Milky Mist

Wednesday, 30 October 2024

23 की उम्र में 4000 रुपए वाली पहली इवेंट की, 5 साल में कंपनी का टर्नओवर 50 लाख रुपए

30-Oct-2024 By गुरविंदर सिंह
बेंगलुरु

Posted 09 Oct 2020

यह कुछ कर गुजरने की चाहत और सफल होने की जबर्दस्त कामना ही थी, जिसकी बदौलत आस्था झा अपने बचपन के सपने को साकार कर उद्यमी बन पाईं.


23 वर्षीय आस्था पटना की रहने वाली हैं. उन्होंने बेंगलुरु में अपनी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू करने के लिए अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी. आस्था के शब्दाें में, बेंगलुरु ऐसा शहर था, जिससे वे अनजान थीं. उन्होंने वहां पिछले चार साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए कॉलेज होस्टल में गुजारे थे.


क्राफ्टस्टार मैनेजमेंट की संस्थापक आस्था झा. (सभी फोटो : विशेष व्यवस्था से)


आस्था ने साल 2015 में काफ्टस्टार मैनेजमेंट कंपनी की स्थापना की थी. इसके जरिये वे अब तक 300 से अधिक शादियां करवा चुकी हैं. यही नहीं, पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने 50 लाख रुपए का टर्नओवर हासिल किया है. 

आस्था पटना के मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता का टूर्स एंड ट्रेवल्स का छोटा सा बिजनेस हैं. बचपन से ही आस्था खुद का कुछ काम करना चाहती थीं. 

आस्था हंसते हुए कहती हैं, "सबसे पहले मैं डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन मेरे परिवार में बहुत से डॉक्टर थे, इसलिए मन बदल गया. इसके बाद मैंने इंजीनियर बनना तय किया, क्योंकि परिवार में कुछ ही लोग इंजीनियर थे.'' लेकिन खुद का बिजनेस शुरू करने का लक्ष्य कभी फीका नहीं पड़ा.

सन् 2011 में आस्था सीईएमईडीके (कन्सोर्टियम ऑफ मेडिकल, इंजीनियरिंग एंड डेंटल कॉलेजेस ऑफ कर्नाटक) की प्रवेश परीक्षा पास कर इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कोर्स करने बेंगलुरु आ गईं. वहां उन्होंने पीईएसआईटी कॉलेज में एडमिशन लिया.
आस्था को शुरुआत में नए शहर को अपनाने में बहुत मुश्किल आई. वे कहती हैं, "मैं आईआईटी जॉइन करना चाहती थीं, लेकिन प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर पाई. इसके बाद मैंने सीओएमईडीके की परीक्षा दी और पीईएसआईटी कॉलेज में सीट मिल गई.''


कैंपस की लाइफ को याद करते हुए आस्था कहती हैं, "चूंकि मुझे स्थानीय भाषा नहीं आती थी, इसलिए सभी नए लोगों की तरह मुझे भी भाषा की बाधा का सामना करना पड़ा. यही नहीं, दक्षिण भारतीय खाने के साथ सामंजस्य बैठाना भी मुश्किल रहा. लेकिन सौभाग्य से, मेरे दोस्त अच्छे थे और मैंने होस्टल में अच्छा समय बिताया.'' आस्था ने यही ऑर्गेनाइज करने के अपने कौशल को भी निखारा. 


आस्था अपने भाई और सह-संस्थापक सात्विक के साथ.

कॉलेज में आस्था को अहसास हुआ कि वे इवेंट्स काे अच्छी तरह मैनेज कर लेती हैं. वे कहती हैं, "असल में मैं छोटे सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन अच्छी तरह करती थी. अन्य स्टूडेंट्स और टीचर्स मेरे इस कौशल की अक्सर प्रशंसा किया करते थे. मैं सोचती थी कि इवेंट्स ऑर्गेनाइज करने का पार्ट टाइम काम करूं और निजी खर्च के लिए कुछ पॉकेटमनी कमा लूं.''

लेकिन कॉलेज ने उन्हें पार्ट-टाइम जॉब करने की अनुमति नहीं दी. ऐसे में उन्हें इवेंट मैनेजमेंट में अपने हाथ आजमाने के लिए कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने का इंतजार करना पड़ा.

इंजीनियरिंग कोर्स पूरा करने के बाद जल्द ही साल 2015 में आस्था एआईजी कंपनी से रिस्क इंजीनियर के तौर पर जुड़ गईं. यह एक जानी-मानी इंश्योरेंस कंपनी थी. आस्था की सैलरी 35 हजार रुपए प्रति महीना थी.

