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Posted 14-Apr-2018 Vol 1 Issue 16
फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन
आज दुनिया में ‘फ़र्न्स एन पेटल्स’ जाना-माना ब्रैंड है लेकिन इसकी कहानी बिहार से शुरू होती है, जहां का एक युवा अपने पूर्वजों की ख़्याति को फिर अर्जित करना चाहता था. वो आम जीवन से संतुष्ट नहीं था, बल्कि कुछ बड़ा करना चाहता था. बिलाल हांडू बता रहे हैं यह मशहूर ब्रैंड शुरू करने वाले विकास गुटगुटिया की कहानी.
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Posted 27-Mar-2018 Vol 1 Issue 13
कंगाल से बने करोड़पति
एक वक्त था जब के.आर. राजा होटल में काम करते थे, सड़कों पर सोते थे लेकिन कभी अपना ख़ुद का काम शुरू करने का सपना नहीं छोड़ा. कभी सिलाई सीखकर तो कभी छोटा-मोटा काम करके वो लगातार डटे रहे. आज वो तीन आउटलेट और एक लॉज के मालिक हैं. कोयंबटूर से पी.सी. विनोजकुमार बता रहे हैं कभी हार न मानने वाले के.आर. राजा की कहानी.
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Posted 23-Mar-2018 Vol 1 Issue 13
बेंगलुरु का ‘कॉफ़ी किंग’
टाटा कॉफ़ी से नया ऑर्डर पाने के लिए यूएस महेंदर लगातार कंपनी के मार्केटिंग मैनेजर से मिलने की कोशिश कर रहे थे. एक दिन मैनेजर ने उन्हें धक्के मारकर निकलवा दिया. लेकिन महेंदर अगले दिन फिर दफ़्तर के बाहर खड़े हो गए. आखिर मैनेजर ने उन्हें एक मौक़ा दिया. यह है कभी हार न मानने वाले हट्टी कापी के संस्थापक यूएस महेंदर की कहानी. बता रही हैं बेंगलुरु से उषा प्रसाद.
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Posted 18-Apr-2018 Vol 1 Issue 16
जो तूफ़ानों से न डरे
एक वक्त था जब सरत कुमार साहू अपने पिता के छोटे से भोजनालय में बर्तन धोते थे, लेकिन वो बचपन से बिज़नेस करना चाहते थे. तमाम बाधाओं के बावजूद आज वो 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों के मालिक हैं. कटक से जी. सिंह मिलवा रहे हैं ऐसे इंसान से जो तूफ़ान की तबाही से भी नहीं घबराया.
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Posted 19-Mar-2018 Vol 1 Issue 12
13,000 रुपए का निवेश बना बड़ा बिज़नेस
बंदना बिहार से मुंबई आईं और 13,000 रुपए से रिसाइकल्ड गत्ते के लैंप व सोफ़े बनाने लगीं. आज उनके स्टूडियो की आमदनी एक करोड़ रुपए है. पढ़िए एक ऐसी महिला की कहानी जिसने अपने सपनों को एक नई उड़ान दी. मुंबई से देवेन लाड की रिपोर्ट.
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Posted 24-Apr-2018 Vol 1 Issue 17
किचन से बनी करोड़पति
अपनी मां की तरह नीता मेहता को खाना बनाने का शौक था लेकिन उन्हें यह अहसास नहीं था कि उनका शौक एक दिन करोड़ों के बिज़नेस का रूप ले लेगा. बिना एक पैसे के निवेश से शुरू हुए एक गृहिणी के कई बिज़नेस की मालकिन बनने का प्रेरणादायक सफर बता रही हैं दिल्ली से सोफ़िया दानिश खान.
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Posted 10-Mar-2018 Vol 1 Issue 11
मधुमक्खी की सीख बनी बिज़नेस मंत्र
छाया नांजप्पा को एक होटल में काम करते हुए मीठा सा आइडिया आया. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज उनकी कंपनी नेक्टर फ्रेश का शहद और जैम बड़े-बड़े होटलों में उपलब्ध है. प्रीति नागराज की रिपोर्ट.
