Milky Mist

Thursday, 21 November 2024

डेलॉयट में इंजीनियर रही युवती ने अपने 2बीएचके घर से 3.5 लाख रुपए में बिजनेस शुरू कर 137 करोड़ रुपए का वुमन वियर ब्रांड बनाया

21-Nov-2024 By सोफिया दानिश खान
नई दिल्ली

Posted 24 Nov 2021

ग्यारह साल पहले, हैदराबाद की डेलॉयट कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रहीं 23 वर्षीय निधि यादव ने अपने जुनून काे जीने के लिए नौकरी छोड़ दी और पोलीमोडा फैशन स्कूल, फ्लोरेंस, इटली में फैशन बाइंग एंड मर्चेंडाइजिंग में एक साल के कोर्स में दाखिला लिया.

आज, वे एकेएस क्लोदिंग की मालकिन हैं. यह 137 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाला वुमन वियर ब्रांड है. निधि ने इसकी शुरुआत 2014 में गुरुग्राम के अपने 2बीएचके घर से महज 3.5 लाख रुपए से की थी.

निधि यादव ने गुरुग्राम स्थित अपने 2बीएचके के घर से 3.5 लाख रुपए से एकेएस क्लोदिंग की शुरुआत की थी. (फोटो: विशेष व्यवस्था से)


निधि की शादी को दो साल से भी कम समय हुआ था. उनकी बेटी सुनिधि सिर्फ सात महीने की थी. तब कुर्ता, अनारकली, मैक्सी ड्रेस, लहंगे और पारंपरिक सूट की मामूली सूची के साथ एक ऑनलाइन ब्रांड के रूप में एकेएस को लॉन्च किया गया था.

आईआईएम कोझिकोड से एमबीए पास उनके पति सतपाल यादव ने उन्हें बिजनेस स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया और कपड़े खरीदने के लिए उनके साथ जयपुर गए.

एकेएस (जिसका हिंदी में मतलब है प्रतिबिंब) की यात्रा के बारे में िनधि कहती हैं, “मेरी इच्छा ज़ारा की तरह फास्ट फैशन आधुनिक वियर ब्रांड शुरू करने की थी, लेकिन उस समय जबॉन्ग में ऑपरेशंस मैनेजर के रूप में काम कर रहे मेरे पति ने महसूस किया कि एथनिक वियर में अधिक गुंजाइश थी.”

बिजनेस के शुरुआती दिनों में उन्होंने स्टॉक रखने के लिए अपने 2बीएचके घर के अतिरिक्त बेडरूम का इस्तेमाल किया.

निधि कहती हैं, “मुझे याद है कि हमारी पहली सूची में कपड़े के 936 सेट थे. हमने उत्पादों की तस्वीरें लीं और उन्हें ई-कॉमर्स पोर्टल्स पर डाल दिया. हमने निवेश कम रखा.

“घर से बिजनेस शुरू करके हमने किराए की बचत की. इससे अपनी बेटी को भी संभालना आसान हो गया, जो उस समय सिर्फ सात महीने की थी.”

अपना पहला कर्मचारी नियुक्त करने से पहले लगभग एक साल तक निधि अकेले काम करती रहीं.

करीब डेढ़ साल तक निधि ने खुद ही सब मैनेज किया. उन्होंने पैकिंग की और बाद में अपने घरेलू नौकर को काम करने के लिए प्रशिक्षित किया.

उन्होंने लाइमरोड, जबॉन्ग और बाद में मिंत्रा के जरिये भी उत्पाद बेचे. ये कंपनियां उनके घर से उत्पाद इकट्‌ठे करके ले जाती थीं.

निधि ने कपड़े जयपुर से मंगवाए. जल्द ही उन्होंने ऐसी तीन इकाइयों की पहचान कर ली, जो उनके अनुसार कपड़े बनाने के लिए सहमत हो गईं.

