Milky Mist

Wednesday, 24 April 2024

10 साल पहले अमेरिका से 15 करोड़ रुपए में एयर-ओ-वाटर का पेटेंट हासिल किया, अब ख्वाहिश कि हर घर में फ्रिज की तरह ऐसी मशीन हो

24-Apr-2024 By देवेन लाड
मुंबई

Posted 19 Nov 2019

हवा से पानी बनाना अतिश्‍योक्तिपूर्ण बात नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सच्‍चाई है. मुंबई के 39 वर्षीय कारोबारी सिद्धार्थ शाह यह तकनीक भारत लाए हैं. इसके पीछे उनकी सोच देश के ऐसे इलाकों की प्‍यास बुझाना था, जो पानी की कमी से जूझ रहे हैं.

शाह ने भारत में दस्‍तक देते जलसंकट की आहट दस साल पहले ही सुन ली थी और इस तकनीक को अमेरिका से हासिल कर लिया था. वे बताते हैं, ‘‘उस समय इस तकनीक के बारे में कोई नहीं जानता था. जब मैंने इसका पेटेंट हासिल किया, तब मैं इसे कारोबार  की दृष्टि से नहीं, बल्कि भविष्‍य की जरूरत के हिसाब से देख रहा था.’’

सिद्धार्थ शाह (सबसे बाएं) ने हवा से पानी बनाने की तकनीक अमेरिका की एक कंपनी से दस साल पहले हासिल की थी. उन्‍होंने मशीन का उत्‍पादन दो साल पहले शुरू किया.           (सभी फोटो – विशेष व्‍यवस्‍था से)

एयर-ओ-वाटर यानी हवा से पानी बनाने के इसी तरह के प्रॉडक्‍ट की अंतरराष्‍ट्रीय मार्केट में लागत लाखों रुपए है. लेकिन शाह सबसे कम क्षमता 25 लीटर के मॉडल को महज 65 हजार रुपए में बेच रहे हैं. यह इसलिए संभव हुआ है क्‍योंकि उन्‍होंने यह तकनीक 10 साल पहले हासिल कर ली थी और दो साल पहले उन्‍होंने देश में ही इसके फेब्रिकेशन का काम शुरू किया.

100 लीटर, 500 लीटर और 1000 लीटर की बड़ी क्षमता की औद्योगिक उपयोग की बड़ी मशीनों की कीमत क्रमश: 2 लाख, 5 लाख और 7 लाख रुपए है. कंपनी हर महीने 100 से 250 यूनिट बेच रही है. ऐसे में कंपनी का खजाना भरने लगा है.

हवा से पानी बनाने की मशीन ठीक प्रकृति की तरह काम करती है. शाह बताते हैं, ‘‘मशीन हवा में मौजूद आर्द्रता या नमी से पानी बना सकती है. यह अनुकूलनशील प्रौद्योगिकी या एडाॅॅप्‍टेबल टेक्‍नोलॉजी पर काम करती है, जो हवा में मौजूद नमी से शुद्ध पानी बनाती है.’’

सिद्धार्थ ऐसा प्रॉडक्‍ट बनाना चाहते हैं जिसकी कीमत कम हो और वह आम आदमी की पहुंच में हो. सीजन्‍स ट्रेड एंड इंडस्‍ट्री प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्‍टर शाह कहते हैं, ‘‘मैं एयर-ओ-वाटर को लग्‍जरी प्रॉडक्‍ट के रूप में प्रचारित नहीं करना चाहता था, क्‍योंकि मेरा प्रॉडक्‍ट पहले गरीब व्‍यक्ति तक पहुंचना चाहिए था. वही जलसंकट के समय सबसे पहले प्रभावित होता है.’’

शाह याद करते हैं, ‘‘जब मैंने बैंकों और निवेशकों को मेरा बिजनेस प्‍लान बताया तो उन्‍होंने इसे जादू बताया. किसी मशीन के जरिये हवा से पानी बनाने जैसी चीज उन्‍होंने पहले कभी नहीं देखी थी. अब भी कई लोग हमारी मशीन को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.’’

