‘अपनी ज़िंदगी संवारने के लिए कभी देर नहीं होती, अपने जीने का मकसद तय करें और सफलता को ही लक्ष्य बना लें’
07-Dec-2025
By पी सी विनोज कुमार की क़लम से
चेन्नई
3 सितंबर, 2010 को ‘सकारात्मक पत्रकारिता’ के विचार के साथ द वीकेंड लीडर ने एक ऑनलाइन अंग्रेज़ी पत्रिका के रूप में अपना सफर शुरू किया था. उस समय कई लोग संदेह करते थे कि केवल सकारात्मक ख़बरों पर केंद्रित कोई भी प्रकाशन सफल नहीं हो सकता, क्योंकि पाठक इस तरह की सामग्री पढ़ना पसंद नहीं करेंगे.
अच्छी ख़बर यह है कि हमने अपने आलोचकों को ग़लत साबित किया है. सात सालों से जारी इस सफ़र को और भी आगे बढ़ाने के लिए हम स्थानीय भाषाओं में नए संस्करण शुरू कर रहे हैं. इस साल अप्रैल माह में हम अपना तमिल संस्करण लाए थे, और आज 27 दिसंबर, 2017 को हमारे हिंदी भाषा के संस्करण का शुभारंभ हो गया है.
|
वीकेंड लीडर में विशेष स्थान प्राप्त गुमनाम नायकों में से एक हैं ऑटो अन्नादुराई. चेन्नई के ऑटो चालक अन्नादुराई ने अपनी गाड़ी में ग्राहकों के लिए कई सुख-सुविधाएं जुटाई हैं. उनके ऑटो में विभिन्न अखबारों व पत्रिकाओं के अलावा वाईफाई नेटवर्क उपलब्ध रहता है. यही नहीं टीवी, लैपटॉप, टैबलेट और आईपैड भी मौजूद रहते हैं. (फ़ोटो - एच के राजशेकर)
|
स्थानीय भाषाओं में नए संस्करण शुरू किए जाने का ख़ास मकसद द वीकेंड लीडर के अंग्रेज़ी संस्करण में प्रकाशित उद्यमियों की सफलता के क़िस्सों और कई प्रेरणादायी लेखों को लोगों की सुविधानुसार अन्य भाषाओं में उपलब्ध करवाना है.
हम यह मानते हैं कि अंग्रेज़ी भाषा के सीमित ज्ञान की वजह से कोई भी पाठक ऐसे प्रेरणादायी लेखों से वंचित न रहे, जिन्हें हमने देशभर के कई अनुभवी पत्रकारों की मदद से सावधानीपूर्वक तैयार है. हमारे पाठकों के क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशन करने के सुझावों से भी हमें स्थानीय भाषी संस्करण शुरू करने का काफ़ी प्रोत्साहन व हौसला मिला.
इस हिंदी संस्करण में शुरुआती कुछ महीने कई सफल उद्यमियों की प्रेरक कहानियां पाठकों तक पहुंचाने की हमारी योजना है. हालांकि आने वाले समय में आपको विविधता भरी पाठ्य सामग्री मिलेगी और हम लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल रहेंगे.
अब तक लोग दोस्तों व बच्चों को उपहार स्वरूप प्रेरणादायक किताबें देते आए हैं, अब उसकी जगह ‘द वीकेंड लीडर’ के रूप में ख़ुशियां बांटने का विकल्प भी लोगों के पास मौजूद रहेगा. आप हमारे लेख फ़ेसबुक व वाट्सएप के ज़रिये भी साझा कर सकते हैं.
अपनी ज़िंदगी संवारने के लिए कभी देर नहीं होती, अपने जीने का मकसद तय करें और सफलता को ही लक्ष्य बना लें. मैं बेहद विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हमारी पत्रिका के नियमित पाठक बनने पर आप अभी के मुकाबले और बेहतर व्यक्ति के रूप में ढल जाएंगे, और अपनी ज़िंदगी एक अच्छे मकसद के साथ जिएंगे.
पढ़ते रहिए, आगे बढ़ते रहिए!
पी सी विनोज कुमार द वीकेंड लीडर के संस्थापक संपादक हैं.
आप इन्हें भी पसंद करेंगे
-
पान स्टाल से एफएमसीजी कंपनी का सफर
गुजरात के अमरेली के तीन भाइयों ने कभी कोल्डड्रिंक और आइस्क्रीम के स्टाल से शुरुआत की थी. कड़ी मेहनत और लगन से यह कारोबार अब एफएमसीजी कंपनी में बढ़ चुका है. सालाना टर्नओवर 259 करोड़ रुपए है. कंपनी शेयर बाजार में भी लिस्टेड हो चुकी है. अब अगले 10 सालों में 1500 करोड़ का टर्नओवर और देश की शीर्ष 5 एफएमसीजी कंपनियों के शुमार होने का सपना है. बता रहे हैं गुरविंदर सिंह -
रोक सको तो रोक लो
राजलक्ष्मी एस.जे. चल-फिर नहीं सकतीं, लेकिन उनका आत्मविश्वास अटूट है. उन्होंने न सिर्फ़ मिस वर्ल्ड व्हीलचेयर 2017 में मिस पापुलैरिटी खिताब जीता, बल्कि दिव्यांगों के अधिकारों के लिए संघर्ष भी किया. बेंगलुरु से भूमिका के की रिपोर्ट. -
प्लास्टिक के खिलाफ रिया की जंग
भारत में प्लास्टिक के पैकेट में लोगों को खाना खाते देख रिया सिंघल ने एग्रीकल्चर वेस्ट से बायोडिग्रेडेबल, डिस्पोजेबल पैकेजिंग बॉक्स और प्लेट बनाने का बिजनेस शुरू किया. आज इसका टर्नओवर 25 करोड़ है. रिया प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित कर इको-फ्रेंडली जीने का संदेश देना चाहती हैं. -
सिल्क टाइकून
पीढ़ियों से चल रहे नल्ली सिल्क के बिज़नेस के बारे में धारणा थी कि स्टोर में सिर्फ़ शादियों की साड़ियां ही मिलती हैं, लेकिन नई पीढ़ी की लावण्या ने युवा महिलाओं को ध्यान में रख नल्ली नेक्स्ट की शुरुआत कर इसे नया मोड़ दे दिया. बेंगलुरु से उषा प्रसाद बता रही हैं नल्ली सिल्क्स के कायापलट की कहानी. -
परेशानी से निकला बिजनेस आइडिया
बेंगलुरु से पुड्डुचेरी घूमने गए दो कॉलेज दोस्तों को जब बाइक किराए पर मिलने में परेशानी हुई तो उन्हें इस काम में कारोबारी अवसर दिखा. लौटकर रॉयल ब्रदर्स बाइक रेंटल सर्विस लॉन्च की. शुरुआत में उन्हें लोन और लाइसेंस के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन मेहनत रंग लाई. अब तीन दोस्तों के इस स्टार्ट-अप का सालाना टर्नओवर 7.5 करोड़ रुपए है. रेंटल सर्विस 6 राज्यों के 25 शहरों में उपलब्ध है. बता रहे हैं गुरविंदर सिंह
