Milky Mist

Wednesday, 9 July 2025

छोटे शहर की लड़की ने 5 लाख रुपए से बिजनेस शुरू किया और दो साल में टर्नओवर 50 लाख रुपए पर पहुंच गया

09-Jul-2025 By सोफिया दानिश खान
नई दिल्ली

Posted 13 Mar 2021

कैरोलीन गोमेज मध्य प्रदेश के छोटे से नगर सरलानगर में अत्यधिक प्यार करने वाले माता-पिता के यहां पली-बढ़ी. वे कैरोलीन को लेकर इतने सजग रहते थे कि उन्हें दाेस्तों के साथ स्कूल ट्रिप्स पर भी नहीं जाने देते थे.

लेकिन पिता की असामयिक मौत ने कैराेलीन की जिंदगी को इतना बदल दिया कि उन्होंने फायनेंस में एमएस की डिग्री यूके की लंकास्टर यूनिवर्सिटी से की. यही नहीं, 2018 में वहां से लौटकर 28 साल की उम्र में रीव्ज क्लाइव नामक अपना पर्सनल केयर स्टार्टअप शुरू किया.
कैरोलीन गोमेज ने जनवरी 2018 में 5 लाख रुपए के निवेश से रीव्ज क्लाइव की शुरुआत की. (फोटो : विशेष व्यवस्था से)

कैरोलीन कहती हैं, “जब मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशंस में बीई की डिग्री पूरी की, तब कैंसर से मेरे पिता का निधन हो गया. उस वक्त वे 55 साल के थे. उनकी मौत से मैं टूट गई थी.” कैरोलीन अपने पिता को खोने के गम से लगातार दुखी रहती थीं, इसलिए वे जल्द ही मुंबई आ गईं.

मुंबई में उन्होंने एक कंपनी के लिए डेढ़ साल तक काम किया. इसके बाद एमएस के लिए यूके चली गईं.

भारत लौटकर, उन्होंने 40,000 रुपए सैलरी में गुड़गांव में एक कंपनी में फायनेंशियल एनालिस्ट की नौकरी की. 14 महीने बाद नौकरी छोड़कर रीव्ज क्लाइव स्टार्टअप लॉन्च किया.

कैरोलीन ने अपनी बचत के 5 लाख रुपए से 2018 में कंपनी शुरू की. उसमें वनस्पति और जलीय आधारित सामग्री से हेयर ऑयल, एंटी-डैंड्रफ शैंपू और बॉडी वॉश बनाए जाने लगे. कंपनी ने महज दूसरे साल (वित्तीय वर्ष 2019-20) में ही 50 लाख रुपए का उल्लेखनीय टर्नओवर हासिल कर लिया.

30 साल की उम्र में सैमसन गोमेज की छोटी सी बेटी कैरोलीन दिल्ली में अपना बिजनेस चला रही है. यह जगह उनके सरलानगर स्थित आरामदायक घर से बहुत दूर है. यह एक टाउनशिप है, जहां मैहर सीमेंट के कर्मचारी रहते हैं. यह कंपनी बीके बिरला ग्रुप ऑफ कंपनीज का हिस्सा है.

कैरोलीन के माता-पिता दोनों सरलानगर हायर सेकंडरी स्कूल में काम करते थे. मां मैरी विक्टोरिया गोमेज ने स्कूल में कई सालों में टीचर के रूप में काम किया और अब वे स्कूल की प्रिंसिपल हैं.
कैरोलीन सरलानगर में अपने माता-पिता के अति सुरक्षित वातावरण में पली-बढ़ी है.

कैरोलीन के पिता सैमसन नेशनल लेवल पर फुटबॉल खेलते थे. वे बाद में स्कूल में एथलेटिक कोच बन गए थे. उन्होंने स्थानीय रामलीला मैदान में युवाओं को विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण भी दिया.

कैरोलीन अपनी याद ताजा करते हुए कहती हैं, “सरलानगर बहुत अच्छी जगह थी. वहां पार्क और क्लब थे. हमने वहां कभी सुरक्षा की चिंता नहीं की. कॉलोनी में मेरे बहुत से दोस्त थे और मैंने बचपन का खूब आनंद लिया.”

बचपन में कैरोलीन का रुझान इलेक्ट्रॉनिक्स की ओर था. घड़ियां और घर के दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामान सुधारना उन्हें खूब पसंद था. इसलिए कक्षा 12वीं के बाद उन्होंने 2008 से 2012 के बीच छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्थित सीआईएमटी कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशनंस में बीई किया. इस दौरान वे िभलाई में अपने नाना-नानी के घर रहती थीं.

वे कहती हैं, “कॉलेज घर से 20 किमी दूर था. मैं रोज बस से कॉलेज जाया करती थी.”

