Milky Mist

Wednesday, 2 April 2025

इंफोसिस में इंजीनियर रहे सम्राट ने सिर्फ पांच साल में स्मूथी चेन के 110 आउटलेट खोलकर 60 करोड़ रुपए टर्नओवर वाला बिजनेस बनाया

02-Apr-2025 By सोफिया दानिश खान
हैदराबाद

Posted 20 Oct 2021

आईटी कंपनी इंफोसिस में पदोन्नति पाने के बावजूद पहली नौकरी छोड़ने से लेकर हटकर कारोबार चुनने और इसे अजीबोगरीब नाम देने तक सम्राट रेड्डी तेजी से बढ़ती भारतीय स्मूदी चेन के संस्थापक बन गए हैं. ड्रंकन मंकी नामक इस चेन के कर्ताधर्ता सम्राट ने हर बार साबित किया है कि वे खुले विचारों वाले उद्यमी हैं.

ऐसे समय में जब देशभर में कॉफी और चाय की शृंखलाएं फल-फूल रही थीं, सम्राट ने स्मूदी चेन शुरू करने का फैसला किया - हालांकि उन्हें यह कारोबार शुरू करने की प्रेरणा स्टारबक्स से मिली, जो अंतरराष्ट्रीय कॉफी हाउस है.

सम्राट रेड्डी ने 2016 में ड्रंकन मंकी के एक आउटलेट से शुरुआत की थी. अब यह बढ़कर 110 आउटलेट वाली स्मूदी चेन हो गई है. (फोटो: स्पेशल व्यवस्था से)

2016 में हैदराबाद में एक आउटलेट से शुरुआत कर ड्रंकन मंकी ने ललचाने वाली टैगलाइन 'नेचुरली हाई' के साथ पिछले पांच सालों में फ्रेंचाइजी मॉडल को अपनाते हुए तेजी से विस्तार किया है.

वित्त वर्ष 2020-21 तक सम्राट के पास अब 110 आउटलेट हो गए हैं. उनका सालाना टर्नओवर 60 करोड़ रुपए है. दो आउटलेट कंपनी के हैं. इसके अलावा सभी फ्रेंचाइजी मॉडल पर दिए गए हैं.

इस चेन की दक्षिण भारत में अधिक मौजूदगी है. उनके हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु में कई आउटलेट हैं. उनके दिल्ली-मुंबई में दो-दो और कोलकाता में एक आउटलेट है.

36 वर्षीय सम्राट अब भी इसे आसान नहीं मान रहे हैं. वे अगले 10 महीनों में अपने आउटलेट की संख्या दोगुनी से अधिक करना चाहते हैं. वे कहते हैं, “मैं अगले 10 महीनों में आउटलेट्स की संख्या 250 तक पहुंचाना चाहता हूं. अगले तीन सालों में मेरी योजना दूसरे देशों में भी विस्तार करने की है.”

सम्राट का मानना है कि एक बार जब लोगों को स्मूदी का स्वाद पसंद आ जाएगा तो बाजार में तेजी आएगी. वे कहते हैं, “मैं स्मूदी के लिए सब्सक्रिप्शन मॉडल शुरू करना चाहता हूं और स्मूदी को रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहता हूं. स्मूदी एक तरह से बोतलबंद फलों की तरह हैं.”

बिजनेस करने के सम्राट के निर्णायक पलों का राज उस समय में छुपा है, जब उन्होंने इंफोसिस की नौकरी छोड़ने का फैसला किया. वहां उन्होंने एक साल से अधिक समय तक काम किया. उस दौरान वे 1.5 लाख रुपए वेतन ले रहे थे.

जब उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया, उस समय उनकी पोस्टिंग एक साल के लिए ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में थी. कंपनी से उन्हें पदोन्नति और ऑस्ट्रेलिया में चार साल और रुकने का प्रस्ताव भी मिला था.

ड्रंकन मंकी 200 तरह की स्मूदी उपलब्ध कराती है.

नौकरी छोड़ने की उस व्यक्ति से कम ही उम्मीद की जा सकती है, जिसने दो साल पहले ही कॉलेज से ग्रैजुएशन पूरा किया हो. सम्राट हंसते हुए अपने फैसले को समझाते हुए कहते हैं, “मैंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि मुझे पता था कि अगर मैंने अभी ऐसा नहीं किया, तो कभी नहीं कर पाऊंगा.”

लेकिन सम्राट को ऐसे ही जीना पसंद था. इंफोसिस छोड़ने के बाद उन्होंने ग्लासगो के स्ट्रेथक्लाइड विश्वविद्यालय से मार्केटिंग में एमबीए (2008-09) किया.

आत्म-घोषित साहसिक प्रेमी और क्रिकेट उत्साही सम्राट कई अन्य अकादमिक टॉपर्स के विपरीत स्ट्रीट स्मार्ट होने पर गर्व करते हैं.

