उन्होंने फेसबुक और वॉट्सएप ग्रुप्स पर विज्ञापन डालकर सोशल मीडिया के जरिए अपने चैनल की मार्केटिंग भी शुरू कर दी.
खुद को ‘सोलोप्रेन्योर' कहने वाले राजन अब विस्तार कर रहे हैं. उन्होंने अपनी मदद के लिए तीन ऑनलाइन ट्यूटर रखे हैं.

अपने स्टार्ट-अप को अगले स्तर तक ले जाने के लिए राजन ऐप पर काम कर रहे हैं, जिसे 2021 के अंत तक लॉन्च किया जाएगा. यह ऐप समाचार, अध्ययन सामग्री और कुछ डाक सामग्री प्रदान करेगा.

राजन कहते हैं, “ऐप लॉन्च होने के बाद, मैं अन्य विभागों द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए भी कोचिंग कक्षाएं शुरू करने पर विचार कर रहा हूं.”
राजन के पास अपने स्टार्ट-अप के लिए बड़ी योजनाएं हैं. वे इसे मौजूदा एडटेक उद्योग में मार्केट लीडर्स के स्तर पर ले जाना चाहते हैं.

दक्षिण भारत के आवेदकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए वे विभिन्न दक्षिण भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए संबंधित क्षेत्रों के डाक विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारियों को ट्यूटर के रूप में रखने के बारे में विचार कर रहे हैं.

ईपोस्टल नेटवर्क ने मार्च 2021 में सबसे अधिक 5 लाख रुपए मासिक आय दर्ज की है. ऐसा डाक विभाग द्वारा विभिन्न पदों के लिए परीक्षा की तारीखों की घोषणा के बाद हुए नामांकन के चलते हुआ.

राजन अपने माता-पिता और बड़ी बहन रूबी नाथ के साथ रहते हैं. रूबी सिलचर के एक निजी हाई स्कूल में शिक्षिका हैं.

एडटेक क्षेत्र में दिग्गजों पर नजर रखने वाले राजन कहते हैं, “बायजूस, अनएकेडमी और यूट्यूबर खान सर पटना मेरी उद्यमिता की यात्रा में बड़ी प्रेरणा रहे हैं.”

“मैं बायजूस के विकास का उत्सुकता से अनुसरण कर रहा हूं. मैं ई-पोस्टल नेटवर्क को उसी स्तर पर देखना चाहता हूं, जिस तरह किसी दिन क्षेत्र के सभी लीडर होंगे.”

राजन ने समय, प्रयास और ज्ञान के निवेश के साथ इस सफल यात्रा की शुरुआत की. जीवन में विजेता बनने के लिए इन सभी चीजों की आवश्यकता होती है, न कि केवल धन की, जैसा कि बहुत से लोग सोचते हैं.

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Johny Hot Dog story

    जॉनी का जायकेदार हॉट डॉग

    इंदौर के विजय सिंह राठौड़ ने करीब 40 साल पहले महज 500 रुपए से हॉट डॉग बेचने का आउटलेट शुरू किया था. आज मशहूर 56 दुकान स्ट्रीट में उनके आउटलेट से रोज 4000 हॉट डॉग की बिक्री होती है. इस सफलता के पीछे उनकी फिलोसॉफी की अहम भूमिका है. वे कहते हैं, ‘‘आप जो खाना खिला रहे हैं, उसकी शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण है. आपको वही खाना परोसना चाहिए, जो आप खुद खा सकते हैं.’’
  • The Tea Kings

    ये हैं चेन्नई के चाय किंग्स

    चेन्नई के दो युवाओं ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई, फिर आईटी इंडस्ट्री में नौकरी, शादी और जीवन में सेटल हो जाने की भेड़ चाल से हटकर चाय की फ्लैवर्ड चुस्कियों को अपना बिजनेस बनाया. आज वे 17 आउटलेट के जरिये चेन्नई में 7.4 करोड़ रुपए की चाय बेच रहे हैं. यह इतना आसान नहीं था. इसके लिए दोनों ने बहुत मेहनत की.
  • Story of Sattviko founder Prasoon Gupta

    सात्विक भोजन का सहज ठिकाना

    जब बिजनेस असफल हो जाए तो कई लोग हार मान लेते हैं लेकिन प्रसून गुप्ता व अंकुश शर्मा ने अपनी गलतियों से सीख ली और दोबारा कोशिश की. आज उनकी कंपनी सात्विको विदेशी निवेश की बदौलत अमेरिका, ब्रिटेन और दुबई में बिजनेस विस्तार के बारे में विचार कर रही है. दिल्ली से सोफिया दानिश खान की रिपोर्ट.
  • The Yellow Straw story

    दो साल में एक करोड़ का बिज़नेस

    पीयूष और विक्रम ने दो साल पहले जूस की दुकान शुरू की. कई लोगों ने कहा कोलकाता में यह नहीं चलेगी, लेकिन उन्हें अपने आइडिया पर भरोसा था. दो साल में उनके छह आउटलेट पर हर दिन 600 गिलास जूस बेचा जा रहा है और उनका सालाना कारोबार क़रीब एक करोड़ रुपए का है. कोलकाता से जी सिंह की रिपोर्ट.
  • Anjali Agrawal's story

    कोटा सिल्क की जादूगर

    गुरुग्राम की अंजलि अग्रवाल ने राजस्थान के कोटा तक सीमित रहे कोटा डोरिया सिल्क को न केवल वैश्विक पहचान दिलाई, बल्कि इसके बुनकरों को भी काम देकर उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की. आज वे घर से ही केडीएस कंपनी को 1,500 रिसेलर्स के नेटवर्क के जरिए चला रही हैं. उनके देश-दुनिया में 1 लाख से अधिक ग्राहक हैं. 25 हजार रुपए के निवेश से शुरू हुई कंपनी का टर्नओवर अब 4 करोड़ रुपए सालाना है. बता रही हैं उषा प्रसाद