इस रोमांटिक जोड़ी ने बाधाओं को धता बताते हुए 80 हजार रुपए से शुरू कर 6 करोड़ रुपए के कारोबार वाली भोजनालय शृंखला बनाई
07-Oct-2024
By सोफिया दानिश खान
गुवाहाटी
देबा कुमार बर्मन और प्रणामिका सिर्फ 21 साल के थे. दोनों कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने भाग कर शादी की और करीब 30 साल पहले गुवाहाटी के एक छोटे से कमरे के अपार्टमेंट में परिवार के रूप में अपना नया जीवन शुरू किया.
टेलीविजन सीरियल के सेट पर सहायक के रूप में 150 रुपए दैनिक पारिश्रमिक वाली पहली नौकरी से लेकर पत्नी के साथ मिलकर टीवी शो बनाने और फिर गुवाहाटी में 6 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली रेस्तरां शृंखला खड़ी करने तक देबा कुमार ने अपने जीवन में रोमांस की चमक को कभी फीका नहीं पड़ने दिया.
देबा कुमार बर्मन और प्रणामिका ने 1997 में महज 80 हजार रुपए के निवेश से अपना पहला भोजनालय जे 14 शुरू किया था. (तस्वीरें: विशेष व्यवस्था से)
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देबा कुमार कहते हैं, “मैं अच्छी तरह जानता था कि मेरी पत्नी बहुत अमीर घर में पली-बढ़ी है. इसलिए मैंने उसे हमेशा खुश और आरामदायक रखने के तरीकों के बारे में सोचा.”
आज, देबा और उनकी पत्नी के पास 21 रेस्तरां हैं, जो गुवाहाटी के विभिन्न हिस्सों में हैं. सभी रेस्तरां जे 14, शिलाॅन्ग मोमोज, पंजाब तंदूर और जे 14 कांचा मोरिस ब्रांड नामों के तहत हैं. इन आउटलेट्स पर 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं.
हर ब्रांड अलग-अलग व्यंजनों में माहिर है. जैसे जे 14 आउटलेट कोलकाता रोल और मोमोज के लिए जाने जाते हैं. शिलाॅन्ग मोमोज अपने मोमोज के लिए, पंजाब तंदूर पंजाबी भोजन के लिए और जे 14 कांचा मोरिस (इसका अर्थ है हरी मिर्च) शुद्ध बंगाली भोजन के लिए जाना जाता है.
दंपति ने अपना पहला जे 14 आउटलेट 1997 में गुवाहाटी के सबसे प्रसिद्ध कॉलेजों में से एक, गुवाहाटी कॉमर्स कॉलेज के सामने शुरू किया.
देबा कुमार याद करते हैं, “यह 250 वर्ग फुट की किराए की दुकान थी. हमने 80 हजार रुपए के निवेश से शुरुआत की थी, जिसकी व्यवस्था हमने अपना स्कूटर बेचकर और बचत के कुछ पैसों से की.”
“हमने कई तरह के मोमोज, रोल और बर्गर बेचे. हमने शुरू में फूड कार्ट शुरू करने के बारे में सोचा. लेकिन हम दोनों के परिवारों की बड़ी प्रतिष्ठा थी और हम जानते थे कि रिश्तेदार हमारे बारे में बात करेंगे. इसलिए हमने यह विचार छोड़ दिया.”
देबा कुमार और प्रणामिका ने 21 साल की उम्र में शादी कर ली थी. आज 51 साल की उम्र में उनके पास 21 आउटलेट की रेस्तरां शृंखला हैं.
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बाद में, उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज में बीए पाठ्यक्रम में दाखिला लिया, लेकिन दूसरे वर्ष के बाद पढ़ाई छोड़ दी. देबा कुमार कहते हैं, “मेरी रुचि संगीत में थी और पढ़ाई में कम. मुझे पियानो बजाना और गाने संगीतबद्ध करना पसंद था. मैंने कुछ संगीत वीडियो भी रिलीज हुए हैं.”
प्रणामिका की जब देबा कुमार से मुलाकात हुई, तब वे बीए एलएलबी कर रही थीं. दोनों में प्यार हो गया. जब उन्होंने देबा कुमार के साथ शादी करने का फैसला किया, उस समय उसके पिता डिप्टी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट थे.
देबा कुमार कहते हैं, “हम भले ही पड़ोसी थे, लेकिन दोनों परिवार इस शादी के लिए राजी नहीं थे. मैंने प्रणामिका को शादी से पीछे न हटने के लिए मनाया.”
जब दोनों परिवार नहीं माने तो देबा और प्रणामिका घर से भाग गए. शुरुआती दिन कठिन थे. उन्होंने एक कमरे के अपार्टमेंट से 350 रुपए महीना किराया देकर अपने पारिवारिक जीवन की शुरुआत की.
देबा कहते हैं, “हमने स्टोव पर खाना बनाया. साथ ही बहुत सी चीजों का प्रबंधन करना पड़ा. मुझे एक टेलीविजन प्रोडक्शन हाउस में सहायक के रूप में 150 रुपए प्रतिदिन की नौकरी मिल गई.”