इस तकनीक को हासिल करने के लिए 15 करोड़ रुपए का निवेश करने वाले शाह कहते हैं, ‘‘मैं जानता था कि देश एक दिन जलसंकट से जूझेगा, लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि यह सब इतनी जल्‍दी होगा. यह तो अच्‍छा है कि हम तैयार थे और हमने हर महीने अधिक यूनिट का प्रॉडक्‍शन शुरू कर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो कि हर व्‍यक्ति के पास एक विकल्‍प हो.’’

सिद्धार्थ कहते हैं, पानी बनाने वाली मशीन तटीय क्षेत्रों जैसे मुंबई और चेन्‍नई के लिए अधिक मुफीद है, क्‍योंकि यहां वातावरण में नमी बहुत उच्‍च होती है.

आज कंपनी मुंबई के पास भिवंडी में 45 हजार वर्ग फीट के प्‍लॉट पर बनी फैक्‍टरी में हर महीने 1000 एयर-ओ-वाटर मशीनों का निर्माण कर रही है.

लेकिन शाह वर्ष 2017 में हुई पहली बिक्री को जुनून के साथ याद करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘एयर-ओ-मॉडल का पहला मॉडल मुंबई में रहने वाली मेरी बहन के यहां गया था. उन्‍होंने दो साल तक उसका इस्‍तेमाल नहीं किया, लेकिन जब उनकी पूरी बिल्डिंग ने गहरा जलसंकट झेला तो उन्‍होंने इसका इस्‍तेमाल करना शुरू कर दिया. तब उन्‍हें मशीन का महत्‍व पता चला.’’

शाह अब विभिन्‍न हाउसिंग सोसाइटी और उद्योगों में अपने प्रॉडक्‍ट का डेमो देकर इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. इसकी प्रतिक्रिया सकारात्‍मक है. हर यूनिट की इंस्‍टालेशन के बाद एक साल तक फ्री सर्विस दी जाती है.

एटमॉस्फिरिक वाटर जनरेटर्स की महत्‍ता समझने से पहले शाह के परिवार के कंपनी सीजन्‍स टेलीविजन व रेडियो के ट्रांसमीटर और टेलीफोन व टेलीग्राफी के उपकरण बनाती थी. बाद में शाह ने इसी कंपनी के जरिये एयर2वॉटर तकनीक के पेटेंट का आवेदन किया.

अब सीजन्‍स इलेक्‍ट्रॉनिक सामान, मेटल फेब्रिकेशन, सर्फेस फिनिशिंग, फर्नीचर, सोलर होम सिस्‍टम, पॉवर पैनल, एलईडी लाइटिंग सॉल्‍यूशन और अन्‍य टेलीकॉम प्रॉडक्‍ट बनाती है.

एयर-ओ-वाटर यूनिट सीजन्‍स की मुंबई के पास भिवंडी स्थित फैक्‍टरी में तैयार की जाती हैं.

शाह महसूस करते हैं कि सरकार को उनके प्रॉडक्‍ट का ग्रामीण इलाकों में प्रचार-प्रसार करना चाहिए और इन्‍हें सोलर पैनल से जोड़ देना चाहिए, जो वैकल्पिक ऊर्जा स्‍त्रोत का बेहतर माध्‍यम हो सकता है.

शाह अफसोस के साथ कहते हैं, ‘‘हमारा आरामतलबी का रवैया होता है. समस्‍या सिर पर आ खड़ी होने तक हम सावधानी नहीं बरतते. जब तक पूरा पानी खत्‍म नहीं हो जाएगा, तब तक यह महसूस नहीं करेंगे कि समस्‍या कितनी बड़ी है. पानी को सहेजना बहुत अच्‍छी प्रक्रिया है, लेकिन प्राकृतिक स्‍त्रोत जैसे झीलें आदि कम हो रही हैं, इसलिए हमें गंभीरता से चिंता करने की जरूरत है.’’

