महज 7 लाख के निवेश से पति-पत्नी ने शुद्ध शहद का कारोबार शुरू किया, अब सालाना टर्नओवर 3.5 करोड़ रुपए हासिल करने की तैयारी
21-Jan-2025
By उषा प्रसाद
बेंगलुरु
राम्या सुंदरम और मिथुन स्टीफन दोनों उस वक्त 24 साल के थे, जब कर्नाटक के दांदेली शहर के पश्चिमी घाटों में ट्रेकिंग के दौरान उनका सामना वहां के ऐसे मूल निवासियों से हुआ, जो जंगल से शहद इकट्ठा कर रहे थे.
वह साल 2014 था. वह घटना उन दोनों की यादों में अब भी तरोताजा है. दोनों उसी साल शादी के बंधन में बंध गए. उसके अगले साल उन्होंने अपनी निजी बचत से 7 लाख रुपए लगाकर ‘हनी एंड स्पाइस’ नाम से जंगली शहद का बिजनेस शुरू कर दिया.
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राम्या सुंदरम और मिथुन स्टीफन ने प्राकृतिक जंगली शहद बेचने के लिए 2014 में हनी एंड स्पाइस लॉन्च किया. (फोटो : विशेष व्यवस्था से)
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हनी एंड स्पाइस अपनी वेबसाइट और अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसे ई-रिटेल आउटलेट के जरिये सीधे ग्राहकों से जुड़ने के मॉडल पर काम करती है. कंपनी ने पिछले साल 2 करोड़ रुपए का टर्नओवर हासिल किया. इस साल यह 3.5 करोड़ रुपए का आंकड़ा छूने को तैयार हैं.
देशभर के लोग उनसे शहद खरीदते हैं. पिछले दो साल से उन्होंने अमेरिका और सिंगापुर के ग्राहकों को भी शहद पहुंचाना शुरू की है.
दांदेली के जंगलों से शहद कैसे इकट्ठा की जाती है, यह देखने के बाद बेंगलुरु के मिथुन और राम्या ने करीब छह महीने यह रिसर्च करने में बिताए कि जंगलों से जुटाई जा रही शहद स्टोर्स में मिलने वाली शहद से कैसे अलग है.
इस कारोबार की नींव कैसे पड़ी, इसके अनुभव के बारे में मिथुन याद करते हैं, “जब हम जनजातीय लोगों से मिले, तब तक बाजार में बोतल में बिकने वाली शहद के बारे में ही जानते थे.”
“हमें अहसास हुआ कि जंगली शहद थोड़ी खट्टी और कड़वी होती है. इसकी प्रकृति और रंग भी अलग होता है. जबकि सुपरमार्केट और बड़े स्टोर्स में बिकने वाली विभिन्न ब्रांड की शहद का स्वाद एक जैसा होता है और यह बहुत मीठी होती है.”
उन्हें बाद में पता चला कि बड़े पैमाने पर बनाई जाने वाली शहद का अल्ट्रा-फिल्ट्रेशन किया जाता है. इसे हीटिंग प्रोसेस से गुजारा जाता है, जो शुद्ध शहद के सभी लाभकारी गुणों को नष्ट कर देती है.
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मिथुन और राम्या 2010 की मुलाकात बेंगलुरु में हुई थी और साथ-साथ ट्रेकिंग पर गए थे. |
मिथुन कहते हैं, “हम समझ गए हैं कि शहद का स्वाद, रंग और प्रकृति फूलों के हिसाब से अलग-अलग होती है.”
“बड़े ब्रांड की शहद का स्वाद एक जैसा होता है क्योंकि वे शहद में एक प्रकार का गाढ़ापन बनाए रखते हैं और ग्राहक भी इसके आदी हो जाते हैं.”
मिथुन और राम्या को महसूस हुआ कि शहद के प्राकृतिक रूप का भी कोई तो बाजार होगा. वहीं से उनके दिमाग में बिजनेस आइडिया पनपा.
मिथुन कहते हैं, “हम आइडिया तलाशने के लिए कैफे में घंटों बैठते. हम अधिकतर जनजातीय लोगों को समझते थे. इनमें जेनु कुरुबास भी शामिल हैं, जो तमिलनाडु के नीलगिरी जिले और कर्नाटक के कोडागु व मैसुरू जिलों में रहते हैं. वे अपने जीवनयापन के लिए मुख्य रूप से मधुमक्खी पालन पर निर्भर हैं.”
जनजातीय लोगाें के साथ काम करना और उनसे शहद खरीदकर सामाजिक प्रभाव डालने का विचार युवा इंजीनियरों को आकर्षक लगा. दोनों ऐसा काम शुरू करना तय कर चुके थे, जो उन्हें घने जंगलों में ले जाए और वे भारत के विभिन्न क्षेत्रों के छोटे किसानों, एन.जी.ओ., स्व-सहायता समूहों और मूल निवासी जनजातियों के साथ काम करें.
हनी एंड स्पाइस के लिए मिथुन और राम्या केरल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा के जंगलों और कृष्णागिरी व शोलागिरी समेत बेंगलुरु के आसपास के संरक्षित जंगलों से निकाली गई शहद इकट्ठी करते थे.
मिथुन कहते हैं, “पहला साल ग्राहकों से प्रतिक्रिया लेने में गुजर गया. हम अपनी शहद बेचने के लिए कबाड़ी बाजार और किसान बाजार जाते थे.”
“हमारी शहद इस्तेमाल कर चुके अधिकतर लोग फिर से हमारे पास आते. तब हमें लगा कि इस बाजार में हमारे लिए बहुत अवसर है, जिसका दोहन किया जा सकता है.”