सम्राट की फ्रेंचाइजी में आज 1,000 से अधिक लोग काम कर रहे हैं. वे कहते हैं, “जब मैंने काम शुरू किया, तो मुझे लगा कि अधिकांश टॉपर्स कड़ी मेहनत कर रहे थे, लेकिन स्ट्रीट स्मार्ट नहीं थे. उनमें सामाजिक कौशल भी नहीं था. आज मैं लोगों को उनके अंकों के आधार पर नहीं आंकता. मैं उनके कौशल को देखता हूं.”

सम्राट का जन्म आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में हुआ था. उनके पिता सुधाकर रेड्डी प्राणीशास्त्र के प्रोफेसर थे. मां शिवा लक्ष्मी रेड्डी रसायन विज्ञान की प्रोफेसर थीं. दोनों दो साल पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे.

और जब उन्होंने इंफोसिस में अपनी उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़ने का फैसला किया तो माता-पिता की प्रतिक्रिया क्या थी?

सम्राट कहते हैं, “वे हैरान नहीं हुए. बचपन से मैंने वह कभी नहीं किया जो माता-पिता मुझसे करवाना चाहते थे. इसलिए वे मेरे लिए बस सुरक्षित और व्यवस्थित करियर चाहते थे. उन्होंने मुझे मेरे सपनों का पीछा करने से नहीं रोका.”

सम्राट फिटनेस के प्रति उत्साही और खेल व साहसिक प्रेमी हैं.

सम्राट के माता-पिता हैदराबाद में काम करते थे. हालांकि सम्राट ने अपना अधिकांश बचपन चेन्नई में मौसी के घर बिताया, जहां वे कई चचेरे भाइयों के साथ पले-बढ़े और इस माहौल ने उनके व्यक्तित्व को काफी हद तक आकार दिया.

चेन्नई में बड़े होने के समय के बारे में सम्राट बताते हैं, “मेरा बचपन मजेदार रहा. बड़े परिवार में पालन-पोषण होने से मुझे लोगों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली. मुझे यह भी पता चला कि हर कोई अपने आप में अलग होता है.”

“हममें से किसी को भी इतना भी लाड़-प्यार नहीं किया गया कि हम बिगड़ जाएं. नखरे दिखाने का कोई मतलब नहीं था. इसलिए हम जीवन में जल्दी अनुशासित हो गए. मैंने युवावस्था के दिनों में बहुत क्रिकेट और बास्केटबॉल खेला. खेलों ने मुझे किसी भी किताब से कहीं ज्यादा सिखाया. मुझे हार या असफलता का सामना करने से कोई गुरेज नहीं था.”

सम्राट पढ़ाई में भी मेधावी थे. उन्होंने 2002 में यूनियन क्रिश्चियन मैट्रिकुलेशन हायर सेकंडरी स्कूल, चेन्नई से 96% अंकों के साथ 12वीं कक्षा पास की.

उन्होंने 2006 में चेन्नई के एसआरएम कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में ग्रैजुएशन किया. इसके बाद इंफोसिस से टेस्ट एनवायरनमेंट इंजीनियर के रूप में जुड़े. वहां उन्होंने नौकरी छोड़ने और यूके में एमबीए के लिए नामांकन करने से पहले एक साल से अधिक समय तक काम किया.

वे 2009 में भारत लौट आए और दोस्त के साथ एक 3डी एनिमेशन फर्म हेस्टिया स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड शुरू की. उन्होंने इस उद्यम में 5 लाख रुपए का निवेश किया. पहले ही साल में कंपनी ने 1 करोड़ रुपए का टर्नओवर हासिल किया.

2010 और 2015 के बीच उनके दोस्त और बिजनेस पार्टनर ने हेस्टिया को संभाला, जबकि सम्राट ने कई अन्य कार्य किए. इस समय तक उनके मन में स्मूदी चेन शुरू करने का विचार पनपने लगा था.

उन्होंने अपने एक चाचा के स्वामित्व वाले स्टील प्लांट में जनरल मैनेजर (ऑपरेशंस) के रूप में काम किया. फिर कुछ समय के लिए कैमरून में एक जल उपचार संयंत्र और अमेरिका के ओक्लाहोमा में एक तेल ड्रिलिंग कंपनी (2014-15) में भी काम किया.


ड्रंकन मंकी आउटलेट प्रमुख रूप से हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु में हैं.  

सम्राट ने 2015 में अपने कुछ दोस्तों से मिलने के लिए दो महीने का ब्रेक लिया. वे दोस्त ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में रहते थे. सम्राट कहते हैं, “मैं तरह-तरह के उद्योगों को इसलिए चला पाया क्योंकि मैं तेजी से सीखता हूं. चलते-फिरते सीखने में विश्वास करता हूं और हर दिन जैसा आता हूं, उसे स्वीकार करता हूं.”