“उस वक्त निर्यात उद्योग नीचे जा रहा था. यही वह मुख्य कारण था कि हम छोटे ऑर्डर दे सके. हमें 30 दिनों की क्रेडिट अवधि दी गई थी, जो समय के साथ बढ़कर 60 और 90 दिन हो गई.”

जैसे-जैसे बिजनेस ने गति पकड़नी शुरू की, उत्पाद उनके घर पर अधिक जगह घेरने लगे. कपड़े बेडरूम के अलावा हॉल और बरामदे में रखे जाने लगे. 2015 तक उन्होंने स्टॉक रखने के लिए किराए पर एक बेसमेंट ले लिया.

निधि ने 2014 में एक प्रोपराइटरशिप फर्म के रूप में शुरुआत की, लेकिन तीन साल बाद युवधि अपेरल्स को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदल दिया.

निधि ने शुरू से ही अपने ब्रांड को लेकर सतर्कता बरती. जोर हमेशा एथनिक वियर और फास्ट फैशन पर रहा है - जिसका मतलब है कि वे हर 15 दिनों में नई डिजाइन पेश करती थीं.

वे कहती हैं, “2014 ऐसा समय था, जब लोग ऑनलाइन चीजों से सावधान रहते थे, और तेज फैशन अनसुना था. हमने हर 15 दिनों में नए स्टाइल लॉन्च किए और उत्पादों की छोटी-छोटी बैच रखी.”

“जब हम छोटे बैचों में उत्पादन करते हैं, तो कमी की भावना होती है और ग्राहक यदि कोई डिजाइन पसंद करते हैं, तो उनकी उसे तुरंत खरीदने की संभावना होती है बजाय कि इंतजार करने और पूरी तरह से उसे खोने के, क्योंकि जल्द ही उसका स्टॉक खत्म हो सकता है.” वे सीमित संख्या में हर महीने लगभग 300 नए डिजाइन लॉन्च करती हैं.

निधि ने अपनी बेटी के साथ एकेएस के हाल ही में लॉन्च किए गए मदर-चाइल्ड कलेक्शन के लिए मॉडलिंग की.

उनका नवीनतम कलेक्शन मदर-चाइल्ड कलेक्शन है, जिसे महामारी में लॉकडाउन के दौरान आवश्यकता के अनुरूप बनाया गया था.

“हम उस समय कपड़े नहीं खरीद सकते थे, और जब महिलाओं के पहनावे की बात आती है तो कपड़ा बहुत व्यर्थ जाता है. इसलिए हमने उसी कपड़े से बच्चों के लिए कपड़े बनाए.”

निधि ने धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ाया और 2015 में उन्होंने अपने पहले कर्मचारी को काम पर रखा. अगले साल तीन और कर्मचारी जोड़े. उनके पति 2018 में कंपनी में शामिल हुए और अब एकेएस 110 सदस्यीय टीम बन गई है.

टीम में पांच टेलर और डिजाइनर की एक टीम शामिल है. ये सभी निधि से डिजाइन पर चर्चा करते हैं और डिजाइन तैयार करते हैं. इसके बाद टेलर डिजाइन पर काम करते हैं और सैंपल पीस बनाते हैं. ये सैंपल पीस थोक उत्पादन के लिए दिल्ली और जयपुर में साझेदार कारखानों को भेजे जाते हैं.

वे कपड़ा सूरत, अहमदाबाद और जोधपुर से मंगवाते हैं. निधि कहती हैं, “50 फीसदी उत्पादन दिल्ली में और बाकी 50 फीसदी जयपुर में किया जाता है. हमें नहीं लगता कि हमने कुछ बड़ा हासिल किया है, लेकिन कुछ चीजें हमें महसूस कराती हैं कि हम कुछ सही कर रहे हैं.”

वे बताती है कि एकेएस मिंत्रा के एक्सीलरेटर प्रोग्राम का हिस्सा था.