अच्छी-खासी नौकरी होने के बावजूद आस्था चैन से नहीं बैठीं. उन्होंने एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में पार्ट टाइम नौकरी कर ली, ताकि इस क्षेत्र का अनुभव मिल सके. वे कहती हैं, "मेरा उद्देश्य अनुभव पाना था, ताकि मैं खुद की कंपनी शुरू कर सकूं. उस वक्त मैं कोई छुट्‌टी नहीं लेती थी. उन दिनों मैं रोज 18 से 19 घंटे काम करती थी.''

छह महीने बाद, उन्होंने हिम्मत की और दिसंबर 2015 में क्राफ्टस्टार मैनेजमेंट की शुरुआत कर दी. आस्था ने परिवार के विरोध की भी परवाह नहीं की, जिन्होंने अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ने और जोखिमभरा बिजनेस शुरू करने के निर्णय का विरोध किया था.

अपने जीवन के निर्णायक पलों को याद करते हुए आस्था कहती हैं, "मेरे माता-पिता का रवैया सहयोग वाला रहा. लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों का मानना था कि मैं जोखिम ले रही हूं और अपना उज्ज्वल कैरियर छोड़ रही हूं. हालांकि मुझे पूरा विश्वास था कि मैं कुछ बड़ा करूंगी और सफल होकर रहूंगी.'' 

आस्था को तब प्रोत्साहन मिला, जब उनका 27 वर्षीय भाई सात्विक उनके साथ जुड़ने के लिए राजी हो गया. सात्विक भी पटना में रहकर इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में ही अपना कैरियर तलाश रहा था. आस्था कहती हैं, "मैंने उसे अपने इवेंट मैनेजमेंट बिजनेस के बारे में बताया और वह कुछ ही हफ्तों में बेंगलुरु आ गया.'' हालांकि आस्था ने अपने नए बिजनेस को स्थापित होने तक अपनी एआईजी वाली नौकरी जारी रखने का फैसला किया.


बर्थडे इवेंट्स और छोटी पार्टियों से शुरुआत करने के बाद आस्था ने पिछले साल तय किया कि अब वे सिर्फ शादियों पर ध्यान केंद्रित करेंगी.

इसके बाद भाई-बहन ने मिलकर कंपनी चलाना शुरू कर दिया. आस्था चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) बनीं और सात्विक सह-संस्थापक और ऑपरेशंस हेड. प्रोप्रायटरशिप के अंतर्गत अब कंपनी जल्द पार्टनरशिप फर्म के रूप में रजिस्टर होने वाली है.


आस्था ने जब बड़ी इवेंट करना शुरू किया तो साल 2017 के आखिर में अपनी नौकरी छोड़ दी. वे कहती हैं, "हमने बहुत छोटे स्तर की बर्थडे पार्टी से शुरुआत की. क्योंकि नई इवेंट कंपनी को शुरुआत में कोई वेडिंग नहीं मिलती. हमारी पहली इवेंट एक बर्थडे पार्टी थी, जिसका बजट 4000 रुपए था. हमने नए क्लाइंट को आकर्षित करने के लिए डिजिटल मार्केटिंग का अच्छा इस्तेमाल किया. इसके बाद मुख्य रूप से हमारे क्लाइंट की माउथ पब्लिसिटी के जरिये ही कारोबार बढ़ा.''

बिजनेस में पहले बिग ब्रेक के बारे में सात्विक कहते हैं, "हमें अपना पहला वेडिंग क्लाइंट कंपनी शुरू करने के छह माह बाद मिला. हमने बहुत मेहनत की. यही नहीं, इवेंट काे सफल बनाने के लिए कुछ पैसा अपनी जेब से भी लगाया. क्लाइंट बहुत खुश हुआ.''

इसके बाद भाई-बहन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस इवेंट के बाद कई लोगों ने पूछताछ की. पहले साल के आखिर तक वे 15 शादियां करवा चुके थे. सात्विक कहते हैं, "हम हर महीने शादियों के अलावा 15 बर्थडे पार्टी आयोजित कर रहे थे. हमने किसी भी क्लाइंट को मना नहीं किया.''

हालांकि पिछले साल से उन्होंने बर्थडे पार्टियां आयोजत करना बंद कर दिया है. अब वे सिर्फ शादियों पर ध्यान दे रहे हैं.

आस्था कहती हैं, "हम शादी का पूरा पैकेज उपलब्ध करवाते हैं. हमारी सेवाओं में मेहमानों के लिए टिकट बुकिंग से लेकर, आयोजन स्थल बुक करना, कपड़ों को लेकर सलाह देना, भोजन और सजावट शामिल है. स्थानीय शादी के अलावा हमने 18 डेस्टिनेशन वेडिंग भी की हैं. ये गोवा, उदयपुर, काेलकाता, पुणे, चेन्नई, दिल्ली और देश के अन्य शहर शामिल हैं.'' 

