Milky Mist

Wednesday, 10 December 2025

ख़ुद वेजिटेरियन हैं, पर नॉनवेज भोजन बनाने में इन्हें महारत हासिल है

10-Dec-2025 By उषा प्रसाद
कोयंबटूर

Posted 05 May 2018

कोयंबटूर से 79 किलोमीटर दूर है इरोड जिला. यहां सीनापुरम गांव में अपने घर पर होटल चला रहे एक दंपति की बदौलत गांव को दुनिया के नक्शे पर पहचान मिली है.

होटल का नाम है यूबीएम नम्मा वीटू सापाडु. यहां नॉनवेज (मांसाहारी) भोजन मिलता है जिसे खाने बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों से भी लोग आते हैं.

यूबीएम नम्मा वीटू सापाडु में ग्राहकों को भोजन परोसते आर. करुनैवेल और स्वर्णलक्ष्मी. (सभी फ़ोटो – एच.के. राजाशेकर)


होटल की ख़ासियत यहां 500 रुपए (कुछ मामलों में 700 रुपए तक) में मिलने वाला पेटभर भोजन है. इसमें मटन, चिकन, फ़िश, टर्की आदि से बने क़रीब 20 प्रकार के परंपरागत मांसाहारी व्‍यंजन परोसे जाते हैं.

भोजन सात से आठ फ़ीट लंबे केले के पत्ते पर सर्व किया जाता है. एक पत्ते पर चार से पांच लोगों का परिवार साथ बैठकर भोजन कर सकता है.

आप चाहें तो छोटे पत्ते पर भी खाना परोसा जाता है.

होटल के मालिक हैं 60 साल के आर. करुनैवेल और उनकी 53 वर्षीय पत्नी स्वर्णलक्ष्मी.

करुनैवेल बताते हैं, सप्ताह के अंत या छुट्टियों में होटल में क़रीब 150 लोग आते हैं. बाकी दिनों में यह संख्‍या 50 तक रह जाती है.

एक ग्राहक को अपने हाथों से खिलाते करुनैवेल.


लोग अपने पसंदीदा भोजन के लिए 150 से 200 किलोमीटर तक का सफ़र करके आते हैं.

करुनैवेल कहते हैं, होटल से जाते समय लोगों के चेहरों की मुस्कुराहट मुझे और मेहनत करने की ऊर्जा देती है.

विभिन्‍न मांसाहारी खाना जैसे मटन कोलांबू, रथपोरियाल, कुडाल करी, थलाईकरी, लिवर करी तथा ब्रॉयलर चिकन व नाटुकोली (कंट्री) चिकन से बनी डिश, मीनकोलांबू (फ़िश करी) के अलावा यहां चावल, रसम और दही भी उपलब्‍ध रहता है.

करुनैवेल की होटल के बाहर अपनी बारी का इंतज़ार करती भीड़.

रोचक बात यह है कि करुनैवेल और उनकी पत्‍नी दोनों कठोर शाकाहारी हैं.

करुनैवेल बताते हैं, मैं भगवान शिव को मानने वाला हूँ. मैं अंडा तक नहीं खाता. मैं दिन में एक बार शाम पांच बजे शुद्ध शाकाहारी भोजन करता हूं. यह खाना मेरी आठ साल की पोती मुझे खिलाती है. मेरी पत्नी ने आठ साल पहले मांसाहारी खाना छोड़ दिया था.

करुनैवेल और उनकी पत्‍नी भोजन बनाने का आनंद लेते हैं और लोगों को मन भरने तक खिलाते हैं.


...तो फिर यह होटल कैसे शुरू हुआ?

इस सवाल पर करुनैवेल बताते हैं, हमारा परिवार मेहमाननवाज़ी के लिए जाना जाता था. मेरे दादा-दादी इस बात को सुनिश्चित करते थे कि घर आया कोई व्यक्ति भूखा न जाए. मेरे माता-पिता ने भी इस बात का पालन किया और हम भी इसी परंपरा को निभा रहे हैं.

 “हालांकि हमारा परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था, लेकिन हम लोगों को मुफ़्त खाना नहीं खिला सकते थे क्योंकि मांसाहारी भोजन महंगा पड़ता था और इतनी बड़ी संख्या में लोगों को खाना खिलाना संभव नहीं था.

जब करुनैवेल युवा थे तो वो घर में कई तरह का स्‍वादिष्‍ट खाना खाकर बड़े हुए.

वो बताते हैं, स्वाद और प्रामाणिकता ऐसी बातें हैं, जिससे हम समझौता नहीं कर सकते. प्रत्‍येक मांसाहारी डिश की रेसिपी में थोड़े बदलाव किए गए. ये हमारे बुज़ुर्गों की भेंट है.

किचन में भोजन गर्म करतीं स्‍वर्णलक्ष्‍मी.


साल 1992-93 में करुनैवेल के परिवार ने अपने गांव के आराघर में एक कैंटीन से शुरुआत की. छह साल बाद इसे उन्होंने अपने घर से आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया.

करुनैवेल बताते हैं, चूंकि हमारा घर मुख्य सड़क पर है, इसलिए वहां से गुज़रने वाले सरकारी अधिकारी भोजन करने के लिए रुक जाते थे. धीरे-धीरे लोग हमारे बारे में जानने लगे और आने लगे.