निधि के पास अब तक की अपनी उद्यमशीलता की यात्रा के बारे में खुश महसूस करने का हर कारण है. हालांकि वे नहीं चाहतीं कि जहां हैं, वहीं ठहर जाएं. वे हमेशा से ही टॉपर बनना चाहती थीं और मौजूदा प्रतिष्ठा पर ही सुस्ताना उनके लिए जल्दबाजी होगी.

इंदौर में वकील दंपति करण सिंह यादव और राजबाला यादव के घर जन्मी निधि अपने छोटे भाई के साथ पली-बढ़ीं. उन्होंने इंदौर पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और 2004 में 12वीं पास की.

वे कहती हैं, “मैं एक मेहनती, कठिन परिश्रमी, अध्ययनशील बच्ची थी. हमेशा कक्षा में प्रथम आना चाहती थी और यह रवैया मेरे साथ जुड़-सा गया है. मैं अपनी गर्मी की छुट्टियों की दोपहर अलग-अलग तरह के कपड़े बनाने में बिताती थी. मुझे बहुत बाद में एहसास हुआ कि मैं फैशन इंडस्ट्री के लिए बनी हूं.”

निधि ने सोचा कि ड्राइंग और ड्रेस में उनकी रुचि सिर्फ एक शौक थी. इसलिए उन्होंने श्री जीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंदौर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक (2004-08) किया.

निधि अपने पति सतपाल यादव के साथ.

स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद वे डेलॉयट में नौकरी करने लगीं. वहां उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक काम किया, जब तक कि उनके एक वरिष्ठ ने उनसे एक आत्मा विश्लेषण वाला सवाल नहीं पूछ लिया. उस सवाल ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया.

आखिरी दिन कब आपको ऑफिस आने में मजा आया था? यह सवाल था और उन्होंने पलट कर जवाब दिया था, ‘कभी नहीं.’

डेलॉयट छोड़ने और इटली में एक फैशन कोर्स के लिए नामांकन करने के अपने निर्णय के बारे में निधि बताती हैं, “वहां से मुझे यह महसूस करने में लगभग तीन महीने लग गए कि मेरा दिल फैशन में है.”

वे बताती हैं, “पहले सेमेस्टर में मैंने लगभग छह महीने तक ज़ारा (अंतरराष्ट्रीय फैशन ब्रांड) पर बड़े पैमाने पर शोध किया. मैं गर्व कर सकती हूं कि मुझे इटली में प्रादा और ज़ारा स्टोर से बाहर निकाल दिया गया क्योंकि मैंने ठीक से कपड़े नहीं पहने थे.”

“इटली में आपको महंगे स्टोर में जाने के लिए मेकअप और नेल पेंट के साथ ठीक से तैयार होने की जरूरत होती है और प्रोटोकॉल का पालन न करने पर वही होता है, जो मेरे साथ हुआ. इटली वाले फैशन को लेकर बहुत विशिष्ट होते हैं.”

उन्होंने जियोमेट्रिक प्रिंट के लिए मशहूर इतालवी फैशन ब्रांड एमिलियो पक्की में इंटर्नशिप की. बाद में उन्हें एक अन्य प्रसिद्ध फैशन ब्रांड गुच्ची में इंटर्नशिप और नौकरी की पेशकश की गई. हालांकि उन्होंने भारत वापस आने का फैसला किया.

निधि भारत लौट आईं. यहां उन्होंने गुरुग्राम स्थित प्रसिद्ध इतालवी लक्जरी ब्रांड बोट्टेगा वेनेटा के साथ एक कारोबारी के रूप में लगभग तीन महीने तक काम किया. वे कहती हैं, “मैं एक पारिवारिक इंसान हूं. इसलिए इंटर्नशिप और नौकरी की पेशकश मिलने के बावजूद मैंने घर वापस आने का फैसला किया.”

निधि ने भारत में अपनी जड़ों की ओर लौटने के लिए इटली में नौकरी के अवसरों को ठुकरा दिया.  