कंपनी अब तक 300 शादियां करवा चुकी हैं. इसके अलावा बर्थडे पार्टी, कॉरपोरेट इवेंट और अन्य सेरेमनी को अनगिनत हैं. उनकी 'प्लानिंग का शुल्क' क्लाइंट के बजट पर निर्भर करता है. वे अपनी सेवाओं के लिए एक समान शुल्क लेते हैं. वे कमीशन पर काम नहीं करते.


क्राफ्टस्टार मैनेजमेंट द्वारा तैयार किया गया एक वेडिंग स्टेज.

आस्था बताती हैं, "औसत दो दिन की शादी और सभी प्रकार की सेवाओं के लिए हम डेढ़ लाख रुपए शुल्क लेते हैं. इसमें सभी सामान और 100 से 150 मेहमानों की आवभगत शामिल है."

आस्था और उनके भाई सात्विक अब बेंगलुरु में रहने लगे हैं. उनके दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, उदयपुर, मुंबई और गोवा में ऑफिस हैं.

सात्विक शादी कर चुके हैं, जबकि आस्था की सगाई हो चुकी है. आस्था कहती हैं, "हम एक वेडिंग मैग्जीन भी निकालते हैं. दूल्हा और दुल्हन के लिए किराए पर ज्वेलरी भी देते हैं. मैं बेंगलुरु में एक यूनिसेक्स सैलून भी चलाती हूं.''

शुरुआती उद्यमियों को उनकी एक ही सलाह है: खुद में भरोसा रखें और कठिन परिश्रम करें. हो सकता है लोग कई बुरी बातें बोलें. लेकिन एक समय ऐसा आएगा, जब वे ही लोग आपको आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल कायम करने के लिए आपको बधाई देंगे. बड़े सपने देखें और उन्हें साकार कर दें.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • how Chayaa Nanjappa created nectar fresh

    मधुमक्खी की सीख बनी बिज़नेस मंत्र

    छाया नांजप्पा को एक होटल में काम करते हुए मीठा सा आइडिया आया. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज उनकी कंपनी नेक्टर फ्रेश का शहद और जैम बड़े-बड़े होटलों में उपलब्ध है. प्रीति नागराज की रिपोर्ट.
  • success story of two brothers in solar business

    गांवों को रोशन करने वाले सितारे

    कोलकाता के जाजू बंधु पर्यावरण को सहेजने के लिए कुछ करना चाहते थे. जब उन्‍होंने पश्चिम बंगाल और झारखंड के अंधेरे में डूबे गांवों की स्थिति देखी तो सौर ऊर्जा को अपना बिज़नेस बनाने की ठानी. आज कई घर उनकी बदौलत रोशन हैं. यही नहीं, इस काम के जरिये कई ग्रामीण युवाओं को रोज़गार मिला है और कई किसान ऑर्गेनिक फू़ड भी उगाने लगे हैं. गुरविंदर सिंह की कोलकाता से रिपोर्ट.
  • Chai Sutta Bar Story

    चाय का नया जायका 'चाय सुट्टा बार'

    'चाय सुट्टा बार' नाम आज हर युवा की जुबा पर है. दिलचस्प बात यह है कि इसकी सफलता का श्रेय भी दो युवाओं को जाता है. नए कॉन्सेप्ट पर शुरू की गई चाय की यह दुकान देश के 70 से अधिक शहरों में 145 आउटलेट में फैल गई है. 3 लाख रुपए से शुरू किया कारोबार 5 साल में 100 करोड़ रुपए का हो चुका है. बता रही हैं सोफिया दानिश खान
  • Vada story mumbai

    'भाई का वड़ा सबसे बड़ा'

    मुंबई के युवा अक्षय राणे और धनश्री घरत ने 2016 में छोटी सी दुकान से वड़ा पाव और पाव भाजी की दुकान शुरू की. जल्द ही उनके चटकारेदार स्वाद वाले फ्यूजन वड़ा पाव इतने मशहूर हुए कि देशभर में 34 आउटलेट्स खुल गए. अब वे 16 फ्लेवर वाले वड़ा पाव बनाते हैं. मध्यम वर्गीय परिवार से नाता रखने वाले दोनों युवा अब मर्सिडीज सी 200 कार में घूमते हैं. अक्षय और धनश्री की सफलता का राज बता रहे हैं बिलाल खान
  • Astha Jha story

    शादियां कराना इनके बाएं हाथ का काम

    आस्था झा ने जबसे होश संभाला, उनके मन में खुद का बिजनेस करने का सपना था. पटना में देखा गया यह सपना अनजाने शहर बेंगलुरु में साकार हुआ. महज 4000 रुपए की पहली बर्थडे पार्टी से शुरू हुई उनकी इवेंट मैनेटमेंट कंपनी पांच साल में 300 शादियां करवा चुकी हैं. कंपनी के ऑफिस कई बड़े शहरों में हैं. बता रहे हैं गुरविंदर सिंह