Milky Mist

Sunday, 19 October 2025

दो बच्चों की मां ने बायो-डिग्रेडेबल कटलरी बनाकर खड़ा किया 25 करोड़ का बिजनेस, अब 100 करोड़ की कंपनी बनाने का लक्ष्य

19-Oct-2025 By सोफिया दानिश खान
नई दिल्ली

Posted 08 Nov 2019

फूड पैकेजिंग में प्‍लास्टिक और एल्‍यूमिनियम के अत्‍यधिक इस्‍तेमाल से भौचक रिया एम सिंघल जब भारत लौटीं तो उन्‍होंने इसका एक इको-फ्रेंडली विकल्‍प पेश किया. बायो-डिग्रेडेबल उत्‍पाद बनाने और उनकी मार्केटिंग के लिए उन्‍होंने एक कंपनी बनाई, जिसका टर्नओवर एक दशक में 25 करोड़ रुपए पहुंच चुका है.

कटलरी और कंटेनर की रेंज के ब्रांड का नाम है ‘इकोवेयर’. तेजी से बढ़ती क्विक सर्विस रेस्‍तरां (क्‍यूएसआर) इंडस्‍ट्री ने इसे हाथोहाथ लिया है. कंपनी ने कई सकारात्‍मक पहल से भी सबका ध्‍यान खींचा है. जैसे खाद्य श्रृंखला से कार्सिनोजेन को कम करना, महिला सशक्‍तीकरण, इको-फ्रेंडली जीवनशैली को बढ़ावा देना और किसानों की मदद करना.

रिया सिंघल इकोवेयर की संस्‍थापक हैं. उनकी कंपनी एग्रीकल्‍चर वेस्‍ट से फूड कंटेनर बनाती है. (सभी फोटो – नवनीता)

यदि इकोवेयर आज 100 करोड़ रुपए की कंपनी बनना चाहती है, तो यह सिर्फ 37 वर्षीय रिया की दृढ़ता की बदौलत संभव हुआ है, जिन्‍होंने यूनाइटेड किंगडम में पढ़ाई की और जीवन के अधिकतर समय विदेश में ही रहीं.

जब पहले साल उनकी कंपनी महज 50,000 रुपए कमा रही थी, तब भी वे जरा निराश नहीं हुईं और आगे बढ़ती रहीं. वे उत्‍साह और दृढ़ संकल्‍प से बिजनेस करती रहीं, क्‍योंकि उनकी मुख्‍य चिंता थी कैंसर के मामले बढ़ते जाना.

रिया जब 19 साल की थीं, तब उनकी मां को कैंसर हो गया था. इकोवेयर के पीछे की प्रेरणा के बारे में रिया बताती हैं, ‘‘मैंने कैंसर को इतने नजदीक से महसूस किया है कि चीजों को दूसरे नजरिये से देखना शुरू कर दिया. इसमें फॉरमाकोलॉजी का ओंकोलॉजी सेक्‍टर में अनुभव और ज्ञान बहुत काम आया.’’

वे बताती हैं, ‘‘मुझे महसूस हुआ कि लोगों को प्‍लास्टिक के इस्‍तेमाल के प्रति स्‍वास्‍थ्‍य के साथ-साथ पर्यावरणीय नजरिये से भी जागरूक करने की जरूरत है. इकोवेयर का विचार यहीं से आया, ताकि बायोडिग्रेडेबल सामान निर्माण के 90 दिन में डिकंपोज हो जाए.’’

क्‍यूएसआर इंडस्‍ट्री पिछले सालों में घातांकीय रूप से बढ़ी हैं. आजकल कई फूड डिलेवरी एप सक्रिय हैं, जिन्‍होंने लोगों की कल्‍पनाओं को साकार किया है. इस इंडस्‍ट्री की सबसे बड़ी चुनौती पैकेजिंग है, क्‍योंकि खाद्य पदार्थ को गर्मागर्म और ऐसे कंटेनर में भेजना होता है, जिससे सामग्री निकले नहीं. अधिकतर समय लोग सीधे कंटेनर से ही खा लेते हैं, जो प्‍लास्टिक, टिन या एल्‍यूमिनियम का बना होता था.

