Milky Mist

Saturday, 1 November 2025

रंग-बिरंगी बेड शीट्स के दीवाने हुए, दिवालिया हो रही कंपनी से बकाया के बदले ढाई लाख रुपए का माल खरीद शुरू किया बिजनेस, अब 9.25 करोड़ का टर्नओवर

01-Nov-2025 By उषा प्रसाद
जयपुर

Posted 12 Jun 2021

कहा जाता है कि जब आप किसी चीज को शिद्दत से चाहते हैं, तो पूरी कायनात उस चीज को पाने में आपकी मदद करती है. पुनीत पाटनी महज 22 साल के थे. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की ही थी जब वे कुछ बेड शीट्स के दीवाने हो गए, जो उन्होंने एक फैक्ट्री में देखी थीं.

उन्होंने इस दीवानेपन को अवसर में बदला और दो कंपनियां बनाईं. ये कंपनियां बेड शीट्स, दोहड़, रजाई और घर की साज-सज्जा से जुड़ा कारोबार करती हैं. दोनों कंपनियों का संयुक्त टर्नओवर 9.25 करोड़ रुपए है. यह सब कैसे शुरू हुआ, इसकी बड़ी दिलचस्प कहानी है. .


पुनीत पाटनी ने साल 2009 में पाटनी इंटरप्राइजेस की स्थापना की और बेड शीट्स बेचने लगे. (फोटो : विशेष व्यवस्था से)

पुनीत ने शहीद भगत सिंह कॉलेज, नई दिल्ली से 2008 में कॉमर्स में ग्रैजुएशन किया और अपने गृहनगर जयपुर लौट आए. वहां वे अपने पिता परेश पाटनी की मदद करने लगे, जो टेक्सटाइल के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स और डाई के डीलर थे.

उन दिनों वे अपने पिता के साथ विभिन्न टेक्सटाइल मिल्स और एक्सपोर्ट हाउस जाया करते थे.

“ पुनीत कहते हैं, “एक दिन ऐसी ही एक मिल में जाने के दौरान एक जगह मैंने कुछ बेड शीट्स देखीं. वे मेरे दिल पर छा गईं. उनकी सुंदर प्रिंट देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया. मैंने तत्काल अपने निजी इस्तेमाल के लिए कुछ बेड शीट्स खरीद लीं."

“मेरे परिवार के बहुत से सदस्यों और दोस्तों को ये बेड शीट्स बहुत पसंद आईं. उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि मैंने इन्हें कहां से खरीदा है. वे भी ऐसी ही बेड शीट्स खरीदना चाहते थे. तभी मैंने यह सोचा कि क्यों न इन बेड शीट्स का ही कारोबार किया जाए. ”

लगभग उसी वक्त, उनके पिता के एक ग्राहक को बिजनेस में घाटा हुआ और वे अपना कर्ज नहीं चुका पाए.

बकाया राशि के एवज में यह तय हुआ कि पुनीत और उनके पिता उनसे 2.5 लाख से 3 लाख रुपए मूल्य की बेड शीट्स खरीद लेंगे. इस तरह पुनीत ने 2009 में अपने पिता के साथ पार्टनरशिप में पाटनी इंटरप्राइजेस की शुरुआत की. बेड शीट्स एक ऐसी कंपनी से आनी थीं, जो दिवालिया होने की कगार पर थी.
पुनीत विभिन्न ऑनलाइन मार्केट पर बेड शीट्स और अन्य उत्पाद चादरवालाज के नाम से बेचते हैं.

बिजनेस लगातार बढ़ता रहा. बेड शीट्स की प्रशंसा परिवार के बीच से बढ़कर थोक बिक्री तक बढ़ी. 2018 में पुनीत ने ई-रिटेलिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक और कंपनी आरोही क्रिएशंस शुरू की. यह प्रोप्राइटरशिप कंपनी थी.

पाटनी का मौजूदा टर्नओवर 8 करोड़ रुपए और आरोही का 1.25 करोड़ रुपए है.

पाटनी थोक विक्रेताओं को बेड शीट्स की आपूर्ति करती है, वहीं आरोही में ‘चादरवालाज’ ब्रांड के तहत बेड शीट्स आदि बनाई जाती हैं और अमेजन, फ्लिपकार्ट, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बेची जाती हैं.

इनकी बी2बी प्लेटफॉर्म जैसे मीशो और उड़ान पर भी बिक्री की जाती है. पुनीत का 65 प्रतिशत बिजनेस बेड शीट्स का है. वे बेड कवर, कर्टन्स, दीवान सेट कवर, कुशन कवर, टेबल मैट्स, नैपकिन और अन्य कई उत्पाद भी बनाते हैं.