माता-पिता कैरोलीन को शहर के बाहर ट्रिप पर नहीं भेजते थे. इसकी वजह कैरोलीन की बड़ी बहन के जीवन में हुआ एक हादसा था. दरअसल कैरोलीन की बड़ी बहन एक बार एक स्पोर्ट्स मीट में शामिल होने शहर से बाहर गई थी. उसके बाद एक सूचना ने परिवार को चिंता में डाल दिया कि वह 'लापता' हो गई है.

माता-पिता भीतर तक हिल गए और उन्हें बहुत बड़ा सदमा पहुंचा. हालांकि जल्द ही उन्हें खबर मिली कि उनकी बेटी मिल गई है और सुरक्षित है. इसके बाद ही उनकी जान में जान आई.
रीव्ज क्लाइव ने पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की रेंज लॉन्च की है. आने वाले समय में और भी प्रोडक्ट लॉन्च किए जाने हैं.

कैरोलीन याद करती हैं कि 2011 में जब कॉलेज के दोस्तों का एक ग्रुप मुंबई गया था, तब उन्होंने परिजन से कहा था कि वे भी उनके साथ जाना चाहती हैं. उनके पिता अंतत: पिघल गए थे और उन्हें इजाजत दे दी थी.

कैरोलीन कहती हैं, “उस ट्रिप में बहुत मजा आया था.” हालांकि कैरोलीन की यह खुशी ज्यादा दिन नहीं ठहर सकी. अगले ही साल कैंसर से उनके पिता की मौत हो गई.

न सिर्फ परिवार, बल्कि कॉलोनी का हर सदस्य उन्हें बहुत याद करता है. कैरोलीन कहती हैं, “मेरे पिता मिलनसार व्यक्ति थे और वे कॉलोनी के अमिताभ बच्चन की तरह थे.”

“लोग अब भी मुझे मैसेज करते हैं कि वे पिताजी को बहुत याद करते हैं. मैं टूट गई थी और उस जगह से भाग जाना चाहती थी. इसलिए मैं मुंबई चली आई, जहां मुझे 25 हजार रुपए सैलरी में एक कंपनी में एग्जीक्यूटिव एडमिनिस्ट्रेटर की नौकरी मिल गई.”

करीब डेढ़ साल बाद जब वे थोड़ा संभली तो उन्होंने लंकास्टर यूनिवर्सिटी में एमएस के लिए आवेदन दिया और उन्हें प्रवेश मिल गया. उनकी शिक्षा का कुछ खर्च एक रिश्तेदार ने उठाया.

कैरोलीन याद करती हैं, “मेरी मां घबरा जाती थी और यह चिंता कर-करके बीमार पड़ जाती थीं कि मैं विदेश में अकेली कैसे रहूंगी, जहां मैं किसी को जानती तक नहीं थी.”

अगले 2 सालों तक कैरोलीन ने लंदन में होने का मौका भुनाया और विभिन्न देशों के दोस्त बनाए.

वे 2016 में भारत लौटीं और गुड़गांव की एक कंपनी में फायनेंशियल एनालिस्ट की नौकरी करने लगीं. उन्हें अपने काम में आनंद आने लगा था, लेकिन इस बीच उनकी सेहत मात देने लगी. वे बार-बार बीमार पड़ने लगीं और उनके बहुत बाल झड़ने लगे. ऐसे में उन्हें कई घरेलू उपचार और डाई लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
लंकास्टर यूनिवर्सिटी में कैरोलीन.

कैरोलीन कहती हैं, “मैं चिकित्सीय उपचार के लिए डॉ. उनियाल से मिली. वे आयुर्वेद चिकित्सक थे. उनके उपचार से मेरी परेशानी दूर होने लगी तो मैंने आयुर्वेदिक उत्पादों पर अधिक शोध करना शुरू किया. मैंने डॉ. उनियाल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद और उनके घटकों पर बहुत समय तक चर्चा की.”

कैरोलीन को जो जानकारी मिली, वह आंखें खोल देने वाली थी. इसके बाद वे खुद विभिन्न तरह के प्रयोग करने लगीं.

उद्यमी बनने की अपनी यात्रा के बारे में कैरोलीन बताती हैं, “उन्होंने मुझे 30 घटकों की सूची दी और बताया कि वे कैसे काम करते हैं. उन्होंने कुछ राज सिखाए और विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों के लाभ भी बताए. इसके बाद मैंने हेयर ऑयल की 500 बॉटल बनाई और परिवार के सदस्यों के बीच बांट दीं.”

उत्पाद के बारे में मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने जनवरी 2018 में रीव्ज क्लाइव ऑन्ह प्राइवेट लिमिटेड लॉन्च कर दी. उसी साल अप्रैल में उन्हें 13 लाख रुपए की फंडिंग मिली. पिछली जुलाई में कंपनी को एक और निवेशक से 70 लाख रुपए की फंडिंग मिली.