“मैंने पर्थ, मेलबर्न, सिडनी और ब्रिस्बेन में रहने वाले दोस्तों से मुलाकात की. मैं कुछ नया शुरू करना चाहता था, और स्मूदी आइडिया के बारे में सोचना शुरू कर दिया.”

2015 में उन्होंने हेस्टिया को बंद कर दिया, जिसका टर्नओवर तब तक 5 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था. इसके बाद अगले साल ड्रंकन मंकी में 1 करोड़ रुपए का निवेश किया. उन्होंने आर एंड डी में पैसे लगाए और स्मूदी की शानदार रेंज के साथ शुरुआत की.

सम्राट कहते हैं, “2016 में हमने हैदराबाद में ड्रंकन मंकी का पहला आउटलेट 700 वर्ग फुट में पांच कर्मचारियों और 200 प्रकार की स्मूदी के साथ खोला. हमारी स्मूदी 100% प्राकृतिक है. इसमें कोई प्रिजर्वेटिव नहीं होता है.”

स्मूदी की कीमत 90 रुपए से 250 रुपए के बीच है. सबसे ज्यादा बिकने वाली किस्में सूखे मेवे और तरबूज की हैं. सम्राट कहते हैं, “हमने हाल ही में स्मूदी बाउल पेश किए हैं. वे भोजन की तरह हो सकते हैं.” सम्राट ने दो साल पहले ही शादी की है.

उनकी पत्नी कृषि विज्ञान में डॉक्टरेट हैं. हालांकि वे घर संभालती हैं. बिजनेस से जुड़ने की उनकी कोई योजना नहीं है.

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Weight Watches story

    खुद का जीवन बदला, अब दूसरों का बदल रहे

    हैदराबाद के संतोष का जीवन रोलर कोस्टर की तरह रहा. बचपन में पढ़ाई छोड़नी पड़ी तो कम तनख्वाह में भी काम किया. फिर पढ़ते गए, सीखते गए और तनख्वाह भी बढ़ती गई. एक समय ऐसा भी आया, जब अमेरिकी कंपनी उन्हें एक करोड़ रुपए सालाना तनख्वाह दे रही थी. लेकिन कोरोना लॉकडाउन के बाद उन्हें अपना उद्यम शुरू करने का विचार सूझा. आज वे देश में ही डाइट फूड उपलब्ध करवाकर लोगों की सेहत सुधार रहे हैं. संतोष की इस सफल यात्रा के बारे में बता रही हैं उषा प्रसाद
  • Success story of anti-virus software Quick Heal founders

    भारत का एंटी-वायरस किंग

    एक वक्त था जब कैलाश काटकर कैलकुलेटर सुधारा करते थे. फिर उन्होंने कंप्यूटर की मरम्मत करना सीखा. उसके बाद अपने भाई संजय की मदद से एक ऐसी एंटी-वायरस कंपनी खड़ी की, जिसका भारत के 30 प्रतिशत बाज़ार पर कब्ज़ा है और वह आज 80 से अधिक देशों में मौजूद है. पुणे में प्राची बारी से सुनिए क्विक हील एंटी-वायरस के बनने की कहानी.
  • Designer Neelam Mohan story

    डिज़ाइन की महारथी

    21 साल की उम्र में नीलम मोहन की शादी हुई, लेकिन डिज़ाइन में महारत और आत्मविश्वास ने उनके लिए सफ़लता के दरवाज़े खोल दिए. वो आगे बढ़ती गईं और आज 130 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली उनकी कंपनी में 3,000 लोग काम करते हैं. नई दिल्ली से नीलम मोहन की सफ़लता की कहानी सोफ़िया दानिश खान से.
  • Shadan Siddique's story

    शीशे से चमकाई किस्मत

    कोलकाता के मोहम्मद शादान सिद्दिक के लिए जीवन आसान नहीं रहा. स्कूली पढ़ाई के दौरान पिता नहीं रहे. चार साल बाद परिवार को आर्थिक मदद दे रहे भाई का साया भी उठ गया. एक भाई ने ग्लास की दुकान शुरू की तो उनका भी रुझान बढ़ा. शुरुआती हिचकोलों के बाद बिजनेस चल निकला. आज कंपनी का टर्नओवर 5 करोड़ रुपए सालाना है. शादान कहते हैं, “पैसे से पैसा नहीं बनता, लेकिन यह काबिलियत से संभव है.” बता रहे हैं गुरविंदर सिंह
  • Success story of Falcon group founder Tara Ranjan Patnaik in Hindi

    ऊंची उड़ान

    तारा रंजन पटनायक ने कारोबार की दुनिया में क़दम रखते हुए कभी नहीं सोचा था कि उनका कारोबार इतनी ऊंचाइयां छुएगा. भुबनेश्वर से जी सिंह बता रहे हैं कि समुद्री उत्पादों, स्टील व रियल एस्टेट के क्षेत्र में 1500 करोड़ का सालाना कारोबार कर रहे फ़ाल्कन समूह की सफलता की कहानी.