रंग-बिरंगी चादरों पर हाथ से प्रिंट की जाती है. यह काम पुनीत की सांगानेर में स्थित तीन प्रिंटिंग यूनिट में कुशल कारीगर करते हैं. सांगानेर जयपुर का एक उपनगरीय इलाका है, जो प्रिंटिंग और हस्त कौशल के कारखानों के लिए मशहूर है.

कॉलेज से निकल कर सीधे उद्यमी बनने की यात्रा के बारे में पुनीत बताते हैं, “सबसे पहले, मैंने बेड शीट्स परिवार के लोगों को बेची. इसके बाद बड़े शहरों जैसे मुंबई, पुणे और दिल्ली के मार्केट में संभावनाएं तलाशीं.

“मैं कुछ सैंपल साथ में रखता था और वहां रिटेल दुकानदारों से मिलता था. मुझे मुंबई और पुणे में बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली.”

शुरुआत में, वे प्रिंटेड बेड शीट्स दूसरे लोगों से लेते थे. बाद में, साल 2013 में उन्होंने स्क्रीन प्रिंटिंग और हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग मशीनों से अपनी यूनिट शुरू की. उन्होंने 2014 में दूसरी और 2017 में तीसरी यूनिट शुरू की. पुनीत 18 हजार वर्ग फीट और 10 हजार वर्गफीट क्षेत्र की दो यूनिट के मालिक हैं.

जबकि तीसरी 10 हजार वर्ग फीट की यूनिट किराए की जगह पर है. तीनों यूनिट में कुल 55 लोग काम करते हैं.
पुनीत ने 22 साल की उम्र में बिजनेस में कदम रख दिया था. उस समय उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी ही की थी.

वे अपने उत्पादों में 100 प्रतिशत कॉटन का इस्तेमाल करते हैं. इसमें विभिन्न गुणवत्ता होती है जो 104 थ्रेड काउंट से 300 थ्रेड काउंट तक होती है.

पुनीत कहते हैं, “ब्लॉक प्रिंटिंग में छोटे बदलाव, वाइब्रेंट और सार्थक रूपांकन, व हिंदुस्तानी ब्लॉक प्रिंटिंग की हैंड-मेड तकनीक हर बेड शीट को अद्वितीय और अपनी तरह का अनूठा बनाती है.”

बेड शीट्स, बेड कवर, दोहड़ और रजाई विभिन्न रंगों और मंत्रमुग्ध करने वाली डिजाइन में आती हैं. जैसे इंडिगो ब्ल्यू ऑर्गेनिक मोटिफ्स, एक्जूबरंट मुगल चारबाग हैंड-ब्लॉक प्रिंटेड कलेक्शन, मुगल फ्लोरल मोटिफ्स और फ्लोरल-जाल बेडकवर.

आरोही क्रिएशन द्वारा बेची जाने वाली कॉटन की बेड शीट्स की कीमतें 949 रुपए से लेकर 2,400 रुपए तक है. जबकि सिल्क के बेड कवर्स की कीमत 3,200 रुपए से लेकर 3,600 रुपए तक हैं.

वर्तमान में पाटनी की भारतीय बाजार तक पहुंच है. इसमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दिल्ली बड़े बाजार हैं. इनके बाद दक्षिण में बेंगलुरु और केरल का नंबर आता है.

पुनीत कॉटन का सफेद कपड़ा मुख्य रूप से तमिलनाडु में टेक्सटाइल के केंद्र तिरुपुर, पल्लादम और इरोड क्षेत्र से खरीदते हैं. इसके अलावा जयपुर के पास किशनगढ़ से भी वे खरीदी करते हैं. .

वॉशिंग, डाइंग, प्रिंटिंग, सिलाई, पैकिंग और क्वालिटी चेक उनकी यूनिट पर ही की जाती है.

पैसों के संकट के बीच पुनीत बेड शीट्स बेचकर जो भी कमाते हैं, उसे वापस बिजनेस में लगा देते हैं. अब तक उन्हें कोई बाहरी फंडिंग नहीं मिली है.
पहले साल, पाटनी एंटरप्राइजेस ने 8 लाख रुपए का टर्नओवर हासिल किया है. दूसरे साल 19 लाख रुपए का टर्नओवर रहा. इसके बाद से कंपनी साल-दर-साल 100% से अधिक की वृद्धि दर्ज कर रही है.

2020 में महामारी ने बिजनेस को बहुत नुकसान पहुंचाया है. पुनीत कहते हैं, “अप्रैल, मई और जून में कोई बिक्री नहीं हुई. मैं बहुत परेशान रहा क्योंकि हमें सप्लायर को भी पैसे देने थे. हमारे पास हाेलसेलर्स और ग्राहकों से कोई पैसा नहीं आया क्योंकि दोनों भी मुश्किल हालात में थे.

