यक़ीन मानें, जूस बेचकर भी आप करोड़पति बन सकते हैं
23-Mar-2025
By जी. सिंह
कोलकाता
साल 2014 में पीयूष कांकरिया और विक्रम खिनवासरा ने कोलकाता में ‘द यलो स्ट्रॉ’ नाम से फलों के जूस की दुकान शुरू की. महज दो साल में कारोबार छह आउटलेट तक फैल गया. अब दोनों एक करोड़ रुपए के सालाना कारोबार की ओर बढ़ रहे हैं.
विक्रम 37 साल के हैं और पीयूष 32 के. दोनों रिश्तेदार होने के साथ अच्छे दोस्त और बिज़नेस पार्टनर भी हैं.
इन दो सालों में ऐसे कई लोग उनकी दुकान के ग्राहक बन गए हैं, जो सेहत को लेकर फिक्रमंद रहते हैं और सॉफ़्ट ड्रिंक्स की बजाय फलों का जूस पीना बेहतर समझते हैं.
![]() |
द यलो स्ट्रॉ के सह-संस्थापकों पीयूष कांकरिया और विक्रम खिनवासरा ने अपने प्रतिस्पर्धियों से कुछ अलग करने की हिम्मत दिखाई. वे कियोस्क के साथ ठेले से भी जूस बेचते हैं. (फ़ोटो : मोनिरुल इस्लाम मुलिक)
|
ख़र्च घटाने के लिए विक्रम और पीयूष ठेले पर जूस बेचते हैं. कोलकाता के प्रतिष्ठित ‘द टॉलीगंज क्लब’ में भी उनका एक आउटलेट है, जो सिर्फ़ सप्ताहांत और राष्ट्रीय छुट्टियों में खोला जाता है.
कॉमर्स से ग्रैजुएट विक्रम बताते हैं, “मैं अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहता हूँ और रोज़ वर्कआउट करता हूं. बचपन से मैंने सॉफ़्ट ड्रिंक्स की बजाय फ़्रूट जूस पीया है. मुझे लगता है कि सॉफ़्ट ड्रिंक्स स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं.”
मध्य कोलकाता के आरएन मुखर्जी रोड स्थित आउटलेट पर बैठे विक्रम बताते हैं, “जब मैं ख़ुद का बिज़नेस शुरू करने के बारे में सोच रहा था तो विचार किया कि मुझे स्वास्थ्य से जुड़ा काम करना चाहिए.”
द यलो स्ट्रॉ चिली पटाका स्ट्रॉ जैसे फ़्यूजन जूस भी उपलब्ध करवा रहा है, जो पायनेपल, किवी और हरी मिर्च से बनता है.
|
तीन भाइयों में मंझले विक्रम के ख़ून में कारोबार नैसर्गिक था. उनके पिता बिजली के सामान के कारोबारी थे.
उन्होंने इससे पहले एक मोबाइल फ़ोन दुकान ख़रीदी. फिर कपड़े के कारोबार में किस्मत आज़माई. उसके बाद साल 2004 में एक बहुराष्ट्रीय निवेश कंपनी में रिलेशन एग्ज़ीक्युटिव के तौर पर काम किया.
विक्रम याद करते हैं, “मैं इन्वेस्टमेंट और फाइनेंशियल डीलिंग में नौसिखिया था. मैंने बाज़ार के हिसाब से ख़ुद को ढालने और बिज़नेस के तौर-तरीक़े जानने के लिए कंपनी ज्वाइन की.”
उन्होंने साल 2013 तक कंपनी में 10 साल काम किया. जब कंपनी बंद हुई, तब वो वाइस प्रेसिडेंट पद पर थे. इसके बाद कोलकाता में ही दूसरी बहुराष्ट्रीय कंपनी से जुड़े.
वो बताते हैं, “तब तक अपना बिज़नेस शुरू करने का आइडिया दिमाग़ में आकार लेने लगा था.”
इस बीच, खाने-पीने के शौकीन पीयूष के मन में भी फूड चेन शुरू करने का ख़्याल आया. वो बेंगलुरु में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे.
दोनों के विचार मिलते ही उन्होंने जूस की दुकान शुरू करने का फ़ैसला किया, लेकिन पीयूष ने पहले शोध करने का सुझाव दिया.
शुरुआती दिनों में पीयूष और विक्रम ख़ुद जूस बनाते थे और ग्राहकों को सर्व करते थे.
|
अगले नौ महीने पीयूष ने दिल्ली, लुधियाना, अहमदाबाद, अमृतसर, मुंबई की प्रसिद्ध जूस की दुकानों का दौरा किया. वो बेंगलुरु के जूस जंक्शन, मुंबई के हाजी अली जूस सेंटर, दिल्ली के बूस्ट जूस बार और अमृतसर के जूस लाउंज भी गए.
पीयूष याद करते हैं, “हमें फ़ीडबैक मिला कि आइडिया तो अच्छा है, लेकिन कोलकाता में नहीं चलेगा क्योंकि वहां लोग सड़क किनारे की दुकानों से सस्ता जूस पीने के आदी हैं. हम थोड़े निराश हुए, लेकिन तब भी पूरा विश्वास था कि हमारा आइडिया ज़रूर चलेगा.”
बिज़नेस को नज़दीक से समझने के लिए पीयूष ने नौ महीने फ़ास्ट फ़ूड चेन में भी काम किया.
सब्ज़ी काटने से लेकर सलाद बनाने और फ़्रंट डेस्क देखने तक उन्होंने सब सीखा.