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Posted 08-Mar-2018 Vol 1 Issue 10
मोदी-अडानी पहनते हैं इनके सिले कपड़े
क्या आप जीतेंद्र और बिपिन चौहान को जानते हैं? आप जान जाएंगे अगर हम आपको यह बताएं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी टेलर हैं. लेकिन उनके लिए इस मुक़ाम तक पहुंचने का सफ़र चुनौतियों से भरा रहा. अहमदाबाद से पी.सी. विनोज कुमार बता रहे हैं दो भाइयों की कहानी.
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Posted 16-Mar-2018 Vol 1 Issue 12
इन्होंने ईजाद की डोसा मशीन, स्वाद है लाजवाब
कॉलेज में पढ़ने वाले दो दोस्तों को डोसा बहुत पसंद था. बस, कड़ी मशक्कत कर उन्होंने ऑटोमैटिक डोसामेकर बना डाला. आज इनकी बनाई मशीन से कई शेफ़ कुरकुरे डोसे बना रहे हैं. बेंगलुरु से उषा प्रसाद की दिलचस्प रिपोर्ट में पढ़िए इन दो दोस्तों की कहानी.
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Posted 24-Feb-2018 Vol 1 Issue 9
रोक सको तो रोक लो
राजलक्ष्मी एस.जे. चल-फिर नहीं सकतीं, लेकिन उनका आत्मविश्वास अटूट है. उन्होंने न सिर्फ़ मिस वर्ल्ड व्हीलचेयर 2017 में मिस पापुलैरिटी खिताब जीता, बल्कि दिव्यांगों के अधिकारों के लिए संघर्ष भी किया. बेंगलुरु से भूमिका के की रिपोर्ट.
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Posted 21-Feb-2018 Vol 1 Issue 8
जुनूनी शिक्षाद्यमी
पॉली पटनायक ने बचपन से ऐसे स्कूल का सपना देखा, जहां कमज़ोर व तेज़ बच्चों में भेदभाव न हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए. आज उनके स्कूल में 2200 बच्चे पढ़ते हैं. 150 शिक्षक हैं, जिन्हें एक करोड़ से अधिक तनख़्वाह दी जाती है. भुबनेश्वर से गुरविंदर सिंह बता रहे हैं एक सपने को मूर्त रूप देने का संघर्ष.
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Posted 01-Mar-2018 Vol 1 Issue 9
ये कर रहे कलाम साहब के सपने को सच
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा लेकर संतोष शर्मा ने ऊंचे वेतन वाली नौकरी छोड़ी और नक्सल प्रभावित इलाके़ में एक डेयरी फ़ार्म की शुरुआत की ताकि जनजातीय युवाओं को रोजगार मिल सके. जमशेदपुर से गुरविंदर सिंह मिलवा रहे हैं दो करोड़ रुपए के टर्नओवर करने वाले डेयरी फ़ार्म के मालिक से.
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Posted 09-Feb-2018 Vol 1 Issue 7
देश के 50 सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में इनका भी स्कूल
बिजय कुमार साहू ने शिक्षा हासिल करने के लिए मेहनत की और हर महीने चार से पांच लाख कमाने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट बने. उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और एक विश्व स्तरीय स्कूल की स्थापना की. भुबनेश्वर से गुरविंदर सिंह की रिपोर्ट
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Posted 07-Feb-2018 Vol 1 Issue 6
ऑनलाइन फ़र्नीचर बिक्री के महारथी
चार युवाओं ने पांच लाख रुपए की शुरुआती पूंजी लगाकर फ़र्नीचर के कारोबार की शुरुआत की और सफल भी हुए. तीन साल में ही इनका सालाना कारोबार 18 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. नई दिल्ली से पार्थाे बर्मन के शब्दों में पढ़ें इनकी सफलता की कहानी.
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Posted 26-Jan-2018 Vol 1 Issue 4
ऊंची उड़ान
तारा रंजन पटनायक ने कारोबार की दुनिया में क़दम रखते हुए कभी नहीं सोचा था कि उनका कारोबार इतनी ऊंचाइयां छुएगा. भुबनेश्वर से जी सिंह बता रहे हैं कि समुद्री उत्पादों, स्टील व रियल एस्टेट के क्षेत्र में 1500 करोड़ का सालाना कारोबार कर रहे फ़ाल्कन समूह की सफलता की कहानी.