“दिवाली के सीजन में हमारे लिए उम्मीद की किरण जागी क्योंकि इस दौरान लोग बड़ी मात्रा में एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं. इस दौरान बिजनेस बेहतर हुआ.”


घर की सजावट के चीनी सामान के बिजनेस को भी कोविड महामारी के बाद नुकसान पहुंचा. इससे पाटनी इंटरप्राइजेस को काफी लाभ हो चुका है.

पुनीत के मुताबिक, घर की साज-सज्जा में चीन बड़ा खिलाड़ी है. उसे कोविड के कारण खासा नुकसान हुआ है.

वे कहते हैं, “चूंकि हमारे (रिटेल) कारोबारियों ने चीन से खरीदारी बंद कर दी है, इसलिए हमारे जैसे  लोगों को सीधी मदद मिली है. खासकर अहमदाबाद अौर जयपुर में.”

पुनीत के पिता, जो पाटनी एंटरप्राइजेस में भी पार्टनर हैं, अब भी अपना कारोबार कर रहे हैं और जर्मनी की एक कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर हैं. पुनीत भी उनके ग्राहकों में से एक हैं.

पुनीत की पत्नी मनीला ज्वेलरी मैन्यूफैक्चरर हैं. वे ब्रांड नेम मनीला क्रिएशंस के तहत एमरल्ड, डायमंड और रूबी की ज्वेलरी बनाती हैं.

दोनों की तीन साल की एक बेटी आरोही है.

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Just Jute story of Saurav Modi

    ये मोदी ‘जूट करोड़पति’ हैं

    एक वक्त था जब सौरव मोदी के पास लाखों के ऑर्डर थे और उनके सभी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. लेकिन उन्होंने पत्नी की मदद से दोबारा बिज़नेस में नई जान डाली. बेंगलुरु से उषा प्रसाद बता रही हैं सौरव मोदी की कहानी जिन्होंने मेहनत और समझ-बूझ से जूट का करोड़ों का बिज़नेस खड़ा किया.
  • From sales executive to owner of a Rs 41 crore turnover business

    सपने, जो सच कर दिखाए

    बहुत कम इंसान होते हैं, जो अपने शौक और सपनों को जीते हैं. बेंगलुरु के डॉ. एन एलनगोवन ऐसे ही व्यक्ति हैं. पेशे से वेटरनरी चिकित्सक होने के बावजूद उन्होंने अपने पत्रकारिता और बिजनेस करने के जुनून को जिंदा रखा. आज इसी की बदौलत उनकी तीन कंपनियों का टर्नओवर 41 करोड़ रुपए सालाना है.
  • Alkesh Agarwal story

    छोटी शुरुआत से बड़ी कामयाबी

    कोलकाता के अलकेश अग्रवाल इस वर्ष अपने बिज़नेस से 24 करोड़ रुपए टर्नओवर की उम्मीद कर रहे हैं. यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था. स्कूल में दोस्तों को जीन्स बेचने से लेकर प्रिंटर कार्टेज रिसाइकिल नेटवर्क कंपनी बनाने तक उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे. उनकी बदौलत 800 से अधिक लोग रोज़गार से जुड़े हैं. कोलकाता से संघर्ष की यह कहानी पढ़ें गुरविंदर सिंह की कलम से.
  • Designer Neelam Mohan story

    डिज़ाइन की महारथी

    21 साल की उम्र में नीलम मोहन की शादी हुई, लेकिन डिज़ाइन में महारत और आत्मविश्वास ने उनके लिए सफ़लता के दरवाज़े खोल दिए. वो आगे बढ़ती गईं और आज 130 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली उनकी कंपनी में 3,000 लोग काम करते हैं. नई दिल्ली से नीलम मोहन की सफ़लता की कहानी सोफ़िया दानिश खान से.
  • Bareilly’s oil King

    बरेली के बिरले ऑइल किंग

    बरेली जैसे छोटे से शहर से कारोबार को बड़ा बनाने के लिए बहुत जिगर चाहिए. घनश्याम खंडेलवाल इस कोशिश में सफल रहे. 10 लाख रुपए के निवेश से 2,500 करोड़ रुपए टर्नओवर वाला एफएमसीजी ब्रांड बनाया. उनकी कंपनी का पैकेज्ड सरसों तेल बैल कोल्हू देश में मशहूर है. कंपनी ने नरिश ब्रांड नाम से फूड प्रोडक्ट्स की विस्तृत शृंखला भी लॉन्च की है. कारोबार की चुनौतियां, सफलता और दूरदृष्टि के बारे में बता रही हैं सोफिया दानिश खान