आखिरकार उन्होंने 10-10 लाख रुपए के निवेश से दुकान की शुरुआत की. पहला आउटलेट दो कर्मचारियों के साथ 2 मई 2014 को खोला गया.
आउटलेट का नाम ‘द येलो स्ट्रॉ’ रखा गया, जिसकी टैगलाइन थी – ड्रिंक योर फ़्रूट. इसका कारण यह था कि उनके किसी भी प्रॉडक्ट में शकर या पानी नहीं मिलाया जाता था. पहले दिन 85 गिलास जूस बेचा गया.
![]() |
द यलो स्ट्रॉ के विभिन्न आउटलेट पर कुल 25 कर्मचारी हैं.
|
विक्रम बताते हैं, “उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के नज़दीक 26 वर्ग फ़ीट की दुकान किराए पर ली. साथ ही सलाहकार की मदद ली ताकि उनके आउटलेट का जूस दूसरों से अलग लग सके.”
ताज़े सेब और अमरूद के जूस के अलावा आउटलेट में पाइनेपल, किवी और हरी मिर्च से बना चिली पटाका स्ट्रॉ, पालक, सेब, संतरे और चुकंदर से बना पावर पंच स्ट्रॉ, हल्दी, चुकंदर, नीबू, लौकी और अदरक का मिक्स हेल्दी स्ट्रॉ भी मिलता है.
जूस का दाम 40 रुपए से 150 रुपए के बीच है.
![]() |
पीयूष और विक्रम की देश के टियर-2 शहरों में विस्तार की योजना है.
|
जब कारोबार बढ़ा, तो उन्होंने मध्य कोलकाता के डलहौज़ी इलाक़े में 250 वर्ग फ़ीट की दुकान ले ली.
उन्होंने जूस के साथ सैंडविच, टोस्ट जैसे स्नैक बेचने शुरू कर दिए थे.
साल 2016 में उनका ख़र्च और कमाई बराबर हो गई.
विक्रम बताते हैं, “साल 2015-16 में हमने 60 लाख का टर्नओवर हासिल कर लिया, जो ताज़ा साल में एक करोड़ रुपए पार कर जाएगा. हमारे 70 प्रतिशत ग्राहक बार-बार आते हैं.”
उनकी दुकानों पर 25 कर्मचारी काम करते हैं और वो प्रतिदिन 600 गिलास जूस बेचते हैं. दोनों दोस्तों की योजना अब देश के टियर-2 यानी छोटे शहरों में विस्तार करने की है.
इनके लिए सफलता निश्चित ही बिना शकर मिलाए मीठी प्रतीत होती है.
आप इन्हें भी पसंद करेंगे
-
मजबूरी में बने उद्यमी
जब राजीब की कंपनी ने उन्हें दो महीने का वेतन नहीं दिया तो उनके घर में खाने तक की किल्लत हो गई, तब उन्होंने साल 2003 में खुद का बिज़नेस शुरू किया. आज उनकी तीन कंपनियों का कुल टर्नओवर 71 करोड़ रुपए है. बेंगलुरु से उषा प्रसाद की रिपोर्ट. -
जोड़ी जमाने वाली जोड़ीदार
देश में मैरिज ब्यूरो के साथ आने वाली समस्याओं को देखते हुए दिल्ली की दो सहेलियों मिशी मेहता सूद और तान्या मल्होत्रा सोंधी ने व्यक्तिगत मैट्रिमोनियल वेबसाइट मैचमी लॉन्च की. लोगों ने इसे हाथोहाथ लिया. वे अब तक करीब 100 शादियां करवा चुकी हैं. कंपनी का टर्नओवर पांच साल में 1 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. बता रही हैं सोफिया दानिश खान -
किचन से बनी करोड़पति
अपनी मां की तरह नीता मेहता को खाना बनाने का शौक था लेकिन उन्हें यह अहसास नहीं था कि उनका शौक एक दिन करोड़ों के बिज़नेस का रूप ले लेगा. बिना एक पैसे के निवेश से शुरू हुए एक गृहिणी के कई बिज़नेस की मालकिन बनने का प्रेरणादायक सफर बता रही हैं दिल्ली से सोफ़िया दानिश खान. -
शून्य से शिखर की ओर
सिलचर (असम) के राजन नाथ आर्थिक परिस्थिति के चलते मेडिकल की पढ़ाई कर डॉक्टर तो नहीं कर पाए, लेकिन अपने यूट्यूब चैनल और वेबसाइट के जरिए सैकड़ों डाक कर्मचारियों को वरिष्ठ पद जरूर दिला रहे हैं. उनके बनाए यूट्यूब चैनल ‘ईपोस्टल नेटवर्क' और वेबसाइट ‘ईपोस्टल डॉट इन' का लाभ हजारों लोग ले रहे हैं. उनका चैनल भारत में डाक कर्मचारियों के लिए पहला ऑनलाइन कोचिंग संस्थान है. वे अपने इस स्टार्ट-अप को देश के बड़े ऑनलाइन एजुकेशन ब्रांड के बराबरी पर लाना चाहते हैं. बता रही हैं उषा प्रसाद -
जो तूफ़ानों से न डरे
एक वक्त था जब सरत कुमार साहू अपने पिता के छोटे से भोजनालय में बर्तन धोते थे, लेकिन वो बचपन से बिज़नेस करना चाहते थे. तमाम बाधाओं के बावजूद आज वो 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों के मालिक हैं. कटक से जी. सिंह मिलवा रहे हैं ऐसे इंसान से जो तूफ़ान की तबाही से भी नहीं घबराया.