Milky Mist

Wednesday, 10 December 2025

‘अपनी ज़िंदगी संवारने के लिए कभी देर नहीं होती, अपने जीने का मकसद तय करें और सफलता को ही लक्ष्य बना लें’

10-Dec-2025 By पी सी विनोज कुमार की क़लम से
चेन्नई

Posted 27 Dec 2017

3 सितंबर, 2010 को सकारात्मक पत्रकारिताके विचार के साथ द वीकेंड लीडर ने एक ऑनलाइन अंग्रेज़ी पत्रिका के रूप में अपना सफर शुरू किया था. उस समय कई लोग संदेह करते थे कि केवल सकारात्मक ख़बरों पर केंद्रित कोई भी प्रकाशन सफल नहीं हो सकता, क्योंकि पाठक इस तरह की सामग्री पढ़ना पसंद नहीं करेंगे.

अच्छी ख़बर यह है कि हमने अपने आलोचकों को ग़लत साबित किया है. सात सालों से जारी इस सफ़र को और भी आगे बढ़ाने के लिए हम स्थानीय भाषाओं में नए संस्करण शुरू कर रहे हैं. इस साल अप्रैल माह में हम अपना तमिल संस्करण लाए थे, और आज 27 दिसंबर, 2017 को हमारे हिंदी भाषा के संस्करण का शुभारंभ हो गया है.

वीकेंड लीडर में विशेष स्थान प्राप्त गुमनाम नायकों में से एक हैं ऑटो अन्नादुराई. चेन्नई के ऑटो चालक अन्नादुराई ने अपनी गाड़ी में ग्राहकों के लिए कई सुख-सुविधाएं जुटाई हैं. उनके ऑटो में विभिन्न अखबारों व पत्रिकाओं के अलावा वाईफाई नेटवर्क उपलब्ध रहता  है. यही नहीं टीवी, लैपटॉप, टैबलेट और आईपैड भी मौजूद रहते हैं. (फ़ोटो - एच के राजशेकर)


स्थानीय भाषाओं में नए संस्करण शुरू किए जाने का ख़ास मकसद द वीकेंड लीडर के अंग्रेज़ी संस्करण में प्रकाशित उद्यमियों की सफलता के क़िस्सों और कई प्रेरणादायी लेखों को लोगों की सुविधानुसार अन्य भाषाओं में उपलब्ध करवाना है.

 

हम यह मानते हैं कि अंग्रेज़ी भाषा के सीमित ज्ञान की वजह से कोई भी पाठक ऐसे प्रेरणादायी लेखों से वंचित न रहे, जिन्हें हमने देशभर के कई अनुभवी पत्रकारों की मदद से सावधानीपूर्वक तैयार है. हमारे पाठकों के क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशन करने के सुझावों से भी हमें स्थानीय भाषी संस्करण शुरू करने का काफ़ी प्रोत्साहन व हौसला मिला.

 

इस हिंदी संस्करण में शुरुआती कुछ महीने कई सफल उद्यमियों की प्रेरक कहानियां पाठकों तक पहुंचाने की हमारी योजना है. हालांकि आने वाले समय में आपको विविधता भरी पाठ्य सामग्री मिलेगी और हम लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल रहेंगे.

 

अब तक लोग दोस्तों व बच्चों को उपहार स्वरूप प्रेरणादायक किताबें देते आए हैं, अब उसकी जगह द वीकेंड लीडरके रूप में ख़ुशियां बांटने का विकल्प भी लोगों के पास मौजूद रहेगा. आप हमारे लेख फ़ेसबुक व वाट्सएप के ज़रिये भी साझा कर सकते हैं.

 

अपनी ज़िंदगी संवारने के लिए कभी देर नहीं होती, अपने जीने का मकसद तय करें और सफलता को ही लक्ष्य बना लें. मैं बेहद विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हमारी पत्रिका के नियमित पाठक बनने पर आप अभी के मुकाबले और बेहतर व्यक्ति के रूप में ढल जाएंगे, और अपनी ज़िंदगी एक अच्छे मकसद के साथ जिएंगे.

 

पढ़ते रहिए, आगे बढ़ते रहिए!

 

पी सी विनोज कुमार द वीकेंड लीडर के संस्थापक संपादक हैं.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • How Two MBA Graduates Started Up A Successful Company

    दो का दम

    रोहित और विक्रम की मुलाक़ात एमबीए करते वक्त हुई. मिलते ही लगा कि दोनों में कुछ एक जैसा है – और वो था अपना काम शुरू करने की सोच. उन्होंने ऐसा ही किया. दोनों ने अपनी नौकरियां छोड़कर एक कंपनी बनाई जो उनके सपनों को साकार कर रही है. पेश है गुरविंदर सिंह की रिपोर्ट.
  • success story of courier company founder

    टेलीफ़ोन ऑपरेटर बना करोड़पति

    अहमद मीरान चाहते तो ज़िंदगी भर दूरसंचार विभाग में कुछ सौ रुपए महीने की तनख्‍़वाह पर ज़िंदगी बसर करते, लेकिन उन्होंने कारोबार करने का निर्णय लिया. आज उनके कूरियर बिज़नेस का टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है और उनकी कंपनी हर महीने दो करोड़ रुपए तनख्‍़वाह बांटती है. चेन्नई से पी.सी. विनोज कुमार की रिपोर्ट.
  • Alkesh Agarwal story

    छोटी शुरुआत से बड़ी कामयाबी

    कोलकाता के अलकेश अग्रवाल इस वर्ष अपने बिज़नेस से 24 करोड़ रुपए टर्नओवर की उम्मीद कर रहे हैं. यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था. स्कूल में दोस्तों को जीन्स बेचने से लेकर प्रिंटर कार्टेज रिसाइकिल नेटवर्क कंपनी बनाने तक उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे. उनकी बदौलत 800 से अधिक लोग रोज़गार से जुड़े हैं. कोलकाता से संघर्ष की यह कहानी पढ़ें गुरविंदर सिंह की कलम से.
  • Success story of Wooden Street

    ऑनलाइन फ़र्नीचर बिक्री के महारथी

    चार युवाओं ने पांच लाख रुपए की शुरुआती पूंजी लगाकर फ़र्नीचर के कारोबार की शुरुआत की और सफल भी हुए. तीन साल में ही इनका सालाना कारोबार 18 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. नई दिल्ली से पार्थाे बर्मन के शब्दों में पढ़ें इनकी सफलता की कहानी.
  • Bareilly’s oil King

    बरेली के बिरले ऑइल किंग

    बरेली जैसे छोटे से शहर से कारोबार को बड़ा बनाने के लिए बहुत जिगर चाहिए. घनश्याम खंडेलवाल इस कोशिश में सफल रहे. 10 लाख रुपए के निवेश से 2,500 करोड़ रुपए टर्नओवर वाला एफएमसीजी ब्रांड बनाया. उनकी कंपनी का पैकेज्ड सरसों तेल बैल कोल्हू देश में मशहूर है. कंपनी ने नरिश ब्रांड नाम से फूड प्रोडक्ट्स की विस्तृत शृंखला भी लॉन्च की है. कारोबार की चुनौतियां, सफलता और दूरदृष्टि के बारे में बता रही हैं सोफिया दानिश खान