कैरोलीन कहती हैं, “सितंबर में हमने पांच नए उत्पाद लॉन्च किए. ये हैं उबटन, नैचुरल फेस पैक, बाल झड़ने से बचाने वाला और एंटीडैंड्रफ शैंपू और बॉडी वॉश व हेयर ऑयल की रेंज.”

उन्होंने उत्पाद बाहरी स्रोत से तैयार करवाए और अपनी टीम के साथ बिक्री और मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित किया. उनके सभी उत्पाद 800 से 1199 रुपए की रेंज में उपलब्ध हैं.
अच्छे दिन : अपने माता-पिता के साथ कैरोलीन.

वर्तमान में कैरोलीन आठ लोगों की टीम का नेतृत्व कर रही हैं. वे उत्पाद बढ़ाने की योजनाएं बना रही हैं. डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क और बिक्री बढ़ाने की योजना पर भी काम कर रही हैं.

कैरोलीन कहती हैं, “ग्राहकों की प्रतिक्रिया के आधार पर हम अपने प्रोडक्ट को बेहतर करने पर लगातार काम कर रहे हैं. फिलहाल हम अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिये अपने उत्पाद बेच रहे हैं. जल्द ही रिटेल आउटलेट पर भी उपस्थिति होगी. ग्राहकों तक भी सीधे पहुंचेंगे.”

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • From sales executive to owner of a Rs 41 crore turnover business

    सपने, जो सच कर दिखाए

    बहुत कम इंसान होते हैं, जो अपने शौक और सपनों को जीते हैं. बेंगलुरु के डॉ. एन एलनगोवन ऐसे ही व्यक्ति हैं. पेशे से वेटरनरी चिकित्सक होने के बावजूद उन्होंने अपने पत्रकारिता और बिजनेस करने के जुनून को जिंदा रखा. आज इसी की बदौलत उनकी तीन कंपनियों का टर्नओवर 41 करोड़ रुपए सालाना है.
  • how a boy from a village became a construction tycoon

    कॉन्ट्रैक्टर बना करोड़पति

    अंकुश असाबे का जन्म किसान परिवार में हुआ. किसी तरह उन्हें मुंबई में एक कॉन्ट्रैक्टर के साथ नौकरी मिली, लेकिन उनके सपने बड़े थे और उनमें जोखिम लेने की हिम्मत थी. उन्होंने पुणे में काम शुरू किया और आज वो 250 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं. पुणे से अन्वी मेहता की रिपोर्ट.
  • Caroleen Gomez's Story

    बहादुर बेटी

    माता-पिता की अति सुरक्षित छत्रछाया में पली-बढ़ी कैरोलीन गोमेज ने बीई के बाद यूके से एमएस किया. गुड़गांव में नौकरी शुरू की तो वे बीमार रहने लगीं और उनके बाल झड़ने लगे. इलाज के सिलसिले में वे आयुर्वेद चिकित्सक से मिलीं. धीरे-धीरे उनका रुझान आयुर्वेदिक तत्वों से बनने वाले उत्पादों की ओर गया और महज 5 लाख रुपए के निवेश से स्टार्टअप शुरू कर दिया। दो साल में ही इसका टर्नओवर 50 लाख रुपए पहुंच गया. कैरोलीन की सफलता का संघर्ष बता रही हैं सोफिया दानिश खान...
  • Chai Sutta Bar Story

    चाय का नया जायका 'चाय सुट्टा बार'

    'चाय सुट्टा बार' नाम आज हर युवा की जुबा पर है. दिलचस्प बात यह है कि इसकी सफलता का श्रेय भी दो युवाओं को जाता है. नए कॉन्सेप्ट पर शुरू की गई चाय की यह दुकान देश के 70 से अधिक शहरों में 145 आउटलेट में फैल गई है. 3 लाख रुपए से शुरू किया कारोबार 5 साल में 100 करोड़ रुपए का हो चुका है. बता रही हैं सोफिया दानिश खान
  • biryani story

    बेजोड़ बिरयानी के बादशाह

    अवधी बिरयानी खाने के शौकीन इसका विशेष जायका जानते हैं. कोलकाता के बैरकपुर के दादा बाउदी रेस्तरां पर लोगों को यही अनूठा स्वाद मिला. तीन किलोग्राम मटन बिरयानी रोज से शुरू हुआ सफर 700 किलोग्राम बिरयानी रोज बनाने तक पहुंच चुका है. संजीब साहा और राजीब साहा का 5 हजार रुपए का शुरुआती निवेश 15 करोड़ रुपए के टर्नओवर तक पहुंच गया है. बता रहे हैं पार्थो बर्मन