पहले साल, हनी एंड स्पाइस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने करीब 10 लाख रुपए का कारोबार किया. उन्होंने 2015 के मध्य में ऑनलाइन बिक्री शुरू की. इसके बाद से उनका कारोबार हर साल 100% की दर से वृद्धि कर रहा है.
एक ई-रिटेलर के रूप में उन्हें अपने प्रॉडक्ट के बारे में ग्राहकों से सीधे बात करनी पड़ती है और अपने शहद के अनूठेपन के बारे में विस्तृत जानकारी देनी होती है.
मिथुन कहते हैं, “हम ग्राहकों को शिक्षित करते हैं कि हमारी शहद का स्वाद बोतलबंद शहद के मुकाबले क्यों बेहतर है. बड़ी कंपनियां अल्ट्राफिल्ट्रेशन प्रक्रिया का पालन करती हैं, जो परागकणों को भी हटा देती है. हम प्राकृतिक शहद बेचते हैं। इसे हीट किया जाता है और इसका केवल बेसिक फिल्ट्रेशन किया जाता है.”
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राम्या 2015 से इस कारोबार में पूर्णकालिक रूप से जुड़ गईं. |
दोनों ने अपने कारोबार में एक महत्वपूर्ण सुधार यह किया है कि वे ग्राहकों को यह बताते हैं कि शहद कहां से इकट्ठा की गई है.
मिथुन कहते हैं, “हमारी बोतल पर एक क्यूआर कोड होता है. जब ग्राहक इस कोड को स्कैन करते हैं, तो वे महीने और उस जगह की जानकारी हासिल कर सकते हैं, जहां से शहद इकट्ठा की गई है.”
इन्होंने शहद के साथ मसाले के कुछ प्रयोग भी किए हैं. वे अदरक और तुलसी वाली शहद भी बेचते हैं.
आज वे कई प्रकार की शहद बेचते हैं. जैसे वाइल्ड फॉरेस्ट हनी, रॉ हनी, क्लिफ हनी, सुपरफूड्स जैसे एपल साइडर विनेगर, हेल्थ जूस. वे पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स जैसे लिप बाम और शैंपू भी बेचते हैं.
पर्सनल केयर प्रोडक्ट वे उत्तराखंड की एक कंपनी से आउटसोर्स करते हैं क्योंकि इन्हें तैयार करने के लिए पूरी प्रक्रिया अलग होती है. बाकी प्रोडक्ट उनकी बेंगलुरु के येलहांका में 4,000 वर्ग फीट की किराए की जगह में 14 लोगों की टीम तैयार करती है.
मिथुन तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के छोटे से नगर मारताण्डम से हैं. उनके पिता राज्य कृषि विभाग में काम करते हैं, जबकि उनकी मां कॉलेज प्रिंसिपल हैं.
मारताण्डम में मधुमक्खी पालन की परंपरा है और उस क्षेत्र में कई मधुमक्खी पालक हैं. लेकिन जमीन होने के बावजूद मिथुन का परिवार शहद के कारोबार से नहीं जुड़ा.
मिथुन कहते हैं, “हमारे घर के पिछवाड़े मधुमक्खी पालक शहद इकट्ठी करने वाले बॉक्स रखते थे. हमारे फार्म को परागण की जरूरत होती थी और मधुमक्खी पालकों को शहद की. मैं यह सब देखते हुए ही बड़ा हुआ हूं. और शहद के बारे में मुझे बस यही पता है.”
मिथुन ने स्कूल की पढ़ाई अपने गृहनगर में की. वहीं चेन्नई के सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
राम्या बेंगलुरु की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की और बेंगलुरु के राजीव गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की.
उनके पिता सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट बेंगलुरु में वैज्ञानिक थे और मां गृहिणी हैं.
राम्या और मिथुन की मुलाकात 2010 में तब हुई थी, जब मिथुन अपना कॅरियर शुरू करने की योजना के साथ चेन्नई से बेंगलुरु गए थे. दोनों अक्सर ट्रेकिंग पर जाते थे और इस तरह उनका रिश्ता मजबूत हुआ.
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मिथुन तमिलनाडु के मारताण्डम से हैं. वहां मधुमक्खी पालन आम बात है. |
इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स होने के बावजूद दोनों खुद का कुछ शुरू करना चाहते थे. दोनों 9 से 5 बजे वाली नौकरी करने के इच्छुक नहीं थे.
इसलिए मिथुन विभिन्न स्टार्टअप के लिए फ्रीलांस सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का काम करने लगे और राम्या कॉर्पोरेट्स के लिए फ्रीलांस इवेंट प्लानर बन गईं.
2015 में राम्या ने अपना काम छोड़ा और हनी एंड स्पाइस पर ध्यान देना शुरू कर दिया, जबकि मिथुन को पूरी तरह इसमें शामिल होने में 3 साल और लगे.
दोनों का साढ़े तीन साल का निधीश नाम का बेटा है.
दोनों की 2021 के लिए महत्वाकांक्षी योजना है. वे स्टोर खोलने के साथ सभी ट्रेड आउटलेट और सुपरमार्केट में माैजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं. इसके साथ ही वे मिडिल ईस्ट और यूरोपीय देशों के बाजार में भी संभावनाएं तलाश रहे हैं. वे बाहरी फंडिंग की तलाश में हैं और कुछ निवेशकों के भी संपर्क में हैं.
दोनों इस बात से खुश हैं कि उनके एक साझा दोस्त आकाश अब उनसे फिर जुड़ गए हैं. आकाश उनकी शुरुआती टीम का हिस्सा रहे हैं, लेकिन एम.बी.ए. करने के लिए उन्होंने कुछ समय की छुट्टी ली थी.
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