लोगों में इस तथ्‍य को लेकर कोई जागरूकता नहीं थी कि प्‍लास्टिक, टिन और एल्‍यूमिनियम जब गर्म खाद्य पदार्थ के संपर्क में आते हैं या इन्‍हें दोबारा गर्म किया जाता है तो ये विषैले पदार्थ उत्‍सर्जित करते हैं. अधिकांशत: यह पदार्थ कार्सिनोजेन होता है. रिया की मुख्‍य रूप से यही चिंता थी. इसलिए वर्ष 2007 में निशांत सिंघल से शादी के बाद जब वर्ष 2009 में वे यूनाइटेड किंगडम से भारत लौटीं तो उन्‍होंने इसी क्षेत्र को चुना.

यूनाइटेड किंगडम में लोग पर्यावरण और प्‍लास्टिक कंटेनर में खाना खाने के दुष्‍प्रभावों के प्रति इतने सचेत हैं कि उन्‍होंने लकड़ी की लुगदी से बनी पर्यावरण हितैषी कटलरी इस्‍तेमाल करना शुरू कर दी है.

ऐसी ही तकनीक भारतीय परिवेश के हिसाब से लागू कर रिया ने एग्रीकल्‍चर वेस्‍ट से बायोडिग्रेडेबल, डिस्‍पोजेबल पैकेजिंग बॉक्‍स और प्‍लेट बनानी शुरू की.

किसानों से एग्री-वेस्‍ट लेकर रिया इस वेस्‍ट को जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने में भी योगदान दे रही हैं.

रिया बताती हैं, ‘‘भारत बड़ी आबादी वाला देश है, जहां हर साल एग्रीकल्‍चर वेस्‍ट जलाया जाता है. इससे प्रदूषण होता है. मैंने समस्‍या को जड़ से निकालने की कोशिश की है और पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए हल ढूंढ़ा है. हम किसानों से एग्री-वेस्‍ट लेते हैं और उससे डिस्‍पोजेबल बॉक्‍स व प्‍लेट बनाते हैं, ताकि इन्‍हें पैक कर इनमें खाना खाया जा सके.’’

इकोवेयर का बहुत समाज पर भी असर पड़ रहा है. यह प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से रोजगार पैदा करता है. इससे लोगों की आजीविका चलती है. रिया स्‍पष्‍ट करती हैं, ‘‘इसका इससे भी बड़ा लाभ स्‍वास्‍थ्‍य पर होने वाला असर है, क्‍योंकि यह भोजन के लिए अधिक सुरक्षित विकल्‍प उपलब्‍ध कराता है. साथ ही जब इन्‍हें डिस्‍पोज किया जाता है तो ये 90 दिन में मिट्टी बन जाते हैं.’’

लेकिन जब रिया ने इकोवेयर लॉन्‍च किया, तो इन्‍हें लेने वाला कोई नहीं था. हालांकि वर्ष 2010 में हुए कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स टर्निंग प्‍वाइंट साबित हुए. रिया को अपने उत्‍पादों की आपूर्ति करने का मौका मिला, ताकि उनमें भोजन पैक कर खिलाडि़यों तक पहुंचाया जा सके. इससे परिवार की 10 लाख डॉलर की फंडिंग, रिया की खुद की बचत और 20 कर्मचारियों से शुरू हुई कंपनी को प्रोत्‍साहन मिला.

115 कर्मचारियों के साथ रिया और बैंक की नौकरी छोड़कर सीओओ के तौर पर कंपनी से जुड़े उनके पति अब कोई फंडिंग नहीं चाहते, क्‍योंकि वे अपना बिजनेस कमजोर नहीं करना चाहते.

रिया कहती हैं, ‘‘कई लोग यह नहीं समझते कि बड़ा मुनाफा ही सबकुछ नहीं होता. हमें इस धरती को सहेजना होगा, ताकि मानव जीवन का अस्तित्‍व बना रहे.’’