“बाद में, मुझे दूरदर्शन गुवाहाटी में फ्लोर असिस्टेंट के रूप में 2500 रुपए प्रति माह के वेतन पर नौकरी मिल गई. मैंने 1993-1999 तक दूरदर्शन में काम किया.”
प्रणामिका इस अवधि में दूरदर्शन के लिए वृत्तचित्रों के निर्माण में अपने पति के साथ शामिल हुईं. वे कहती हैं, “देबा ने पैसे बचाने के लिए शूटिंग, निर्देशन, संपादन और यहां तक कि वॉयस-ओवर भी खुद दिए. हमने 1997 में नॉर्थ ईस्ट पर केंद्रित एक साप्ताहिक शो भी किया.”
देबा कुमार के भोजनालयों में आज 100 से अधिक लोग काम करते हैं. |
उसी वर्ष उन्होंने अपना पहला जे 14 आउटलेट भी शुरू किया. देबा कुमार कहते हैं, “मुझे खाना पकाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था, लेकिन मेरी पत्नी सहारा बनकर सामने आई. जब हमने शुरुआत की, तब हमारे पास चार कर्मचारी थे.”
“जे 14 असामान्य नाम की तरह लग सकता है, लेकिन हमने इसे "ज्वॉइंट फॉर टीनएजर्स' के संक्षिप्त रूप के रूप में सोचा. इस जगह ने जल्द ही बहुत से युवाओं को आकर्षित किया.
“हमने दीवार पर ग्रैफिटी लगाई, जो उस समय के फैशन के अनुसार थी और युवाओं को आकर्षित करती थी. मुझे याद है कि पहली ग्रैफिटी में दिखाया गया था कि अमिताभ बच्चन गब्बर सिंह को पकड़े हुए हैं और पूछ रहे हैं कि 'बोल कितने मोमोज खाए.' हम इस ग्रैफिटी को नियमित रूप से बदलते थे, क्योंकि इसे मेरा बहुत ही प्रतिभाशाली मित्र तैयार करता था.”
पहले वर्ष में, आउटलेट का राजस्व 2.5 लाख रुपए था. 2004 में, उन्होंने गुवाहाटी के जीएस रोड पर अपना दूसरा आउटलेट और एक साल बाद शहर के दूसरे कॉलेज के सामने एक और आउटलेट खोला.
कॉमर्स कॉलेज स्थित जे 14 आउटलेट उनका केंद्रीय रसोई बन गया, क्योंकि देबा दंपति सभी आउटलेट्स पर समान स्वाद बनाए रखना चाहते थे. अन्य दो आउटलेट पर कर्मचारी साइकिल से खाद्य सामग्री पहुंचाते थे.
देबा कुमार कहते हैं, “आज हमारे 21 आउटलेट हैं. उनमें से चार फ्रैंचाइजी के स्वामित्व वाले हैं. इन आउटलेट्स ने कई युवाओं को सुखद यादें दी हैं. मैं अब भी ऐसे लोगों से मिलता हूं, जो मुझे बताते हैं कि जे 14 में किस तरह अपने जीवनसाथी से उनकी पहली मुलाकात हुई थी. और किस तरह उन्होंने हमारे आउटलेट पर एक-दूसरे को विवाह का प्रस्ताव रखा था.”
1999 में दूरदर्शन की नौकरी छोड़ने वाले देबा कुमार ने कुछ अन्य व्यवसायों में भी हाथ आजमाया था.
उन्होंने 1999 के आसपास शुरू किए एक फर्नीचर व्यवसाय में कुछ पैसे गंवाए. बाद में, वे 2000 से 2008 तक एक अंतरराष्ट्रीय पोषण ब्रांड से जुड़े, जिसने वजन घटाने का वादा करता था.
गुवाहाटी कॉमर्स कॉलेज के सामने देबा कुमार के पहले आउटलेट की एक पुरानी तस्वीर. |
इस नौकरी ने उन्हें कई देशों की यात्रा करने का मौका दिया. 2008 के बाद से उन्होंने अपना पूरा समय और ऊर्जा अपनी रेस्तरां चेन को बढ़ाने के लिए समर्पित कर दी.
देबा कुमार कहते हैं, “मैं भारत के युवाओं को एक संदेश देना चाहता हूं. मैं ऐसे 10 लोगों की तलाश कर रहा हूं, जो जे 14 के क्लाउड किचन मॉडल के माध्यम से पैसा कमाने को लेकर गंभीर हों और उन्हें भारत के विभिन्न हिस्सों में ले जाना चाहते हों.”
“आपको पैसों के बारे में सोचने की भी जरूरत नहीं है. आपको बस बिजनेस आइडिया के लिए प्रतिबद्ध होना होगा, जिस तरह से हम शादी के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
भावी उद्यमियों को उनकी सलाह है: “बाधाओं से निराश न हों, बल्कि उन्हें दरवाजे पर दस्तक देने के एक और अवसर के रूप में लें, जो हमें आगे बढ़ने में भी मदद करती है.”
देबा कुमार और प्रणामिका की दो बेटियां हैं. 25 साल की सोनालिका और 16 साल की आशमिका. बड़ी बेटी पारिवारिक बिजनेस से जुड़ चुकी है.
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