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Posted 22-Jan-2018 Vol 1 Issue 4
घोर ग़रीबी से करोड़ों का सफ़र
वेलुमणि ग़रीब किसान परिवार से थे, लेकिन उन्होंने उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ा, चाहे वो ग़रीबी के दिन हों जब घर में खाने को नहीं होता था या फिर जब उन्हें अनुभव नहीं होने के कारण कोई नौकरी नहीं दे रहा था. मुंबई में पीसी विनोज कुमार मिलवा रहे हैं ए वेलुमणि से, जिन्होंने थायरोकेयर की स्थापना की.
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Posted 17-Jan-2018 Vol 1 Issue 2
जिगर वाला बिज़नेसमैन
सीके रंगनाथन ने अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए जब घर छोड़ा, तब उनकी जेब में मात्र 15 हज़ार रुपए थे, लेकिन बड़ी विदेशी कंपनियों की मौजूदगी के बावजूद उन्होंने 1,450 करोड़ रुपए की एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय कंपनी खड़ी कर दी. चेन्नई से पीसी विनोज कुमार लेकर आए हैं ब्यूटी टायकून सीके रंगनाथन की दिलचस्प कहानी.
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Posted 12-Jan-2018 Vol 1 Issue 1
मजबूरी में बने उद्यमी
जब राजीब की कंपनी ने उन्हें दो महीने का वेतन नहीं दिया तो उनके घर में खाने तक की किल्लत हो गई, तब उन्होंने साल 2003 में खुद का बिज़नेस शुरू किया. आज उनकी तीन कंपनियों का कुल टर्नओवर 71 करोड़ रुपए है. बेंगलुरु से उषा प्रसाद की रिपोर्ट.
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Posted 03-Mar-2018 Vol 1 Issue 10
ये हैं डस्टलेस पेंटर्स
नए घर की पेंटिंग से पहले सफ़ाई के दौरान उड़ी धूल से जब अतुल के दो बच्चे बीमार हो गए, तो उन्होंने इसका हल ढूंढने के लिए सालों मेहनत की और ‘डस्टलेस पेंटिंग’ की नई तकनीक ईजाद की. अपनी बेटी के साथ मिलकर उन्होंने इसे एक बिज़नेस की शक्ल दे दी है. मुंबई से देवेन लाड की रिपोर्ट
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Posted 10-Jan-2018 Vol 1 Issue 2
ममता बनर्जी भी इनकी साड़ियों की मुरीद
बीरेन कुमार बसक अपने कंधों पर गट्ठर उठाए कोलकाता की गलियों में घर-घर जाकर साड़ियां बेचा करते थे. आज वो साड़ियों के सफल कारोबारी हैं, उनके ग्राहकों की सूची में कई बड़ी हस्तियां भी हैं और उनका सालाना कारोबार 50 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुका है. जी सिंह के शब्दों में पढ़िए इनकी सफलता की कहानी.
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Posted 16-Jan-2018 Vol 1 Issue 1
सचिन भी इनके रेस्तरां की पाव-भाजी के दीवाने
वो महज 13 साल की उम्र में 30 रुपए लेकर मुंबई आए थे. एक ऑफ़िस कैंटीन में वेटर की नौकरी से शुरुआत की और अपनी मेहनत के बलबूते आज प्रतिष्ठित शाकाहारी रेस्तरां के मालिक हैं, जिसका सालाना कारोबार इस साल 20 करोड़ रुपए का आंकड़ा छू चुका है. संघर्ष और सपनों की कहानी पढ़िए देवेन लाड के शब्दों में
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Posted 27-Dec-2017 Vol 8 Issue 16
विनम्र अरबपति
चंदूभाई वीरानी ने सिनेमा हॉल के कैंटीन से अपने करियर की शुरुआत की. उस कैंटीन से लेकर करोड़ों की आलू वेफ़र्स कंपनी ‘बालाजी’ की शुरुआत करना और फिर उसे बुलंदियों तक पहुंचाने का सफ़र किसी फ़िल्मी कहानी जैसा है. मासूमा भरमाल ज़रीवाला आपको मिलवा रही हैं एक ऐसे इंसान से जिसने तमाम परेशानियों के सामने कभी हार नहीं मानी.