इकोवेयर के प्रतिष्ठित ग्राहकों में आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे), क्‍यूएसआर श्रृंखला हल्‍दीराम और चायोस हैं. उनके 28 डिस्‍ट्रीब्‍यूटर हैं. रिया बताती हैं, ‘‘हम  वेब पोर्टल के साथ-साथ दिल्‍ली स्थित मॉडर्न बाजार आउटलेट के जरिये रिटेल बिक्री करते हैं. दिल्‍ली के ही सदर बाजार में एक होलसेल वेंडर भी है. होलसेल और रिटेल का अनुपात 80:20 का है.’’

होलसेल मार्केट को भेदना रिया के लिए बहुत मुश्किल था क्‍योंकि उन्‍हें विक्रेता को इकोवेयर के लाभ के बारे में शिक्षित करना पड़ा. उन्‍हें विक्रेता को यह भी बताना पड़ा कि इकोवेयर सामान्‍य टिन फॉइल और अन्‍य प्‍लास्टिक कंटेनर के मुकाबले महज 15 फीसदी महंगे हैं, लेकिन इसके लाभ बहुत ज्‍यादा हैं.

अपनी टीम के साथ दिल्‍ली ऑफिस में रिया.

रिया कहती हैं, ‘‘इकोवेयर में भोजन सामग्री को रखकर माइक्रोवेव में गर्म किया जा सकता है, इन्‍हें फ्रीज में भी रखा जा सकता है.’’

इकोवेयर के 25 चम्‍मच और कांटे के पैक की कीमत 90 रुपए है. 50 कप की कीमत 195 रुपए है. 50 क्‍लमशेल बॉक्‍स की कीमत 740 रुपए और 50 गोल प्‍लेट 147 रुपए की पड़ती है.

इस तरह आप बाउल, बॉक्‍स, गिलास, चम्‍मच और बॉक्‍स की सभी रेंज 90 से 800 रुपए के बीच खरीद सकते हैं. एक बेहतरीन पार्टी करने के लिए आपको इन्‍हीं सबकी जरूरत पड़ती है,

पिछले 18 महीनों में, इकोवेयर का माहौल बन गया है और लोग इसको लेकर उत्‍साहित हैं. रिया कहती हैं, ‘‘100 करोड़ की कंपनी बनने का लक्ष्‍य हम जल्‍द हासिल कर लेंगे.’’

इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि रिया को हाल ही में राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ‘नारी शक्ति अवॉर्ड’ से सम्‍मानित किया है. मुंबई में जन्‍मी और दुबई में पली-बढ़ी रिया को वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम ने ग्‍लोबल लीडर के रूप में मान्‍य किया है. वूमन इकोनॉमिक फोरम इन्‍हें ‘वूमन ऑफ एक्‍सीलेंस’ अवॉर्ड से सम्‍मानित कर चुका है.

यूनाइटेड किंगडम में रिया को बोर्डिंग स्‍कूल में भेज दिया गया था. उन्‍होंने वर्ष 2004 में ब्रिस्‍टल यूनिवर्सिटी से फार्माकोलॉजी ऑनर्स की डिग्री ली. चार साल तक उन्‍होंने लंदन स्थित फाइजर फार्मास्‍यूटिकल्‍स के अलग-अलग सेंटरों पर ओंकोलॉजी टीम के साथ काम किया. शादी के बाद वे अपने पति निशांत सिंघल के परिवार के साथ भारत आ गईं.

रिया का ध्‍यान अब इकोवेयर को 100 करोड़ रुपए की कंपनी बनाने पर है.

अब पति-पत्‍नी दोनों कंपनी को सरलता से चलाने पर ध्‍यान दे रहे हैं. उनका ऑफिस दिल्‍ली के पॉश जीके2 मार्केट में है और फैक्‍ट्री नोएडा में 5,000 एकड़ में फैली हुई है.

दो बच्‍चों की मां रिया के दिन की शुरुआत सुबह 5:45 बजे से होती है. वे सुबह 7:15 बजे बच्‍चों को स्‍कूल छोड़ती हैं और जिम जाती हैं. यह उनका ‘मी टाइम’ होता है और तनाव भगाने का साधन भी.