2012 में उन्होंने सतपाल यादव से शादी की जिनसे वे लिंक्डइन पर मिली थीं. निधि कहती हैं, “हमने बीबीएम (ब्लैक बेरी मैसेंजर) पर घंटों तक बातचीत की और जब उन्होंने शादी का प्रस्ताव रखा तो मैंने 20 सेकंड के भीतर हां कर दी.”

सतपाल ने ही उन्हें पहला बच्चा होने के बाद कारोबार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्हें दूसरे बच्चे के रूप में 2019 में बेटा सान्निध्य हुआ.

निधि कहती हैं, “मैं और मेरी मां बेटे की देखभाल करते हैं, हमारी बड़ी बेटी के स्कूल का ख्याल सतपाल रखते हैं.”

“इसी तरह हमने कार्यालय में भी काम बांट रखा है; वे वित्त और योजना का काम संभालते हैं, जबकि मैं कलात्मकता का ध्यान रखती हूं. हमारी केमेस्ट्री भाई-बहनों की तरह की है. हम एक-दूसरे से लड़ते हैं, फिर भी हमेशा साथ रहते हैं और एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते.”

एकेएस उन कुछ कंपनियों में से एक है, जो महामारी के दौरान बढ़ी है. इस साल इसका कारोबार 165 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है.

 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Air-O-Water story

    नए भारत के वाटरमैन

    ‘हवा से पानी बनाना’ कोई जादू नहीं, बल्कि हकीकत है. मुंबई के कारोबारी सिद्धार्थ शाह ने 10 साल पहले 15 करोड़ रुपए में अमेरिका से यह महंगी तकनीक हासिल की. अब वे बेहद कम लागत से खुद इसकी मशीन बना रहे हैं. पीने के पानी की कमी से जूझ रहे तटीय इलाकों के लिए यह तकनीक वरदान है.
  • PM modi's personal tailors

    मोदी-अडानी पहनते हैं इनके सिले कपड़े

    क्या आप जीतेंद्र और बिपिन चौहान को जानते हैं? आप जान जाएंगे अगर हम आपको यह बताएं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी टेलर हैं. लेकिन उनके लिए इस मुक़ाम तक पहुंचने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा. अहमदाबाद से पी.सी. विनोज कुमार बता रहे हैं दो भाइयों की कहानी.
  • Bhavna Juneja's Story

    मां की सीख ने दिलाई मंजिल

    यह प्रेरक दास्तां एक ऐसी लड़की की है, जो बहुत शर्मीली थी. किशोरावस्था में मां ने प्रेरित कर उनकी ऐसी झिझक छुड़वाई कि उन्होंने 17 साल की उम्र में पहली कंपनी की नींव रख दी. आज वे सफल एंटरप्रेन्योर हैं और 487 करोड़ रुपए के बिजनेस एंपायर की मालकिन हैं. बता रही हैं सोफिया दानिश खान
  • Success story of Sarat Kumar Sahoo

    जो तूफ़ानों से न डरे

    एक वक्त था जब सरत कुमार साहू अपने पिता के छोटे से भोजनालय में बर्तन धोते थे, लेकिन वो बचपन से बिज़नेस करना चाहते थे. तमाम बाधाओं के बावजूद आज वो 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों के मालिक हैं. कटक से जी. सिंह मिलवा रहे हैं ऐसे इंसान से जो तूफ़ान की तबाही से भी नहीं घबराया.
  • Story of Sattviko founder Prasoon Gupta

    सात्विक भोजन का सहज ठिकाना

    जब बिजनेस असफल हो जाए तो कई लोग हार मान लेते हैं लेकिन प्रसून गुप्ता व अंकुश शर्मा ने अपनी गलतियों से सीख ली और दोबारा कोशिश की. आज उनकी कंपनी सात्विको विदेशी निवेश की बदौलत अमेरिका, ब्रिटेन और दुबई में बिजनेस विस्तार के बारे में विचार कर रही है. दिल्ली से सोफिया दानिश खान की रिपोर्ट.