पति-पत्नी ख़ुद ही मीट और मसाले चुनते हैं. करुनैवेल मीट की गुणवत्‍ता, मछली आदि की जांच करते हैं और पत्‍नी को बताते हैं कि मसाला पेस्ट कैसे बनाया जाए.

वो कहते हैं, खाना पूरी तरह मेरी पत्नी बनाती है. इस तरह हम खाने की गुणवत्‍ता पर बेहतर नियंत्रण रख पाते हैं.

होटल में स्‍वादिष्‍ट भोजन का इंतज़ार करता परिवार.


हमारा मक़सद है कि लोग यहां घर की तरह महसूस करें और अपने परिवार के साथ मिलकर एक पत्ते पर खाना खाएं. जो लोग एक पत्ते पर खाना खाने से हिचकते हैं, उन्हें हम अलग-अलग छोटे पत्तों पर खाना सर्व करते हैं.

संयोगवश अगर आप शाकाहारी हैं और यूबीएम के सामने से गुज़रते हैं, तो चिंता की बात नहीं है.

करुनैवेल कहते हैं, लगभग रोज़ ही पांच लोगों के लिए पर्याप्‍त शाकाहारी भोजन उपलब्‍ध रहता है. यहां आने वाला कभी बिना खाए नहीं जाता.

होटल के सामने का नज़ारा.


करुनैवेल कहते हैं, “मेरी मेहनत का पुरस्‍कार यही है कि यूबीएम नम्मा वीटू सापाडु हमारे स्‍थायी ग्राहकों के बीच जाना-माना नाम बन गया है.”


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • success story of two brothers in solar business

    गांवों को रोशन करने वाले सितारे

    कोलकाता के जाजू बंधु पर्यावरण को सहेजने के लिए कुछ करना चाहते थे. जब उन्‍होंने पश्चिम बंगाल और झारखंड के अंधेरे में डूबे गांवों की स्थिति देखी तो सौर ऊर्जा को अपना बिज़नेस बनाने की ठानी. आज कई घर उनकी बदौलत रोशन हैं. यही नहीं, इस काम के जरिये कई ग्रामीण युवाओं को रोज़गार मिला है और कई किसान ऑर्गेनिक फू़ड भी उगाने लगे हैं. गुरविंदर सिंह की कोलकाता से रिपोर्ट.
  • Honey and Spice story

    शुद्ध मिठास के कारोबारी

    ट्रेकिंग के दौरान कर्नाटक और तमिलनाडु के युवा इंजीनियरों ने जनजातीय लोगों को जंगल में शहद इकट्‌ठी करते देखा. बाजार में मिलने वाली बोतलबंद शहद के मुकाबले जब इसकी गुणवत्ता बेहतर दिखी तो दोनों को इसके बिजनेस का विचार आया. 7 लाख रुपए लगातार की गई शुरुआत आज 3.5 करोड़ रुपए के टर्नओवर में बदलने वाली है. पति-पत्नी मिलकर यह प्राकृतिक शहद विदेश भी भेज रहे हैं. बता रही हैं उषा प्रसाद
  • thyrocare founder dr a velumani success story in hindi

    घोर ग़रीबी से करोड़ों का सफ़र

    वेलुमणि ग़रीब किसान परिवार से थे, लेकिन उन्होंने उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ा, चाहे वो ग़रीबी के दिन हों जब घर में खाने को नहीं होता था या फिर जब उन्हें अनुभव नहीं होने के कारण कोई नौकरी नहीं दे रहा था. मुंबई में पीसी विनोज कुमार मिलवा रहे हैं ए वेलुमणि से, जिन्होंने थायरोकेयर की स्थापना की.
  • Juicy Chemistry story

    कॉस्मेटिक में किया कमाल

    कोयंबटूर के युगल प्रितेश और मेघा अशर ने छोटे बिजनेस से अपनी उद्यमिता का सफर शुरू किया. बीच में दिवालिया हाेने की स्थिति बनी. पत्नी ने शादियों में मेहंदी बनाने तक के ऑर्डर लिए. धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर आने लगी. स्कीनकेयर प्रोडक्ट्स का बिजनेस चल निकला. 5 हजार रुपए के निवेश से शुरू हुए बिजनेस का टर्नओवर अब 25 करोड़ रुपए सालाना है. बता रही हैं सोफिया दानिश खान.
  • Vikram Mehta's story

    दूसरों के सपने सच करने का जुनून

    मुंबई के विक्रम मेहता ने कॉलेज के दिनों में दोस्तों की खातिर अपना वजन घटाया. पढ़ाई पूरी कर इवेंट आयोजित करने लगे. अनुभव बढ़ा तो पहले पार्टनरशिप में इवेंट कंपनी खोली. फिर खुद के बलबूते इवेंट कराने लगे. दूसरों के सपने सच करने के महारथी विक्रम अब तक दुनिया के कई देशों और देश के कई शहरों में डेस्टिनेशन वेडिंग करवा चुके हैं. कंपनी का सालाना रेवेन्यू 2 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.