वे दोपहर में बच्‍चों को स्‍कूल से लाती हैं और लंच के बाद ऑफिस जाती हैं. शाम को 5:30 बजे के बाद का समय वे बच्‍चों के साथ बाहर बिताती हैं. उनके साथ अलग-अलग खेल खेलती हैं.

परिवार के रूप में, वे नियमित रूप से यात्रा भी करती हैं. उन्‍हें पढ़ना पसंद है लेकिन इसके लिए बमुश्किल समय निकाल पाती हैं. इसलिए वे अपने दूसरे प्रिय काम कुकिंग को समय देती हैं. वे अपने दोस्‍तों को इकोवेयर क्रॉकरी में भोजन परोसकर प्रयोग करती रहती हैं.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Dr. Rajalakshmi bengaluru orthodontist story

    रोक सको तो रोक लो

    राजलक्ष्मी एस.जे. चल-फिर नहीं सकतीं, लेकिन उनका आत्मविश्वास अटूट है. उन्होंने न सिर्फ़ मिस वर्ल्ड व्हीलचेयर 2017 में मिस पापुलैरिटी खिताब जीता, बल्कि दिव्यांगों के अधिकारों के लिए संघर्ष भी किया. बेंगलुरु से भूमिका के की रिपोर्ट.
  • Alkesh Agarwal story

    छोटी शुरुआत से बड़ी कामयाबी

    कोलकाता के अलकेश अग्रवाल इस वर्ष अपने बिज़नेस से 24 करोड़ रुपए टर्नओवर की उम्मीद कर रहे हैं. यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था. स्कूल में दोस्तों को जीन्स बेचने से लेकर प्रिंटर कार्टेज रिसाइकिल नेटवर्क कंपनी बनाने तक उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे. उनकी बदौलत 800 से अधिक लोग रोज़गार से जुड़े हैं. कोलकाता से संघर्ष की यह कहानी पढ़ें गुरविंदर सिंह की कलम से.
  • Vada story mumbai

    'भाई का वड़ा सबसे बड़ा'

    मुंबई के युवा अक्षय राणे और धनश्री घरत ने 2016 में छोटी सी दुकान से वड़ा पाव और पाव भाजी की दुकान शुरू की. जल्द ही उनके चटकारेदार स्वाद वाले फ्यूजन वड़ा पाव इतने मशहूर हुए कि देशभर में 34 आउटलेट्स खुल गए. अब वे 16 फ्लेवर वाले वड़ा पाव बनाते हैं. मध्यम वर्गीय परिवार से नाता रखने वाले दोनों युवा अब मर्सिडीज सी 200 कार में घूमते हैं. अक्षय और धनश्री की सफलता का राज बता रहे हैं बिलाल खान
  • success story of courier company founder

    टेलीफ़ोन ऑपरेटर बना करोड़पति

    अहमद मीरान चाहते तो ज़िंदगी भर दूरसंचार विभाग में कुछ सौ रुपए महीने की तनख्‍़वाह पर ज़िंदगी बसर करते, लेकिन उन्होंने कारोबार करने का निर्णय लिया. आज उनके कूरियर बिज़नेस का टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है और उनकी कंपनी हर महीने दो करोड़ रुपए तनख्‍़वाह बांटती है. चेन्नई से पी.सी. विनोज कुमार की रिपोर्ट.
  • how a boy from a small-town built a rs 1450 crore turnover company

    जिगर वाला बिज़नेसमैन

    सीके रंगनाथन ने अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए जब घर छोड़ा, तब उनकी जेब में मात्र 15 हज़ार रुपए थे, लेकिन बड़ी विदेशी कंपनियों की मौजूदगी के बावजूद उन्होंने 1,450 करोड़ रुपए की एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय कंपनी खड़ी कर दी. चेन्नई से पीसी विनोज कुमार लेकर आए हैं ब्यूटी टायकून सीके रंगनाथन की दिलचस्प कहानी.