शाह बताते हैं, ‘‘एयर-ओ-वाटर यह नहीं चाहता कि भारत में पानी नहीं रहे. हालांकि हम बेहतरी की उम्‍मीद करते हैं. यदि भारत में पानी की अधिक कमी होती है, तो एयर-ओ-वाटर जैसे प्रॉडक्‍ट मददगार होंगे. इसलिए जिस तरह हम सबके घरों में फ्रिज होता है, उसी तरह हमारे पास पानी बनाने वाली यूनिट भी होनी चाहिए.’’

शाह की कंपनी भविष्‍य के मार्केट के तौर पर ऐसे स्‍थानों को देख रही है, जहां वातावरणीय नमी अधिक होती है, जैसे मुंबई, चेन्‍नई, कोच्चि जैसे तटीय शहर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी हिस्‍से.


 

आप इन्हें भी पसंद करेंगे

  • Safai Sena story

    पर्यावरण हितैषी उद्ममी

    बिहार से काम की तलाश में आए जय ने दिल्ली की कूड़े-करकट की समस्या में कारोबारी संभावनाएं तलाशीं और 750 रुपए में साइकिल ख़रीद कर निकल गए कूड़ा-करकट और कबाड़ इकट्ठा करने. अब वो जैविक कचरे से खाद बना रहे हैं, तो प्लास्टिक को रिसाइकिल कर पर्यावरण सहेज रहे हैं. आज उनसे 12,000 लोग जुड़े हैं. वो दिल्ली के 20 फ़ीसदी कचरे का निपटान करते हैं. सोफिया दानिश खान आपको बता रही हैं सफाई सेना की सफलता का मंत्र.
  • Food Tech Startup Frshly story

    फ़्रेशली का बड़ा सपना

    एक वक्त था जब सतीश चामीवेलुमणि ग़रीबी के चलते लंच में पांच रुपए का पफ़ और एक कप चाय पी पाते थे लेकिन उनका सपना था 1,000 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी करने का. सालों की कड़ी मेहनत के बाद आज वो उसी सपने की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं. चेन्नई से पीसी विनोज कुमार की रिपोर्ट
  • PM modi's personal tailors

    मोदी-अडानी पहनते हैं इनके सिले कपड़े

    क्या आप जीतेंद्र और बिपिन चौहान को जानते हैं? आप जान जाएंगे अगर हम आपको यह बताएं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी टेलर हैं. लेकिन उनके लिए इस मुक़ाम तक पहुंचने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा. अहमदाबाद से पी.सी. विनोज कुमार बता रहे हैं दो भाइयों की कहानी.
  • Bengaluru college boys make world’s first counter-top dosa making machine

    इन्होंने ईजाद की डोसा मशीन, स्वाद है लाजवाब

    कॉलेज में पढ़ने वाले दो दोस्तों को डोसा बहुत पसंद था. बस, कड़ी मशक्कत कर उन्होंने ऑटोमैटिक डोसामेकर बना डाला. आज इनकी बनाई मशीन से कई शेफ़ कुरकुरे डोसे बना रहे हैं. बेंगलुरु से उषा प्रसाद की दिलचस्प रिपोर्ट में पढ़िए इन दो दोस्तों की कहानी.
  • Success story of Sarat Kumar Sahoo

    जो तूफ़ानों से न डरे

    एक वक्त था जब सरत कुमार साहू अपने पिता के छोटे से भोजनालय में बर्तन धोते थे, लेकिन वो बचपन से बिज़नेस करना चाहते थे. तमाम बाधाओं के बावजूद आज वो 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों के मालिक हैं. कटक से जी. सिंह मिलवा रहे हैं ऐसे इंसान से जो तूफ़ान की तबाही से भी नहीं घबराया.